त्रिउंड : आंखों में बस जाएगी सुंदरता, है प्रसिद्ध ट्रेकिंग स्थल भी, जानें-कौनसा साधन सुगम बनाएगा यात्रा

अगर भारत में खूबसूरत जगह की बात की जाए तो, बर्फ से ढके पहाड़ और दुर्गम घाटियों के बीच बसा हिमाचल प्रदेश हमेशा से ही देश-विदेश के सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। हर साल हजारों पर्यटक यहां की प्राकृतिक सुंदरता का नज़ारा लेने यहां आते है। यहां घूमने के लिए कई हिल स्टेशन है, जहां आप प्रकृति के अद्भुत नजारें का लुत्फ़ उठा सकते है।
ऐसा ही एक हिल स्टेशन है, “त्रिउंड” जो हिमालयन रेंज के धोलाधार पर्वत श्रंखला का हिस्सा है। यह स्थान खूबसूरत झरने, ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के बीच स्थित एक रमणीय स्थान है। अपनी प्राकृतिक सुंदरता के अलावा, त्रिउंड एक प्रसिद्ध ट्रेकिंग स्थल भी है, जिसके कारण यह न केवल भारत बल्कि दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करता है। इस ट्रेक के थोड़ी दूरी तक बुजुर्ग भी यात्रा कर सकते है। कहा जाता है कि, ट्रेक के अंतिम कुछ हिस्से में पहुंचने के लिए बहुत मेहनत करनी होती है, बाकि के हिस्सों पर आप आसानी से चढ़ाई कर सकते है। इन अंतिम हिस्सों को 22 घुमाव कहा जाता है और ट्रेक के दौरान रास्ते में आपको कई चाय और स्नैक्स के दुकान मिल जाएंगे। इन सब खूबियों के चलते यह स्थान आपको लिए एक रोमांचक यात्रा का अनुभव करा सकता है।

त्रिउंड के मुख्य आकर्षण

भागसूनाग झरना धर्मशाला - पहाड़ों की ऊंचाई पर स्थित यह झरना प्राकृतिक सौदर्य और प्राचीन
मंदिरों के लिए जाना जाता है। प्रकृति प्रेमी के लिए यह स्थान किसी स्वर्ग से कम नहीं है। यह स्थान
त्रिउंड के सबसे चर्चित टूरिस्ट स्पॉट में गिना जाता है।

तिब्बत संग्रहालय - इस संग्रहालय में, आप कई वर्तमान प्रदर्शनियों, स्थायी प्रदर्शनियों, ऑनलाइन
प्रदर्शनियों और आगामी प्रदर्शनियों जैसे चार खंडों से युक्त विभिन्न दीर्घाओं के बारे में जान सकते हैं।

भागसूनाथ मंदिर - यह मंदिर मैकलोडगंज से लगभग 3 किमी की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर हिंदू
और गोरखा समुदाय के लिए काफी महत्व रखता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में दर्शन से कई रोगों से मुक्ति मिलती है। जिसके चलते बहुत सारे पर्यटक यहां आते है।

त्रिउंड घूमने का सही समय

यदि आप त्रिउंड की यात्रा पर विचार कर रहे है तो आप साल के किसी भी मौसम मे इस स्थान की यात्राकर सकते है। लेकिन आमतौर पर लोग सर्दियों के मौसम में त्रिउंड की यात्रा करना पसंद करते है।सर्दियों के दौरान, इस जगह का प्राकृतिक आकर्षण बहुत रमनीय होता है।

कैसे पहुंचे?

हवाई मार्ग - निकटतम हवाई अड्डा कांगड़ा जिले में गग्गल हवाई अड्डा है। इसके अलावा एक
हेलीपोर्ट है, जिसका नाम NHPC कॉलोनी है। एयरपोर्ट से गंतव्य की दूरी लगभग 19 किमी है, जिसे आपको सार्वजनिक परिवहन के कुछ साधनों द्वारा कवर करना होगा।
दिल्ली - इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से स्पाइस जेट लेकर कांगड़ा एयरपोर्ट में उतर सकते है।हवाई किराये की कीमत 4,400 रूपये से शुरू होती है।

कोलकाता - नेताजी सुभाष चंद्र बोस हवाई अड्डा से एयर एशिया, गो एयर और विस्तारा की सुविधा उपलब्ध है। हवाई किराये की कीमत 2,800 रूपये से शुरू होती है।

मुंबई - छत्रपति शिवाजी टर्मिनल से एयर एशिया, गो एयर और विस्तारा की सुविधा उपलब्ध है। हवाई किराये की कीमत 3,000 रूपये से शुरू होती है।

रेल मार्ग - निकटतम रेलवे स्टेशन पठानकोट स्टेशन है जो कि भरमौर से लगभग 90 किमी की दूरी पर स्थित है। यह स्टेशन देश के अन्य राज्यों से अच्छी तरह से जुड़ी हुई है। स्टेशन उतरने के बाद आप कैब या बस लेकर शेष बची दूरी को कवर कर सकते है।

दिल्ली- पुरानी दिल्ली स्टेशन से DLI-PTK एक्सप्रेस (22429) लेकर आप पठानकोट पर उतर सकते है।

कोलकाता- हावड़ा जंक्शन से हिमगिरी एक्सप्रेस (12331) लेकर आप पठानकोट कैंट पर उतर सकते है।

मुंबई- बांद्रा टर्मिनल से विवेक एक्सप्रेस (19027), स्वराज्य एक्सप्रेस (12471) की सुविधा है।
सड़क मार्ग - यदि आप इस क्षेत्र के आसपास रहते हैं, तो सड़क मार्ग द्वारा यात्रा करना आपके के लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। यहां सड़क मार्गों पर कुछ संक्षिप्त जानकारी दी गई है। यहां जाने के लिए या तो अपने वाहन ले सकते है या फिर कैब किराए पर ले सकते हैं।

दिल्ली- NH-44 के माध्यम से 476 किमी
चंडीगढ़- NH-503 के माध्यम से 245 किमी
पठानकोट- NH-154 के माध्यम से 89 किमी