छुट्टियां मनाने के लिए बेहतरीन जगह है भठिंडा, इतिहास और संस्कृति का लाजवाब संगम

झीलों के शहर भठिंडा को पहले बिक्रमगढ़ के नाम से जाना जाता था। इस प्राचीन शहर को 3000 साल से अधिक पुराना माना जाता है और यह कुषाण राजा कनिष्क के शासनकाल के तहत कुषाण साम्राज्य का एक हिस्सा हुआ करता था। इस शहर पर इतिहास के प्रमुख शासकों जैसे गजनी, मुहम्मद गोरी, पृथ्वीराज चौहान, इल्तुतमिश, रजिया सुल्तान और मुगलों का राज रहा है। इस शहर की इमारतों पर वास्तुकला की बात करें तो इसमें इस्लामी अफगान शासन के इतिहास की झलक देखने को मिलती है क्योंकि इन्होंने कई दशक बठिंडा पर राज किया है। इस शहर की इमारतों पर वास्तुकला की बात करें तो इसमें इस्लामी अफगान शासन के इतिहास की झलक देखने को मिलती है क्योंकि इन्होंने कई दशक बठिंडा पर राज किया है। इतिहास और संस्कृति को अपने में समेटे बठिंडा में आप छुट्टियां मनाने आ सकते हैं।

ऐसे पहुंचे बठिंडा- हवाई मार्ग द्वारा

बठिंडा पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा लुधियाना में स्थित है जो शहर से लगभग 150 किमी दूर है। रेल मार्ग द्वारा: बठिंडा रेलवे स्टेशन शहर के केंद्र में स्थित है और देश के प्रमुख शहरों से यहां नियमित ट्रेनें आती हैं। सड़क मार्ग द्वारा: बठिंडा रोडवेज के माध्यम से आसपास के शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। बस से बठिंडा आसानी से पहुंचा जा सकता है क्योंकि बठिंडा बस स्टेशन शहर के केंद्र में स्थित है।

बठिंडा आने का सही समय

बठिंडा आने का सही समय अक्टूबर से मार्च के सर्दियों के महीने बठिंडा शहर की यात्रा के लिए सबसे अनुकूल समय है। इन महीनों में मौसम सुहावना बना रहता है और तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है।

बीर तालाब चिडियाघर
समृद्ध प्राकृतिक अभयारण्य में कई प्रकार के जानवरों के साथ-साथ मगरमच्छ, हिरण, कछुए और अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों के पशु रहते हैं। पूरा चिड़ियाघर हरी-भरी घनी वनस्पतियों से ढका है और विभिन्न प्रजातियों के पौधे भी यहां देखने को मिलते हैं। रेड क्रॉस सोसाइटी द्वारा वर्ष 1978 में स्थापित ये चिड़ियाघर 161 एकड़ भूमि के क्षेत्र में फैला हुआ है।

झील

थर्मल पावर प्लांट के पास स्थित बठिंडा झील पर आप शाम के समय कुछ खुशनुमा पल बिता सकते हैं। झील के किनारे कई भोजनालयों और रेस्टोरेंट हैं। टहलने के लिए ये जगह बिलकुल सही है। कश्मीरी शिकारा स्टाइल नौकाओं में नौका विहार जैसी सुविधाओं के साथ-साथ बठिंडा झील में मनोरंजक गतिविधियों का आनंद भी ले सकते हैं।

किला मुबारक

यह ईट का बना सबसे पुराना और ऊंचा स्मारक है। इसका इतिहास थोड़ा अद्भुत है। राजा बीनपाल जो कि भाटी राजपूत थे, इस किले का निर्माण लगभग 1800 साल पहले करवाया था। इसी किले में पहली महिला शासिका रजिया सुलतान को 1239 ईसवीं में कैद कर लिया गया था। रजिया सुलतान को उसके गर्वनर अल्तूनिया ने कैद किया था। दसवें सिख गुरू, गुरू गोविन्द सिंह इस किले में 1705 के जून माह में आए थे और इस जगह की सलामती और खुशहाली के लिए प्रार्थना की थी।पटियाला राज्य के महाराजा आला सिंह ने इस किले को 1754 में अपनी अधीन कर लिया था। और इस किले का नाम गोविन्दघर कर दिया गया। लेकिन जल्द ही इस जगह को बकरामघर के नाम से बुलाने जाने लगा। इस किले के सबसे ऊपर गुरूद्वारे का निर्माण करवाया गया है। इस गुरूद्वारे का निर्माण पटियाला के महाराजा करम सिंह ने करवाया था।