ओवर सेंसिटिव होना डालता है रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव, इस तरह संभाले इसे

हम सभी कहीं न कहीं भावुक होते ही हैं। हम सभी पर अच्छी-बुरी बातों का प्रभाव पड़ता है। बस, अंतर इतना है कि कुछ लोग ओवर सेंसिटिव होते हैं, तो उन पर बातेें बुरी तरह से हावी रहती हैं और अधिक प्रभाव डालती हैं और दूसरी तरफ़ ऐसे लोगों की भी कमी नहीं जो छोटी-छोटी बातों के प्रति लापरवाह होते हैं और उन्हें अनदेखा कर देते हैं, इसलिए इस बात का ख़्याल रखें कि ओवर सेंसिटिव होना कभी-कभी आपकी व्यक्तिगत और प्रोफेशनल लाइफ दोनों को ही प्रभावित करती हैं।हम आपको बतायेगे कैसे ओवर सेंसेटिव होना रिश्तों पर प्रभाव डालता है और इससे कैसे डील करें-

ओवर सेंसिटिव होने से बढ़ती है परेशानियां

जो व्यक्ति ओवर सेंसिटिव होते हैं, उनमें नकारात्मक बातों या सलाह को लेकर इतना अधिक संवेदनशीलता होती है कि ये उनके दिमाग़ के उसी हिस्से में रिकॉर्ड हो जाती हैं, जहां शारीरिक दर्द के लिए जगह होती है। इसलिए वे दिनभर में कई बार छोटी-छोटी बातों को लेकर अपसेट होते रहते हैं। दरअसल, आजकल प्रैक्टिकल अप्रोच के नाम पर मेट्रोज़ में लोगों के बिहेवियर में इतनी बेरूखी है कि सेंसिटिव व्यक्ति ख़ुद को बदले बगैर सुकून से जी नहीं सकते। वैसे भी देखा गया है कि जो लोग अति संवेदनशील होते हैं, वे स्वयं को ही अधिक तनाव और दर्द देते रहते हैं। उन्हें मूड डिसऑर्डर से भी अधिक तकलीफ़ पहुंचती है।

महिलाएं ज्यादा सेंसिटिव

महिलाएं पुरुष के मुक़ाबले ज़्यादा संवेदनशील होती हैं। इसलिए छोटी-छोटी बातों पर वह तुरंत अपनी प्रतिक्रियाएं देती हैं। अमूमन वो किसी से भी भावनात्मक रूप से अधिक जुड़ जाती हैं। ऐसे में जब उन्हें कोई चीज़ ग़लत लगती है, तो वे तुरंत प्रतिक्रिया देती हैं। भले ही समस्या दूसरे की ही क्यों न हो, पर वे स्वयं भी परेशान हो जाती हैं।

आत्मविश्वास बढ़ाए, ओवर सेंसिटिविटी घटाएं

ओवर सेंसिटिव होने से बचने के लिए आपको अपने कॉन्फिडेंस लेवल पर काम करने की ज़रूरत है। यह रातोंरात नहीं हो सकता, लेकिन प्रैक्टिस से आप ऐसा कर सकते हैं। अगली बार जब किसी का कमेंट ख़राब लगे, तो दुखी या उदास होने की बजाय उसे सिंपली जवाब दे दें। और उसी उधेड़बुन में न उलझे रहें। किसी भी बात को पर्सनली न लें।

क्रिएटिविटी की ओर ध्यान दें

ओवर सेंसिटिव व्यक्तियों को चाहिए कि वे अपनी संवेदनशीलता को क्रिएटिव कामों के लिए सहेजकर रखें। इससे न केवल आपका दिलो-दिमाग़ व्यस्त रहता है, बल्कि छोटी-छोटी बातों पर भी अधिक ध्यान नहीं जाता।

ख़ुद की ख़ुशी की परवाह करें

यदि आप हमेशा ख़ुश रहना चाहते हैं, तो ख़ुद से बात करने की आदत डालें। अपना आंकलन ख़ुद करें और इसका अधिकार किसी को न दें। यदि आप अपने विचारों में बदलाव लाएंगे, तो ख़ुद-ब-ख़ुद फीडबैक मिलने शुरू हो जाएंगे। इससे आपको अपने काम में परफेक्शन लाने में भी आसानी रहेगी।अपने सेंसिटिव होने के टैग पर ख़राब महसूस करने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि यह ख़ूबी यह भी जताती है कि आप दूसरों की भावनाओं की भी क्रद करते हैं।