अचरज में डालती हैं भारत की ये अजीबो-गरीब परंपराएं, विश्वास कर पाना भी मुश्किल

भारत विविधताओं और संस्कृति से भरा देश है जहां के हर हिस्से की अपनी एक अलग ही कहानी हैं। ऐसे में देश के विभिन्न हिस्सों से जुड़ी अपनी कुछ मान्यताएं और परंपराएं हैं। ये परंपराएं यहां प्राचीन समय से मनाई जा रही हैं। लेकिन भारत में मनाए जाने वाले त्यौहारों के बीच कुछ परंपराएं अपने आप में असामान्य हैं जिन पर विश्वास कर पाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। कहीं रीति-रिवाज के नाम पर किसी की शादी कुत्ते-मेंढक से करा दी जाती है तो कहीं मन्नत पूरी करने के लिए लोग दौड़ती गायों के रास्ते में लेट जाते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको देश की कुछ ऐसी ही विचित्र और अजीबो-गरीब परंपराओं के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपको भी सोचने पर मजबूर कर देगी। आइये जानते हैं इनके बारे में...

शादी के लिए कुंवारे लड़कों की लाठियों से पिटाई

राजस्थान के जोधपुर में कुंवारे लड़कों को लाठियों से पीटने का रिवाज है। इन्हें पीटने का काम सुहागन महिलाएं करती हैं। लड़के भी चुपचाप मार खाते हैं। अब इस परंपरा में विदेशी महिलाएं भी शामिल होती हैं। महिलाएं सज-संवर कर घरों से लाठियां लेकर निकलती हैं। ऐसा माना जाता है कि जिन लड़कों की पिटाई होती है, अगले एक साल में उनकी शादी हो जाती है।

मेंढक की शादी

आपने भारत में आमतौर में पेड़ से शादी करने वाले लोगों के बारे में सुना होगा लेकिन कभी आपने मेंढक की शादी के बारे में सुना है? अगर नही सुना है तो आप थोड़ा आश्चर्यचकित हो सकते हैं लेकिन यह बिल्कुल सत्य है। हमारे देश के ही कुछ हिस्सों में अच्छी बारिश के लिए मेंढक और मेंढकी की शादी पूरे रीति-रिवाज से कराई जाती है। दरअसल, असम के जोरहाट जिले के गाँव के लोगों का मानना है कि अगर पारंपरिक हिंदू विवाह में जंगली मेंढकों की शादी की जाती है, तो इससे लंबे समय तक सूखे का अंत होता है और कुछ दिनों के भीतर भारी बारिश होती है। और इन मेढको की शादी सभी हिंदू विवाह परंपराओं का पालन करते हुए कराई जाती हैं। जिसमें पुजारी भी सम्मिलित होते हैं।

बच्चों को 50 फीट की ऊंचाई से नीचे फेकना

महाराष्ट्र के शोलापुर में बाबा उमर की दरगाह में बहुत ही अजीबोगरीब परंपरा है। यहाँ हिंदू और मुस्लिम अपने बच्चों को करीब 50 फीट की ऊंचाई से नीचे फेंकते हैं और नीचे खड़े लोग उन बच्चों को चादर से पकड़ते हैं। उनका मानना है की ऐसा करने से बच्चों का स्वास्थ्य और शरीर मजबूत होता है। यह परंपरा 700 साल से अधिक समय से चली आ रही है।

जलते अंगारों पर चलना

तमिलनाडु में लोकप्रिय तिमिथी नामक त्योहार भारत की सबसे विचित्र परम्परायों में से एक है। इस उत्सव में भक्त हिंदू देवी द्रौपती अम्मान का सम्मान करने के लिए जलते हुए कोयला पर नंगे पैर चलकर त्योहार मनाते हैं। यदि आपको लगता है कि भक्त गर्म कोयले में तेजी से चल सकते हैं, तो आप फिर से गलत है! देवी को प्रसन्न करने के लिए, भक्तों को वास्तव में धीमी गति से चलना पड़ता है। जो वास्तव में बहुत खतरनाक और दर्दनाक है।

सिर पर नारियल फोड़ना

यूं तो भारत में आस्था के नाम पर कई चीजें की जाती है, लेकिन ऐसे ही हैरतंगेज किस्सों मेें शामिल है भक्तों के सिर पर नारियल फोड़ना। दरअसल ये काम तमिलनाडू के एक मंदिर में होता है। माना जाता है कि सिर पर नारियल फोड़ने से देवता प्रसन्न होंगे और कस्बों को समृद्धि और कल्याण की ओर ले जाएंगे। नारियल फोड़ने के दौरान कई लोग चोटिल भी होते हैं। खून को रोकने और घाव को भरने के लिए मंदिर के पुजारी भक्तों के सिर पर हल्दी और अगरबत्ती की राख लगाते हैं। इस परंपरा का स्थानीय लोगों द्वारा बहुत निष्ठा के साथ पालन किया जाता है।

पहाड़ बताता है शिशु का लिंग

झारखंड के खुखरा गाँव में अनोखी परंपरा है जो पिछले 400 सालों से चली आ रही है। इस गाँव में एक पहाड़ पर बनीं हुई एक चाँद की आकृति है। गाँव के लोगों का मानना है की चाँद की आकृति वाला ये पहाड़ गर्भ में पल रहे शिशु का लिंग बता देता है। गर्भवती महिलाएँ कुछ दूरी से पत्थर फेंकती हैं। अगर यह पत्थर चाँद की तरह बनीं हुई आकृति के अंदर लगता है तो इसका मानना यह है कि गर्भ में लड़का है। अगर बाहर लगे तो गर्भ में लड़की पल रही है। इस परंपरा पर गाँव वालों का अटूट विश्वास है।

इंसान की पीठ के ऊपर से गायों का चलना

गरबड़ा गुजरात का एक शहर है जहाँ गरबड़ा एकादशी के दौरान भारत की सबसे अजीबो गरीब परम्परा को देखा जा सकता है। बता दे यह शहर लोगो की पीठ के उपर से गायों के चलने की परंपरा का घर है। जो कभी कभी अत्यंत दर्दनाक और खतरनाक साबित होता है। चूँकि हिंदू धर्म में गायों को पवित्र माना जाता है। इसलिए माना जाता है कि गायों के आपके ऊपर रौंद कर निकलने से आपकी समस्याएं कम हो जाएंगी।

जिन्दा बच्चों को मिट्टी में दफनाना

उत्तरी कर्नाटक और आंध्रप्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बड़ी अजीब परंपरा है। जहाँ बच्चों को शारीरिक और मानसिक विकलांगता से बचाने के लिए जमीन में गले तक गाड़ दिया जाता है। इसके पीछे मान्यता यह है कि मिट्टी काफी पवित्र होती है और इस रिवाज के तहत बच्चों को 6 घंटों तक मिट्टी के अंदर रखा जाता है।

मृत व्यक्ति का शरीर खाना

भारत के वाराणासी में अघोरी बाबा रहते हैं। यह मृत व्यक्ति के शरीर के टुकड़े और मांस के लूथड़े खाने के लिए कुख्यात हैं। इनका मानना है कि ऐसा करना से इनके मन से मौत का डर हमेशा के लिए चला जाएगा। इसके अलावा इन्हें आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति हो जाएगी। हिंदू मान्यता के मुताबिक, पवित्र व्यक्ति, बच्चे, गर्भवती, कुवारी लड़कियां, कुष्ठ रोग और सांप के काटे जाने वाले व्यक्ति का दाह संस्कार नहीं किया जाता है। इन सभी को गंगा नदी में बहा दिया जाता है। अघोरी बाबा इन्हें वहाँ से निकाल अपने रस्म पूरी करते हैं।