इन 5 संकेतों से जानें आपका बच्चा अनुशासनहीन तो नहीं, समझाइश कर लाएं उनमें सुधार

माता-पिता अपने बच्चों की अच्छी परवरिश करते हुए उन्हें नेक इंसान बनाना चाहते हैं कि वे उनका कहना माने इर बड़ों का आदर करें। आपकी परवरिश ही बच्चों को सही राह पर ले जाती हैं अन्यथा उन्हें भटकने में समय नहीं लगता हैं। ऐसे में बच्चों को शुरू से ही अनुशासन में रहना सिखाना जरूरी हैं। बच्चों की अनुशासनहीनता कई बार आपको दूसरों के सामने शर्मिंदा कर सकती हैं। आज इस कड़ी में हम आपको उन संकेतों के बारे में बताने जा रहे हैं जो दर्शाते हैं कि आपक बच्चा अनुशासनहीन हैं और कैसे उसमें सुधार लाया जाए। तो आइये जानते हैं इसके बारे में...

आपका बच्चा 'न' नहीं सुन सकता

अगर आपका बच्चा आपके किसी चीज को मना करने के बाद काफी गुस्सा हो जाता है और रोने जैसे नखरे करने लगता है तो समझ जाइए उन्हें यह अनुशासन किसी और ढंग से सिखाना चाहिए। इसके लिए आप उन्हें डायरेक्ट मना करने की बजाए कुछ अन्य तरीकों से मना कर सकते हैं। जैसे अगर वह एक चीज मांग रहे हैं तो आप उन्हें उसके दुष्परिणाम और उसकी बजाए किसी और चीज के लाभ गिनवा कर मना कर सकते हैं।

आपके बच्चा गुस्सैल है

अगर आपका बच्चा दूसरों के सामने काफी गुस्सैल रवैया रखता है और उसमें प्यार और सहानुभूति भावना की कमी है, तो आप उसे यह समझाएं कि दिल से अच्छा बनने में कितना मजा है। जब आपका बच्चा कुछ अच्छा काम करता है तो आपको उन्हें कोई तोहफा या फिर उनकी तारीफ कर सकते हैं। इससे प्रभावित हो कर वह आगे भी ऐसा ही काम करने की सोचेंगे।

आपका बच्चा दूसरों को हर्ट कर देता है

अगर आपके बच्चे दूसरों को कुछ ऐसी बात बोल देते हैं जिससे वह काफी हर्ट हो सकते हैं। आपके बच्चे को इस व्यवहार के लिए बुरा भी नहीं लगता है तो उनमें यह भावना आनी जरूरी होती है। इसके लिए आप उनसे वैसी बातें करके देख सकते हैं जैसी वह दूसरों के साथ करते हैं और फिर उनसे पूछे कि उन्हें कैसा महसूस हुआ। इसके बाद वह खुद में बदलाव लाना जरूर शुरू कर देंगे।

आपकी फीलिंग का बच्चे को कोई फर्क नहीं पड़ता

अगर आपका बच्चा आपके बारे में कुछ महसूस नहीं करता है या जब आप उसे डांटते है तो उसे बुरा नहीं लगता है तो यह सही नहीं। इस स्थिति में उन्हें और अधिक डांटने से वह और अधिक ढीठ बन सकते हैं। इसलिए अपने शब्दों में थोड़ा बदलाव लाएं। अगर वह लेट हैं या उन्होंने कोई गलती की है तो आप उन्हें बुरा बताने की बजाए अपने गुस्से को स्वीकार कर सकते है और उनसे थोड़ा सॉफ्टली बात कर सकते हैं।

अपनी गलतियों का दोष किसी और पर लगाते हैं

अगर आपका बच्चा अभी से अपनी गलती स्वीकारना नहीं सीखेगा तो वह आगे भी काफी झूठ बोलना सीख सकता है। इसलिए उसे अपनी गलतियां दूसरों के सिर नहीं डालनी चाहिए, यह सिखाना काफी जरुरी है। आप बच्चे को यह बोल सकते हैं कि अगर उन्हें अपनी गलती के बारे में कुछ स्वीकार करना हो और वह नहीं चाहता कि आप उन्हें डांटे तो वह किसी कागज पर लिख कर आपको बता सकता है और इस स्थिति में आपको भी गुस्से में न हो कर प्यार से उन्हें समझाना चाहिए।