अब फिर से कर सकेंगे फूलों की घाटी का दीदार, देखते ही बनती हैं खूबसूरती

कोरोना की वजह से देशभर में लॉकडाउन किया गया था और पर्यटन स्थलों को भी बंद कर दिया गया था। अब धीरे-धीरे पर्यटकों के लिए नियमों के साथ पर्यटन स्थल खोले जा रहे हैं। इन्हीं पर्यटन स्थलों में से एक हैं उत्तराखंड में गढ़वाल क्षेत्र के चमोली जिले में स्थित फूलों की घाटी जिसकी खूबसूरती देखते ही बनती हैं। इस राष्ट्रीय उद्यान को विश्व धरोहर में भी शामिल किया गया है। अब कोरोना के इस मसय में फूलों की घाटी का दीदार कर सकते हैं। लेकिन पर्यटकों को यहां प्रवेश करते समय कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी जो 72 घंटे से अधिक पुरानी नहीं होनी चाहिए।

फूलों की घाटी की खोज

1931 में फ्रैंक स्मिथ और उनके साथी होल्डसवर्थ ने फूलों की घाटी की खोज की थी। आपको बता दें फ्रैंक एक ब्रिटिश पर्वतारोही थे। इसके बाद ये एक मशहूर पर्यटन स्थल बन गया। फूलों की घाटी को लेकर स्मिथ ने एक किताब भी लिखी है। इस किताब का नाम है- वैली ऑफ फ्लॉवर्स।

कितने क्षेत्र में फैली है फूलों की घाटी

उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित फूलों की घाटी 87.50 किमी वर्ग क्षेत्र में फैली है। 1982 में यूनेस्को ने इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया। फूलों की घाटी बेहद ही खूबसूरत है। हिमाच्छादित पर्वतों से घिरी इस घाटी की सुंदरता देखते ही बनती है।

500 से अधिक फूलों की प्रजातियां

फूलों की घाटी में 500 से अधिक फूलों की प्रजातियां देखने को मिलती हैं। बागवानी विशेषज्ञों और फूल प्रेमियों के लिए ये जगह स्वर्ग से कम नहीं है। इस घाटी के नजारे देखते ही बनते हैं।

परियों का निवास स्थान

स्थानीय लोगों के अनुसार फूलों की घाटी में परियां निवास करती हैं। परियों का निवास स्थान होने की वजह से लंबे समय तक यहां लोग जाने से कतराते थे। इस घाटी में उगने वाले फूलों से दवाई भी बनाई जाती है।

रामायण और महाभारत में भी इस जगह का वर्णन है

फूलों की घाटी का वर्णन रामायण और महाभारत में भी मिलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार फूलों की घाटी ही वो स्थान है जहां से हनुमान जी लक्ष्मण जी के प्राण बचाने के लिए संजीवनी बूटी लाए थे।