World Poha Day 2025: क्यों इंदौरियों के दिल की धड़कन है पोहा? जानिए इसका दिलचस्प इतिहास

सुबह उठते ही सबसे पहला सवाल अक्सर यही होता है कि क्या खाया जाए। चाहे रविवार की आरामदायक सुबह हो, किसी व्यस्त दिन की भागदौड़ भरी सुबह या दिन के किसी भी समय की बात हो, कई लोग इसे आराम से खाना पसंद करते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि हम किस चीज की बात कर रहे हैं। तो बता दें, हम बात कर रहे हैं पोहे की। प्याज, आलू, मूंगफली और नींबू के रस के साथ मुलायम पोहा खाने से सेरोटोनिन का स्तर बढ़ता है, जो मूड को अच्छा बनाता है। यह हल्का और स्वादिष्ट होता है। अगर इसे एक परफेक्ट कॉम्बो कहा जाए तो गलत नहीं होगा। आप इसे हर जगह पा सकते हैं — स्कूल हो या ऑफिस का लंचबॉक्स, यह सबका पसंदीदा बन जाता है। यह चपटा चावल जिसे हम प्यार से पोहा कहते हैं, एक साधारण सी चीज़ है जिसे हर कोई दिल खोलकर अपनाता है। इंदौर की बात करें तो वहां पोहा उसकी पहचान बन चुका है।

भारत के लाखों लोगों के दिल में पोहे की एक खास जगह है। इसकी खासियत यह है कि इसे अपनी पसंद और स्वाद के अनुसार बनाया जा सकता है। यह एक खाली कैनवास की तरह है, जो आप जिस भी सामग्री के साथ मिलाएं, उसका स्वाद बखूबी अपनाता है। चाहे वह प्याज, आलू और मसालों के साथ एक मसालेदार व्यंजन हो या गुड़ और नारियल के साथ एक मीठा व्यंजन, पोहा हर स्वाद के अनुरूप ढल जाता है। इसलिए, चाहे आप एक गर्माहट भरे नाश्ते की तलाश में हों या आरामदायक रात के खाने के लिए तरस रहे हों, पोहा हमेशा आपकी भूख को पूरा करने के लिए तैयार है। इसी कला और लोकप्रियता के चलते हर साल 7 जून को विश्व पोहा दिवस मनाया जाता है और इसे बड़े उत्साह से सेलिब्रेट किया जाता है।

कैसे बना पोहा इंदौर की जान

इंदौर, जिसे मिनी मुंबई के नाम से भी जाना जाता है, वहां हर छोटी दुकान से लेकर बड़े रेस्टोरेंट में पोहे को खास जगह दी गई है। लोग पोहे के दीवाने हैं। इंदौर से शुरू हुआ यह खास नाश्ता आज पूरे भारत में फेमस हो गया है। यह इतना किफायती है कि इसे हर वर्ग के लोग खरीदकर खा सकते हैं।

बच्चे हों या बूढ़े, पोहा ज्यादातर लोगों को पसंद होता है। पर यह कैसे भारत के हर कोने तक पहुंचा, इसकी कहानी काफी रोचक है। पोहा इंदौरियों की जान है और वे इसे बड़े चाव से खाना पसंद करते हैं। कहा जाता है कि पोहा इंदौर में आजादी के करीब दो साल बाद आ चुका था। महाराष्ट्र के रहने वाले पुरुषोत्तम जोशी जब अपनी बुआ के घर इंदौर आए, तो वहां उन्हें नाश्ते में पोहा खिलाया गया। वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इंदौर के जायके का लुत्फ उठाया। उन्होंने तिलक पथ पर ‘उपहार गृह’ नाम से एक दुकान खोली और पोहा बेचना शुरू कर दिया। यहीं से पोहे की कहानी की शुरुआत हुई।

पोहे के अलग-अलग नाम

7 जून को विश्व पोहा दिवस मनाया जाता है। इसे मनाने की शुरुआत इंदौरी कलाकार राजीव नेमा ने की थी। पोहे को अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में इसे ‘पोहे’ के नाम से जाना जाता है, बंगाल और असम में ‘चिड़ा’, तेलुगु में ‘अटुकुलू’ और गुजरात में ‘पौआ’ के नाम से।

पोहे की रेसिपी


पोहे के बारे में इतनी बातें सुनकर अगर आपका भी मन इसे खाने का कर गया है, तो हम लेकर आए हैं पोहे से बनने वाली झटपट रेसिपी। यकीन मानिए, अगर आप इस रेसिपी को फॉलो करेंगे, तो महज 5-10 मिनट में आपके सामने पोहे की एक लजीज प्लेट होगी, जिसे आप चाय या अपनी पसंदीदा ड्रिंक के साथ, या फिर जलेबी के साथ खा सकते हैं। तो चलिए जानते हैं पोहा बनाने की क्विक रेसिपी।

पोहा बनाने के लिए सामग्री


पोहा – 1 कप

मूंगफली – 2 चम्मच

राई

करी पत्ता

हरी मिर्च

नमक

टमाटर

हल्दी

मटर

शिमला मिर्च

रेसिपी


- सबसे पहले पोहे को अच्छे से धोकर उसका पानी निकालकर रख दें।
- कढ़ाई में तेल डालें और उसमें राई डालें। जब राई तड़कने लगे, तो इसमें प्याज, हरी मिर्च, करी पत्ता और मूंगफली डालकर कुछ देर पकाएं।
- जब मूंगफली भुन जाए, तो इसमें मटर, शिमला मिर्च और टमाटर डालकर अच्छी तरह मिक्स करें।
- अब इसमें नमक और हल्दी डालकर मिलाएं और ढककर पकाएं जब तक टमाटर गल न जाए।
- इसके बाद भीगा हुआ पोहा डालें। यदि आप तीखा पसंद करते हैं तो इसमें लाल मिर्च भी मिला सकते हैं।
- कुछ लोग इसे हल्का मीठा पसंद करते हैं, तो शुरुआत में थोड़ी सी चीनी भी डाल सकते हैं।
- लाजवाब पोहा तैयार है, अब इसे गरमा गरम सर्व करें।