बच्चो के स्वभाव की नींव उनके बचपन से ही पड़ जाती हैं और यह जीवनभर उनके व्यवहार में देखने को मिलती हैं। ऐसे में जरूरी हैं कि बच्चों को बचपन से ही अच्छी सीख दी जाए ताकि भविष्य में वे नेक इंसान बनकर सामने आए। उन्हें अगर कम उम्र में ही सही और गलत आदतों के बारे में बता दिया जाए तो इसके बेहतर परिणाम देखने को मिलते हैं। कई बार देखने को मिलता हैं कि बच्चे कम उम्र में ही झूठ बोलना शुरू कर देते हैं और यह आदत नहीं छूटती हैं तो आगे चलकर उसकी पर्सनैलिटी का हिस्सा बन सकती है। ऐसे में पेरेंट्स की जिम्मेदारी हैं कि बच्चों की इस आदत को बदला जाए जिसके लिए आज हम आपको कुछ टिप्स बताने जा रहे हैं। ये टिप्स फॉलो कर आप बच्चों की इस आदत को आसानी से खत्म कर सकते हैं। आइये जानते हैं इसके बारे में...
बच्चों के रोल मॉडल बनें
डॉक्टर समीर पारिख जी बताते हैं कि बच्चे जब झूठ बोलते हैं तो सबसे पहली बात ये होती है कि वो दूसरों को झूठ बोलते हुए देखते हैं। इसे ऑब्जरवेशन लर्निंग कहा जाता है। माता पिता के लिए और आस-पास के सभी बड़ों को बच्चों के आगे झूठ बोलने से बचना चाहिए। बच्चों के रोल मॉडल बनें और उनके सामने झूठ न बोलें।
पूछने का तरीका बदलें
कई बार हम बच्चों से जिस तरह के सवाल पूछते हैं, वही उनके झूठ बोलने का कारण बनता है- जैसे ब्रश किया या रूम साफ किया या नहीं। ऐसा पूछने से वह खुद को बचाने के लिए झूठ बोलते हैं। पूछने का तरीका ऐसा हो कि कमरा कैसे अौर कब साफ करने वाले हो, डांट की आशंका न देख वह सही जवाब देंगे।
समस्या का समाधान ढूंढें
यदि बच्चा कभी कोई गलती करे तो माता -पिता को बच्चे के साथ बैठकर उस समस्या का समाधान खोजने की कोशिश करनी चाहिए। कितनी भी बड़ी समस्या क्यों न हो उसे शांति से सुलझाते हुए समाधान निकालें। पेरेंट्स की इस आदत से बच्चे को हमेशा ऐसा लगेगा कि किसी भी परेशानी को मिलजुलकर सुलझाया जा सकता है और वो झूठ बोलने से बचेगा।
डूज एंड डोंट्स बताएं
कई बार बच्चों को बताना पड़ता है कि उन्होंने गलती की है, लेकिन गलती से सीखने को मिला है, यह जानने के बाद वह डरेगा नहीं और सीखने की कोशिश करेगा। 5 साल तक के बच्चों को खुद पता नहीं चलता कि झूठ बोलने से क्या नुकसान है। उन्हें बताएं कि क्या करना है और क्या नहीं।
सच बोलने पर सराहना जरुर करें
यदि बच्चे से कोई गलती हो गई है और वो हिम्मत करके आपको अपनी बात बता रहा है तो आप उसे डांटने की बजाय उसकी तारीफ करें। आप बच्चे की सच बोलने के लिए तारीफ जरुर करें। ऐसा करने से बच्चे को भविष्य में सच बोलने का प्रोत्साहित मिलेगा और धीरे-धीरे बच्चे झूठ बोलना कम कर देंगे।
बिना शर्त वाला प्यार दें
बच्चों काे इस बात का पूर्ण विश्वास होना चाहिए कि उन्हें बिना शर्त प्यार किया जाए। भले ही उन्होंने झूठ बोला हो। बच्चे को किए जाने वाले प्यार का कम या ज्यादा होना झूठ के हिसाब से तय नहीं होगा। यह बच्चा जान लेगा तो वह डरेगा नहीं और झूठ नहीं बोलेगा। ये डर ही है जिसकी वह झूठ बोलता है।
बच्चों को डांटने से बचें
माता-पिता कई बार बच्चों के साथ बहुत ही कठोर हो जाते हैं। उनकी हर छोटी-बड़ी गलती पर उन्हें सजा देना ही बेहतर समझते हैं। मगर ऐसे बच्चों में डर पैदा हो जाता है और वो ज्यादा कठोर बन जाते हैं। कई बार बच्चे इसलिए झूठ बोलने लगते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि कोई गलती करने पर उन्हें डांट पड़ेगी। किसी भी तरह की प्रताड़ना से बचने के लिए भी बच्चे झूठ बोलना सीख जाते हैं और ये उनकी आदत में शुमार हो जाता है। बच्चों को इतनी स्पेस दें कि अगर उन्होंने कोई गलती भी की है तो उसे शेयर करने के लिए बच्चों को फ्रीडम दें। बच्चे जब अपनी गलती माता -पिता को बताएं तब उन्हें डांटने या सजा देने की बजाय उनकी तारीफ करें, जिससे वो आगे कभी भी झूठ नहीं बोलेंगे। इस व्यवहार को शॉपिंग ऑफ़ बिहेवियर कहते हैं।
प्यार से समझाएं
कांच का गिलास या कुछ अन्य टूट फूट हो जाए तो हम बच्चे से पूछेंगे कि किसने तोड़ा? इस सवाल के बाद उसे पता है कि पापा थप्पड़ मार सकते हैं। इस डर से वह झूठ बोल देगा कि गिलास उसने नहीं तोड़ा है। ऐसी स्थिति से बचें, उसे प्यार से समझाएं अौर प्यार से ही कोई सवाल करें। बच्चा गलती करके आपसे अपनी परेशानी बताने के लिए आए तो आप उसे डांटने फटकारने की जगह समाधान निकालने का प्रयास करें। ऐसा करने से बच्चे का हौंसला और भी बुलंद होगा और भविष्य में भी आपसे अपनी बात कहने के लिए हिचकिचाएगा नहीं। इसके साथ आपका बच्चा आपके साथ कभी झूठ भी नहीं बोलेगा।