देश का दिल मध्यप्रदेश अपने ऐतिहासिक, धार्मिक और प्राकृतिक पर्यटन स्थलों के लिए देशभर में प्रसिद्ध है। यहां सतपुड़ा के घने जंगल हैं, तो नर्मदा नदी पर बनने वाले मनमोहक झरने भी, बांधवगढ़, कान्हा जैसे छह टाइगर रिजर्व हैं, तो पचमढ़ी जैसी सुरम्य वादियां भी हैं। हनुवंतिया टापू पर आप कम खर्च में स्वीट्जरलैंड जैसा मजा ले सकते हैं तो वहीं धार्मिक नगरी उज्जैन की सैर कर आप शिव भक्ति से मन को सराबोर कर सकते हैं।
मध्य प्रदेश हमारी संस्कृति, इतिहास, कला और परंपरा को जोड़ते हुए भारत का प्रमुख राज्य है जिसे भारत का “हृदय प्रदेश” भी कहा जाता है। मध्य प्रदेश अपने कई ऐतिहासिक स्मारकों, मंदिरों, किलों, और महलों से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। मध्य प्रदेश विश्व भर के यात्रियों के लिए भारत के प्रमुख दर्शनीय स्थानों में से एक बना हुआ है। मध्य प्रदेश भारत का एक आदर्श प्रतिबिंब है, क्योंकि यह शहरी और ऐतिहासिक दोनों पहलुओं का बहुत अच्छी तरह से मिश्रण करता है।
मध्य प्रदेश भारत की प्राकृतिक सुन्दरता का खजाना है जहाँ आपको एक से एक प्राकृतिक नज़ारे देखने को मिलते हैं। आज हम अपने पाठकों को मध्यप्रदेश के कुछ ऐसे पर्यटन स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपनी प्राकृतिक, ऐतिहासिक व भौगोलिक पृष्ठभूमि के चलते पर्यटकों को अपनी ओर सर्वाधिक आकर्षित करने में सफल रहते हैं।
उज्जैनउज्जैन मध्य प्रदेश के सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक है। यह क्षिप्रा नदी के किनारे बसा हुआ पवित्र शहर है, उज्जैन महाकाल की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। आध्यात्मिक शांति के लिए उज्जैन शहर निस्संदेह एक आकर्षक जगह है। हमें यहाँ के मंदिरों में बुंदेला कला और वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना देखने को मिलता है। यहाँ का इतिहास खुद अपना परिचय देता है, उज्जैन में सबसे बड़े हिंदू मेले – कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। उज्जैन में सबसे बड़े हिंदू मेले – कुंभ मेले को मनाने के लिए भी प्रसिद्ध है और मध्य प्रदेश में धार्मिक पर्यटन के लिए एक आदर्श स्थान है।
खजुराहो के मंदिरखजुराहो को मंदिरों का शहर कहें तो गलत नहीं होगा। अपनी अनोखी मूर्तियों और मंदिरों के लिए ये पर्यटन स्थल देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है। कभी यहां 85 से ज्यादा मंदिर हुआ करते थे, हालांकि अब केवल 25 मंदिर सही सलामत हैं। नए साल का स्वागत करने के लिए यह जगह काफी अच्छी है। खजुराहो के मंदिरों का निर्माण चंदेल वंश के राजा ने 950 से 1050 ईस्वीं में कराया था। इन मंदिरों में की गई नक्काशी और यहां बनी मूर्तियां देखकर एक बारगी लोग सोच में पड़ जाते हैं कि आखिर उस दौर में ये मंदिर कैसे बने होंगे। इन मंदिरों की सुंदरता यहां पहुंचकर ही देखी जा सकती है। अगर आप नए साल पर खजुराहो जाने की सोच रहे हैं तो आप सड़क, वायु और रेलमार्ग के जरिए आसानी ये यहां पहुंच सकते हैं। छतरपुर से खजुराहो करीब 53 किमी दूर है।
महेश्वरमहेश्वर मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के तट पर स्थित, भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है, जिसे अक्सर ‘मध्य भारत के वाराणसी के रूप में जाना जाता है, माहेश्वर भगवान शिव जी को समर्पित एक छोटा शहर है। कहा जाता है कि यह पवित्र नगर कभी हिंदू भक्तों के लिए प्रमुख आध्यात्मिक केंद्रों में से एक था, आज भी महेश्वर आध्यात्मिक अनुभव चाहने वालों के लिये प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। आध्यात्मिकता के अलावा, महेश्वर उन लोगों के लिए एक उत्कृष्ट केंद्र है जो अपनी आँखों से कुछ बेहतरीन भारतीय वास्तुकला को देखना चाहते हैं।
हिल स्टेशन पचमढ़ीनए साल में यदि आप पहाड़ों की सैर करना चाहते हैं तो पचमढ़ी इसके लिए सबसे बेस्ट डेस्टिनेशन है। पचमढ़ी की खूबसूरत वादियां आपको स्वर्ग सा एहसास कराएंगी। यहां कई धार्मिक स्थल भी हैं। पचमढ़ी में कई खूबसूरत झरने और गुफाएं भी हैं, जहां आप रोमांच का असली मजा ले सकते हैं। विंटर सीजन असली मजा भी आपको पचमढ़ी में ही मिलेगा।
नरसिंहपुर जिले के पिपरिया से पचमढ़ी की दूरी महज 56 किमी है। आप मध्यप्रदेश के किसी भी शहर से चार पहिया वाहन से पचमढ़ी आसानी से पहुंच सकते हैं। रेल मार्ग से जाना हो तो नरसिंहपुर सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। यदि आप वायु मार्ग से जाना चाहें तो जबलपुर का डुमना एयरपोर्ट नजदीकी हवाई अड्डा है।
मांडू के महलधार जिले से 35 किमी दूर मांडू रानी रूपमति और बाज बहादुर की प्रेम कहानी का अमर प्रतीक हैं। यहां के महल आज भी गुजरे जमाने के किस्से यहां पहुंचने वालों को सुना रहे हैं। नए साल पर आउटिंग के लिए मांडू एक बेहतरीन पर्यटन स्थल है, जहां आप इतिहास के झरोखे में एक बार फिर गुजरे कल का दीदार कर सकते हैं। जहाज महल, हिंडोला महल जैसी कई शानदार इमारतें मांडू की शान हैं। फोटोग्राफी के शौकीन लोगों के लिए मांडू एक बेस्ट डेस्टिनेशन है। धार जिले में स्थित मांडू तक आप बेहद आसानी से पहुंच सकते हैं। धार से मांडू की दूरी महज 35 किमी है, जबकि रतलाम से 95 किमी की दूरी पर यह पर्यटन स्थल है। आप सड़क, रेल और वायु मार्ग से यहां पहुंच सकते हैं। इंदौर का देवी अहिल्या बाई नजदीकी एयरपोर्ट है।
सांची स्तूपभोपाल से करीब 45 किमी दूर सांची रायसेन जिले का एक छोटा सा गांव है, लेकिन अपनी अमूल्य धरोहर के चलते यह विश्व विरासत के नक्शे में शामिल है। सांची में भगवान बुद्ध के स्तूप हैं जो सारी दुनिया को शांति का संदेश कई सदियां बीत जाने के बाद भी दे रहे हैं। इस पर्यटन स्थल पर सालभर सैलानी पहुंचते हैं और सांची के स्तूपों में छिपे भगवान बुद्ध के संदेशों को तलाशते हैं। इन स्तूपों का निर्माण मौर्य वंश के महान सम्राट अशोक ने कराया था। तीसरी से 12वीं सदी के बीच बनी यह धरोहर कला का बेहतरीन नमूना है। नए साल का आगाज करने के लिए सांची एक मुफीद पर्यटन स्थल है। सांची पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन विदिशा है। भोपाल, रायसेन या अन्य जिलों से आप आसानी से सड़क मार्ग से भी सांची पहुंच सकते हैं। मध्यप्रदेश के बाहर से आ रहे हैं तो भोपाल का राजा भोज विमानतल नजदीकी एयरपोर्ट है।
गुलावट लोटस वैलीअगर आप नए साल का स्वागत प्रकृति के बीच किसी सुंदर सी जगह पर करना चाहते हैं तो इंदौर से 25 किमी दूर गुलावट गांव की लोटस वैली की सैर कीजिए। कमल के फूलों से पटी नदी और इसके बीच नौका विहार आपको एक अलग ही दुनिया में होने का अहसास कराएगा। बांस के झुरमुट के बीच प्रकृति का ये मनोरम दृश्य एक बार मन भर कर देखने के बाद आप इसे कभी नहीं भुला पाएंगे। अगर आप फोटोग्राफी के शौकीन हैं, तो फिर यह जगह आपके लिए सबसे ज्यादा मुफीद है। इंदौर से सड़क मार्ग से आप गुलावट गांव तक पहुंच सकते हैं। यहां के ग्रामीण परिवेश और गांव के देसी व्यंजनों का लुत्फ भी उठा सकते हैं।
भीम बेटकाभोपाल से करीब 46 किमी की दूरी पर रायसेन जिले में भीमबेटका गुफाएं हैं। भीमबेटका यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में शुमार है। यह पर्यटन स्थल पाषाणकालीन युग के शैल चित्रों का घर है। भीम बेटका की गुफाओं में करीब 750 शैल चित्र बने हैं जो करीब 12 हजार वर्ष से भी ज्यादा प्राचीन बताए जाते हैं। यदि आप नए साल पर लॉन्ग ड्राइव पर जाने की सोच रहे हैं तो यह जगह आपके न्यू ईयर सेलिब्रेशन के लिए परफेक्ट हो सकती है। पहाड़ी पर करीब 500 से ज्यादा गुफाएं मौजूद हैं, जिनमें शैल चित्र बने हैं। इन्हें देखने का एक अलग ही रोमांच है, जो आपको ताउम्र याद रहेगा। भीम बेटका रायसेन जिले में है, जहां आप आसानी से सड़क, रेल और वायु मार्ग के जरिए पहुंच सकते हैं।
ओरछाओरछा मध्य प्रदेश के बेतवा नदी कि किनारे स्थित एक सुन्दर नगर है इसे मध्य प्रदेश का शाही शहर भी कहा जाता है, यह श्री राम जी कि नगरी के रूप में प्रसिद्ध है। जो मध्य प्रदेश के आकर्षण को और बढ़ाता है ओरछा भारत का अनिवार्य हिस्सा है, जो बुंदेला युग का स्मरण कराता है। ओरछा, इतिहास के शौकीनों के बीच मुख्य आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यदि आप मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थलों में से ओरछा को अपनी यात्रा में शामिल करते हैं तो आपको यहां वास्तुकला, ऐतिहासिक स्मारक, मंदिर और किले देखने को मिलेगें।
कान्हा नेशनल पार्ककान्हा नेशनल पार्क मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। कई प्रकार की वनस्पतियों और जीवों के साथ यह राष्ट्रीय उद्यान तब से प्रसिद्ध है जब रुडयार्ड किपलिंग ने अपनी उत्कृष्ट कृति जंगल बुक (यह माना जाता है कि किपलिंग कान्हा नेशनल पार्क से प्रेरित था) को लिखा था। यहाँ चारो ओर आपको हरियाली और कई प्रकार के जीव देखने को मिलते है। यह मोगली ओर जंगल बुक के कारण और भी लोकप्रिय बना हुआ है, यह पार्क 1940 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है। जो भारत में विलुप्त नहीं होने देने के लिए बारासिंगा (दलदल हिरण) की प्रजातियों की मदद करने के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध है। घने जंगल में ज्यादातर साल, बांस और महुआ के पेड़ शामिल हैं। यहाँ टाइगर, ब्लैकबक और पीकॉक को देखा जाता है। कान्हा नेशनल पार्क में कई प्रकार के पक्षियों को भी देखा जा सकता है, जो इसे मप्र में घूमने के लिए एक लोकप्रिय स्थान बनाते हैं।
पन्ना राष्ट्रीय उद्यानमध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित, पन्ना राष्ट्रीय उद्यान राज्य के सुव्यवस्थित वन्यजीव अभ्यारण्यों में से एक है। पन्ना रॉयल बंगाल टाइगर्स के लिए सबसे प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान में से एक है और मप्र में सबसे अच्छे राष्ट्रीय उद्यानों में इसकी गिनती होती है। 542.67 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला यह राष्ट्रीय उद्यान तेंदुआ, जंगली कुत्ता, भेड़िया, लकड़बग्घा, सुस्त भालू, चीतल और चौसिंघा जैसी प्रजातियों का घर भी है। पार्क में पक्षियों की 200 से अधिक प्रजातियां भी निवास करतीं है। राष्ट्रीय उद्यान का स्थान एक परिसंपत्ति है क्योंकि यह खजुराहो के प्रसिद्ध शहर से थोड़ी दूरी पर स्थित है।
ग्वालियरग्वालियर को भारत के ऐतिहासिक समृद्धि में योगदान देने वाले महत्वपूर्ण शहरों में से एक माना गया है। ग्वालियर वास्तुकला में समृद्ध मध्य प्रदेश के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है। जो हमे बताता है कि यह मध्य प्रदेश में दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए एक शानदार स्थान है। ग्वालियर को भारत के ऐतिहासिक समृद्धि में योगदान देने वाले महत्वपूर्ण शहरों में से एक माना गया है। वैदिक युग से लेकर विद्रोह के समय तक, ग्वालियर मध्य प्रदेश का एक प्रमुख हिस्सा बना रहा। इस शहर में इनके द्वारा छोड़े गये प्राचीन चिह्न स्मारकों, किलों, महलों के रूप में मिल जाएंगे।
भोपालमध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल यहाँ के लोकप्रिय दर्शिनीय स्थलों में से एक है, झीलों द्वारा दो भागों में विभाजित, मध्य प्रदेश का यह शहर किसी भी इतिहास के शौकीन के लिए घूमने और इतिहास की चीजों को देखने का एक बड़ा अवसर प्रदान करती है। 11 वीं शताब्दी में भोपाल को भोजपाल के नाम से जाना जाता था, आज का भोपाल इतिहास और शहरी नियोजन का एक आदर्श मिश्रण है। 19 वीं शताब्दी के मुस्लिम शासकों का एक समृद्ध प्रभाव भोपाल में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है और जिसने निश्चित रूप से इस शहर को एक अलग पहचान प्रदान की है जो सभी को मात देता है।
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यानमध्य प्रदेश के उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान भारत में बाघ पर्यटन के लिए सबसे अच्छी जगह है। 446 वर्ग किमी में फेला हुआ यह वन्यजीव अभ्यारण्य एक बड़ी जैव विविधता होने के कारण प्रसिद्ध है। आपको यहाँ बाघों की एक बड़ी संख्या देखने को मिलती है जो मध्य प्रदेश में वन्यजीव पर्यटन को बढ़ाता है। बाघों के अलावा, आपको यहाँ पक्षियों की लगभग 250 प्रजातियां, जलीय जानवरों की 80 प्रजातियां और स्तनधारिय जीवों की 37 प्रजातियां देखने को मिलती है। यदि आप मध्य प्रदेश में घूमने के लिए बांधवगढ़ नेशनल पार्क का चुनाव करते हैं तो आपकी यात्रा रोमांच से भरपूर होगी जहां आपको हर मोड़ पर अलग अलग नज़ारे देखने को मिलेगें।
ओमकारेश्वरओमकारेश्वर मध्य प्रदेश के ही नही बल्कि भारत के भी सबसे लोकप्रिय व तीर्थ स्थलों में से एक है। यह नर्मदा नदी व कावेरी नदी के संगम पर बसा हुआ पवित्र नगर है। यह भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, इसलिए कोई भी इस पवित्र शहर के महत्व का अनुमान लगा सकता है। यहाँ देनिक परेशानियों और हलचल भरी भीड़ से दूर आपको एक अलग ही आध्यात्मिकता की अनुभूति मिलती है, जहा शांति के अलावा और कुछ महसूस नही होता है। ओमकारेश्वर के कई मंदिरों में आप अपने आप को आध्यात्मिकता में ढालने, और यहाँ समय बिताने के लिए बाध्य हो जायेंगें।