दीवाली के शुभ मौकों पर सभी की इच्छा होती हैं कि कोई आभूषण ख़रीदा जाये। महिलाएं अपने श्रृंगार में कई गहनों को शामिल करती है, विशेषकर सोने के गहनों का पहनने का शौक महिलाओं में सबसे ज्यादा होता है। सोने के गहनों की खरीदारी करते हुए आप इतने उत्साहित होते हैं कि कई बार अपने उत्साह में ये भूल जाते हैं कि आपके साथ ठगी भी हो सकती है। खासतौर से दीवाली सीजन में ज्वेलर्स बहुत ठगी करते हैं। भीड़भाड़ और समय कम होने के कारण जिन छोटी-छोटी बातों पर आप ध्यान नहीं दे पाते, वहीं ज्वेलर्स ठगी कर देते हैं। अगर आप सोने खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान पहले से रखना होगा।
# सोने के गहनों की कीमत को विभाजित करके देखें। यानी कि गहने की जो भी कीमत है, उसमें मेकिंग चार्ज कितना और जीएसटी कितना है आदि। सोने का गहना खरीदने से पहले गहने का वजन जरूर देखें।
# अक्सर हम सोने के टुकड़े को मुँह से काटकर परीक्षण करते हैं कि असली है या नकली। जब ओलंपिक खिलाडियों को सोने का मेडल मिलता है, तो वे भी उसे मुँह से काटते हैं। भले ही यह प्रक्रिया काम करे या ना करे यह अलग बात है। अपने सोने के टुकड़े को मध्यम दबाव से काटें। सोने पर निशान देखें अगर सोना असली है, तो आपके दांतों के निशान गहरे मिलेंगे।
# सोने की कीमत कम है इसलिए अगर आप अपने पुराने गहने बदलकर कुछ नया बनवाना चाहते हैं तो हो सकता है आपको गहने का वेस्टेज ज्वेलर को देना पड़े। आमतौर पर यह मानते हैं कि सोने के गहनों को दूसरे गहने में बदलते वक्त कुछ हिस्से का नुकसान होता है लेकिन जौहरी इसे वापस निकाल लेते हैं। ऐसे में वेस्टेज चार्ज के नाम पर ठगे जाने की आशंका भी बढ़ जाती है।
# सोना खरीदते वक्त उसकी क्वॉलिटी पर जरूर गौर करें। सबसे अच्छा है कि हॉलमार्क देखकर सोना खरीदें। हॉलमार्क सरकारी गारंटी है। हॉलमार्क का निर्धारण भारत की एकमात्र एजेंसी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) करती है। इसका एक फायदा यह भी है कि जब आप इसे बेचने जाएंगे या रिप्लेस करने जाएंगे तो इसमें से डिप्रेसिएशन कॉस्ट नहीं काटी जाएगी।
# अगर सोने का सिक्का खरीद रहे हैं तो: असली और नकली सिक्कों की पहचान वे उसकी खनक से करते हैं। मेटल पर असली चांदी का सिक्का गिराने पर भारी आवाज, जबकि नकली सिक्का लोहे की तरह खनकता है। प्राचीन और विक्टोरियन सिक्के गोल व घिसे रहते हैं, जबकि नकली सिक्कों के किनारे कोर खुरदुरी रहती है।