दिवाली पर करना चाहते हैं ऐतिहासिक सफ़र, करें भारत के इन विशाल किलों की सैर

भारत को अपने पर्यटन के लिए जाना जाता हैं जहां देखने लायक कई चीजें हैं। खासतौर से देश के विशाल किले जो अपना समृद्ध इतिहास रखते हैं और कई कहानियां कहते हैं। भारतीय किले ऐतिहासिक युगों की यात्रा करवाते हैं और वास्तुकला का बेहतरीन उदहारण पेश करते हैं। इन किलों की भव्यता आपको सोचने पर मजबूर कर देगी कि बिना मशीनों के किस तरह इनका निर्माण किया गया हैं। दिवाली के दिनों में घूमने की चाहत रखते हैं और इतिहास के शौक़ीन हैं तो भारत के इन विशाल किलों की सैर की जा सकती हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में।

मेहरानगढ़ किला

राजस्थान के जोधपुर शहर में 410 फीट ऊंची पहाड़ी की चोटी पर स्थित मेहरानगढ़ किला भारत का सबसे बड़ा किला है जो लगभग 1200 एकड़ के विशाल एरिया में फैला हुआ है। बता दे 1459 में राव जोधा द्वारा निर्मित इस विशाल किले को मेहरान किले के रूप में भी जाना जाता है। मेहरानगढ़ किला 68 फीट चौड़ी और 117 फीट लंबी दीवारों द्वारा संरक्षित है जिसके अन्दर कई संरचनायें समाई हुई है। इस किले का प्रवेश द्वारा एक पहाड़ी के ऊपर है जो बेहद शाही है। किले में सात द्वार हैं जिनमें विक्ट्री गेट, फतेह गेट,भैरों गेट, डेढ़ कामग्रा गेट, फतेह गेट, मार्टी गेट और लोहा गेट के नाम शामिल है। इस किले में पर्यटकों को आकर्षित कर देने वाले सात द्वारों के अलावा मोती महल (पर्ल पैलेस), फूल महल (फूल महल), दौलत खाना, शीश महल (दर्पण पैलेस) और सुरेश खान जैसे कई शानदार शैली में बने कमरें हैं।

ग्वालियर का किला

ग्वालियर का किला मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। बता दे ग्वालियर का किला भारत के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण किले में से एक है जिसे भारत का “जिब्राल्टर” भी कहा जाता है। इस किले का निर्माण 8वीं शताब्दी में हुआ था और तब से कई राजाओं ने मुगलों और ब्रिटिशों के साथ मिलकर इस जगह पर राज किया और उन्होंने यहाँ कई स्थानों का निर्माण भी करवाया। इस किले को लेकर बताया जाता है कि मुगल सम्राट बाबर ने यहाँ के बारे में कहा था कि यह हिंद के किलों के गले में मोती के सामान है। ग्वालियर के किला का ऐतिहासिक महत्त्व काफी जाड्या है जो इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस किले को बड़े ही रक्षात्मक तरीके से बनाया गया है, इस किले के दो मुख्य महल है एक गुजरी महल और दूसरा मान मंदिर हैं। इनके अलावा भी किले के अन्दर पानी के टैंक, कर्ण, जहागीर जैसी कई संरचनायें है जिन्हें पर्यटक देख सकते है। ग्वालियर किले की सुन्दरता और विशालता का वर्णन शब्दों में करना कठिन हैं इसीलिए यदि आप इस विशाल किले की भव्यता से रूबरू होना चाहते है तो एक बार यहाँ घूमने जरूर आयें।

लाल किला

भारत की राजधानी दिल्ली में 254 एकड़ भूमि में फैला हुआ लाल किला भारत का तीसरा सबसे बड़ा किला है। लाल किला उन प्रतिष्ठित स्मारकों में से एक है जिनका इतिहास 17वीं शताब्दी का है। इसे लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है, इसलिए इसे आमतौर पर लाल किला के नाम से जाना जाता है। अष्टकोणीय आकार यह विशाल किला फारसी और भारतीय वास्तुकला का एक आकर्षक संयोजन है। भारत के सबसे विशाल किले में से एक लाल किला के अन्दर दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, नहर-ए-बशिष्ठ और मोती मस्जिद जैसे कई आकर्षण शामिल हैं। इंटीरियर कीमती पत्थरों और फूलों के रूपांकनों से सुशोभित है जो मुगल वास्तुकला का एक अभिन्न अंग है। किले को बाहरी हमलों से बचाने के लिए इसके चारों ओर एक विशाल दीवार बनाई गई थी। जबकि किले मुख्य दो प्रवेश द्वार हैं जिन्हें लाहौर गेट और दिल्ली गेट के नाम से जाना जाता है।

गोलकोंडा किला

हैदराबाद शहर में हुसैन सागर झील से लगभग 9 किमी की दूरी पर स्थित गोलकोंडा का किला भारत के विशाल किले में से एक है। यह किला इस क्षेत्र के सबसे संरक्षित स्मारकों में से एक है जिसका निर्माण 1600 के दशक में पूरा हुआ था। गोलकोंडा एक बहुत ही भव्य संरचना है जो 400 फीट की पहाड़ी पर 7 किमी की परिधि के साथ निर्मित है। यह किला हिंदू-इस्लामिक वास्तुकला शैली को प्रदर्शित करता है। इस किले में 8 गेट और 87 गढ़ और तीन विशाल किलेबंदी दीवारें हैं। किले में प्रवेश के लिए आठ द्वार है जिनमे फतेह दरवाजा किले का मुख्य द्वार है, यह दरवाजा 13 फीट चौड़ा और 25 फीट लंबा है। भारत के सबसे बड़े किले में से एक रूप में प्रसिद्ध यह किला उस क्षेत्र के रूप में प्रतिष्ठित है, जहां एक बार, शक्तिशाली कोहिनूर हीरे को संग्रहीत किया गया था। इस किले की खास बात यह है कि जब आप इस किले के तल पर ताली बजाते हैं तो आप उसकी आवाज़ ऊपर से ही सुन सकते हैं। गोलकोंडा किला अपनी वास्तुकला, पौराणिक कथाओं, इतिहास और रहस्यों के लिए जाना जाता है।

चित्तौड़गढ़ किला

7वीं शताब्दी ई में स्थानीय मौर्य शासकों द्वारा निर्मित चित्तौड़गढ़ किला भारत के सबसे बड़े किले में से एक है। चित्तौड़गढ़ किला राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में 180 मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है और 692 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह दुर्ग विशाल दीवार से घिरा हुआ है जो इस किले के साथ 13 किलोमीटर तक चलती है। इस किले के एक तरफ पहाड़ों से घिरा होना इसको अभेद्य बनाता है। इस किले तक पहुंचने के लिए सात अलग-अलग द्वार से गुजर कर जाना होता है जिसमें पेडल पोल, भैरों पोल, हनुमान पोल, गणेश पोल, जोरला पोल, लक्ष्मण पोल और राम पोल, अंतिम और मुख्य द्वार के नाम शामिल हैं। किले के अन्दर 4 महल परिसर, 19 मुख्य मंदिर, 4 स्मारक और 20 कार्यात्मक जल निकाय स्थित हैं। इन सभी के अलावा यहाँ पर मीरा बाई मंदिर, कुंभ श्याम मंदिर, श्रृंगार चौरी मंदिर और विजय स्तम्भ स्मारक भी स्थित हैं। चित्तौड़गढ़ का दुर्ग उत्तर भारत का ऐतिहासिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण किलों में से एक है जो कई वीरता और बलिदान की कहानियों के साथ यहां आज भी खड़ा हुआ है। यदि आपनी इस बार की यात्रा के लिए भारत के सबसे महत्वपूर्ण किले को सर्च कर रहें तो चित्तौड़गढ़ किला आपकी यात्रा के लिए परफेक्ट ऑप्शन है।

कांगड़ा किला

कटोच राजवंश के शासकों द्वारा निर्मित कांगड़ा किला हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े किले के रूप में प्रतिष्ठित है। बता दे यह किला लगभग 3500 साल पुराना है, जो हमारे देश में सबसे पुराना है। यह किला अपनी हजारों साल की भव्यता, आक्रमण, युद्ध, धन और विकास का बड़ा गवाह है। भारत के विशाल किले में से एक कांगड़ा किला लगभग 463 एकड़ भूमि में फैला हुआ है जो स्थापत्य सौंदर्य का प्रतीक है। आप जब भी इस किले की यात्रा पर आयेंगें तो किले के अन्दर संग्रहालय को देख सकेगें है जो 19वीं शताब्दी की कलाकृतियों को प्रदर्शित करता है। अंबिका और लक्ष्मी नारायण के पवित्र मंदिरों के साथ कुछ अन्य मंदिर भी किले के अन्दर स्थित है। साथ ही गढ़ के अन्दर कुल 21 ऐसे भी कुएं हैं, जिनमें से प्रत्येक 4 मीटर गहरा है। हालाँकि अब यह विशाल किला ज्यादातर खंडहर हो चुका है लेकिन एक बार वहाँ खड़े होने वाले शाही ढांचे की परिकल्पना आसानी से की जा सकती है। कांगड़ा किले में जो एक बहुत खूबसूरत संरचना है इसकी छत से भी आपको शानदार नजारा देखने को मिलता है।