बच्चों से कही गई पेरेंट्स की ये बातें डालती हैं नकारात्मक प्रभाव, बोलें जरा सोच-समझकर

माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे सही राह पर चलें और किसी प्रकार का कोई गलत व्यवहार या जिद ना करें। इसके लिए पेरेंट्स अपने बच्चों की समझाइश भी करते हैं। लेकिन कई बार समझाने के दौरान जाने-अनजाने में बच्चों से पेरेंट्स कुछ ऐसी बातें कह जाते हैं जिसका बच्चों के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं। बच्चों को अनुशासन सिखाने के चक्कर में उनसे कही गई ये बातें उनके व्यवहार में गलत बदलाव भी ला सकती हैं। ऐसे में पेरेंट्स को चाहिए कि जो भी वे बात कह रहें हैं उसका बच्चों पर दूरगामी क्या असर पड़ेगा यह भी जान लें। आज इस कड़ी में हम आपको उन्हीं बातों की जानकारी देने जा रहे हैं जो भूलकर भी माता-पिता को अपने बच्चों से नहीं कहनी चाहिए। आइये जानते हैं इनके बारे में...

काश तुम कभी पैदा नहीं होते

आप कितने भी नाराज क्यों ना हो लेकिन बच्चे से भूलकर भी ना बोलें कि 'काश तुम कभी पैदा नहीं होते'। कोई भी बच्चा अपने पेरेंट से ये नहीं सुनना चाहता है। ये बातें ना सिर्फ आपके बच्चे की भावनाओं को आहत करती हैं बल्कि उसके आत्म सम्मान को भी ठेस पहुंचाती हैं। इससे बच्चे के मन मे ये बात आ सकती है कि उसे कोई पसंद नहीं करता है।

तुम हमेशा गलत फैसला लेते हो

अपने बच्चे को अपरिपक्व होने की सजा ना दें। हर इंसान गलती करता है और अपनी गलतियों से ही सीखता है। हो सकता है कि आपके बच्चे ने पढ़ाई के लिए कोई ऐसा सब्जेक्ट चुना हो जिसमें आपकी रूचि न हो या किसी ऐसी कंपनी में काम कर रहा हो जिस पर आपको बहुत गर्व न हो। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप अपने बच्चे को उसके फैसले के लिए दोषी ठहराएं। पैरंट होने के नाते आपका काम बच्चे को गाइड करना है। अपने विचार बच्चों पर न थोपें।

जल्दी करो वरना मैं तुम्हें यहीं छोड़ दूंगा


कहीं जाना हों और आप लेट हो रहे हों तो बच्चे से कभी ये ना कहें कि जल्दी करो वरना हम तुम्हें यहीं छोड़ कर चले जाएंगे। बच्चों को समय की किमत का अंदाजा बड़ों की तरह नहीं होता है। इस तरह की बातों से उनके मन में खो जाने या फिर छोड़े जाने का डर पैदा होता है। अगर आप लेट हो रहे हैं तो जल्दी करने की बात किसी और तरीके से कहें।

तुम्हारे बस की नहीं है यह काम

बच्चों में एनर्जी का लेवल बहुत ज्यादा होता है। ऐसे में कभी-कभी वे अपनी उम्र से बढ़कर काम करने लग जाते हैं। जैसे, किसी भारी चीज को उठाना। ऐसे में आपको बच्चों को सही से समझाना चाहिए कि वे बड़े होकर कोई भी काम आसानी से कर सकते हैं। आप अगर मजाक में भी कहेंगे कि 'यह काम तुम्हारे बस की बात नहींं है', तो बच्चा खुद को कमतर समझने लगेगा और खुद को प्रूव करने के लिए जबरदस्ती उस काम को करने की कोशिश करेगा।

तुमसे जो कहा जाए वो कभी नहीं करते

अगर आप अपने बच्चे से बार-बार ये बाते कहेंगे तो उसके मन में ये भावना आ जाएगी कि वो कुछ भी सही नहीं कर सकता। अच्छा होगा कि आप इसकी जगह कहें कि मैं चाहता हूं कि तुम इस काम को इस तरीके से करो। आप जो भी चाहते हैं बच्चे को साफ-साफ समझाएं और गलत होने पर भी प्यार से बताएं कि इसे इस तरह से किया जाना था।

तुम्हारी उम्र में तो हम ऐसे थे’

तुम्हारी उम्र में तो हम ऐसा करते थे, हम वैसा करते थे, इस तरह की बातों से बच्चे को यह एहसास कराना कि आपने तो उस उम्र में बहुत कुछ हासिल कर लिया था, इससे बच्चे का मोटिवेशन बढ़ेगा यह सोच गलत हो सकती है। ज़रूरी तो नहीं कि जो क्षमता आप में हो वह बच्चे में भी हो। खुद के और बच्चे के बीच कभी तुलना ना करें।

काश कि तुम अपने भाई/बहन की तरह होते

दूसरों के साथ तुलना किसी को भी पसंद नहीं होता। बच्चों को अपनी की गई चीज की तारीफ ज्यादा पसंद आती है। इस तरह की बात बच्चे के मन में अपने भाई/बहन के लिए प्रतिद्वंद्विता की भावना बढ़ाएगी। बच्चे की मन में ये बात बैठ जाती है कि वो अपने भाई-बहन की तरह अच्छा कभी नहीं बन सकता। याद रखें कि हर बच्चा अलग होता है और उसकी अपनी खासियत होती है।

मुझे तुम पर नहीं है विश्वास

अगर बच्चा आपके पास अपनी कोई भी समस्या लेकर आया है और आप बच्चे पर विश्वास करने के बजाय उसे यह कह दें कि आपको उसपर विश्वास ही नहीं हैं तो फिर आप दोनों के बीच कभी वे बॉन्डिंग ही नहीं बन पाएगी। अगर आप चाहते हैं कि फुटबॉल ग्राउंड से लेकर स्कूल तक की हर बात का ब्यौरा बच्चा आपको दे तो सबसे पहले आप अपने एक्शन से, अपने बिहेवियर से बच्चे को बताएं कि आपको उस पर विश्वास है।