कोटा भारत के राजस्थान राज्य के कोटा ज़िले में स्थित एक नगर है। यह चम्बल नदी का किनारा, राज्य की राजधानी, जयपुर से 240 किमी दक्षिण में बसा हुआ है। यह कोटा जिले का मुख्यालय है। जयपुर और जोधपुर के बाद यह राजस्थान का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। राजा कोटिया भील ने कोटा की स्थापना की थी
कोटा राजस्थान का एक प्रमुख औद्योगिक शहर है। यह नगर राष्ट्रीय राजमार्ग 27 और राष्ट्रीय राजमार्ग 52 पर स्थित है। दक्षिण राजस्थान में चंबल नदी के पूर्वी किनारे पर उन शहरों में कोटा स्थित है, जहां औद्योगीकरण बड़े पैमाने पर हुआ है। कोटा महलों, संग्रहालयों, मंदिरों और बगीचों के लिए लोकप्रिय है। यह शहर नयापन और प्राचीनता का मिश्रण है। जहां एक तरफ शहर के प्राचीनता का बोध है, वहीं चंबल नदी पर बना हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्लांट और मल्टी मेटल इंडस्ट्री के आधुनिकता के दखल हैं। ये शहर हाल ही में वर्ल्ड ट्रेड फैक्ट की लिस्ट में दुनिया का सातवां सबसे ज्यादा भीड़भाड़ वाला शहर बना है। कोटा अपने बागों के लिए भी प्रसिद्ध है। कोटा को देश की शिक्षा नगरी के रूप में भी पहचाना जाता है।
सिटी फोर्ट पैलेसचंबल नदी के पूर्वी तट पर 17वीं शताब्दी में बना यह किला कोटा का मुख्य आकर्षण है। इस किले का परिसर सबसे बड़ा किले के किले में से एक है। 17वीं शताब्दी में बना हुआ हथौड़ा गढ़ में प्रवेश का सुंदर प्रवेश द्वार है। किले का बुर्ज, गुम्बद, परकोटे बेहद आकर्षक है।
राव माधो सिंह संग्रहालययह संग्रहालय पुराने महल में स्थित है और इसे राजस्थान के सबसे बेहतरीन संग्रहालयों में से एक माना जाता है। कोटा राज्य के प्रथम शासक राव माधो सिंह के नाम पर संग्रहालय का नाम रखा गया है। संग्रहालय में कोटा की खूबसूरत मिठाइयां, टहनियां, द्वेष, द्वेष और राजसी लिप्सा से जुड़ी कई गलतियां हो सकती हैं।
जगमंदिर महलयह महल कोटा की एक रानी 1740 ई. में व्यर्थ हो गया था। खूबसूरत किशोर सागर झील के बीच बना यह महल राजाओं के आमोद प्रमोद का स्थान था। झील के घने जल में महल का प्रतिबिम्ब अत्यंत सुंदर दिखता है। किशोर सागर झील के राजकुमार धी देह ने 1346 ई. में बनवाई थी। झील में नौका का आनन्द भी लिया जा सकता है।
सरकारी संग्रहालयकिशोर सागर झील के समीप किशोर बाग में बने ब्रिजविलास महल में यह संग्रहालय स्थित है। संग्रहालय में दुर्लभ सिक्के, हस्तलिपियों और चुनिन्दा हडोटी प्रलेखन का विस्तृत संग्रह है। यहां बरौली के मंदिरों से कुछ मंदिर और ऐतिहासिक मूर्तियां रखी गई हैं। शुक्रवार और राष्ट्रीय अवकाश के दिन संग्रहालय चालू रहता है।
चंबल गार्डनयह एक खूबसूरत दर्शनीय स्थल है और यहां बाघों का तालाब देखा जा सकता है। यह गार्डन चंबल नदी और अमर निवास के निकट स्थित है।
देवताजी की हवेलीदेवताजी की मूर्ति राजस्थान की सबसे सन्देहास्पद स्थिति से एक है। कोटा की यह शानदार फोटोग्राफी और पेंटिंग के लिए प्रसिद्ध है।
गणेश उद्यान (खड़े गणेश जी)गणेश उद्यान कोटा का दूसरा सबसे प्रमुख उद्यान है। यह पार्क विश्राम गणेश जी मंदिर के पास ही है। इसमे गणेश पवर्त भी है।
सी. वी गार्डनयह कोटा का ऐतिहासिक उद्यान है, आज भी कोटा की ऐतिहासिक सुंदरता को महसूस किया जा सकता है।
निकटवर्ती स्थल
दारा वन्य जीव अभयारण्यकोटा से 50 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय चंबल वन्य जीव अभयारण्य है जो घड़ियालों और घिरे हुए मुंह वाले जीवों के लिए बहुत लोकप्रिय है। यहां चीते, वाइल्डबोर, दलाली और हिरन भी पाए जाते हैं। बहुत कम जगह दिखाई देने वाला दुर्लभ करकल भी यहां देखा जा सकता है।
केशव राय पाटनश्री केशव राय जी हडोती और हाडा के शासकों के इष्टदेव हैं। केशोरीपाटन भगवान श्री केशव का निवास स्थान है। श्री केशव का मध्यकालीन मंदिर चंबल नदी के किनारे स्थित है। नदी की ओर मंदिर की दीवार किले की दीवार के समान है। कार्तिक माह में आयोजित होने वाले मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस अवसर पर भक्तजन चम्बल नदी में आ जाते हैं और श्री कृष्ण के आशीर्वाद की कामना करते हैं। केशव राय पाटन कोटा से 22 किलोमीटर दूर उत्तर पूर्व में स्थान है।
गेपरनाथ मंदिरकोटा से 22 किलोमीटर दूर दक्षिण पश्चिम में शिव को समर्पित गेपरनाथ मंदिर चम्बल नदी के किनारे पर स्थित है। यह मंदिर 1569 ई. में बना था। यह स्थान प्राचीन काल से शिवभक्तों का प्रमुख तीर्थस्थल रहा है। यहां कुछ प्राचीन अभिलेख प्राप्त हुए हैं जो इस तथ्य की पुष्टि करते हैं। सन् 2008 में एक बडी ही विस्मयी घटना ने पूरे कोटा निवासीयो का दिल दहला दिया। करीब 250 व्यक्ति जो कि शिव मंदिर में दर्शन करने वास्ते गए थे वो सीढिया टूट जाने बाबत भीतर ही फस गए। प्रशासन ने 2 दिन में कङी मेहनत कर लड़के आउट आउट आउट। गेपरनाथ में करीब 470 सीढिया है। करीब 350 मीटर की गहरी उदासी है।
बाड़ीयहां 9वीं और 12वीं शताब्दी के बीच कई प्राचीन मंदिर बने हैं। यह स्थान चरण, आम, जंबो और पीपल के चौक से घिरा हिंदुओं का पवित्र धार्मिक स्थल है। घाटेश्वर यहां का मुख्य मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर के सभागार विशेष रूप से स्तम्भों में आकर्षण नक्काशियां लिए गए हैं। महिषासुरमर्दिनी और त्रिदेव मंदिर अन्य दो प्रमुख मंदिर हैं। इन मंदिरों की कुछ प्रतिमाएं कोटा के सरकारी संग्रहालय में रखी गई हैं।
शिक्षाकोटा की विशेष पहचान यहां के कोचिंग संस्थान हैं। कोटा को भारत की कोचिंग राजधानी भी कहा जाता है। हर साल इस शहर में लाखों प्रतियोगी प्रतियोगी परीक्षाएं देने वाले आते हैं। पिछले कुछ सालों में कोटा एक मशहूर कोचिंग नगरी के रूप में उभरा है। शहर का रोजगार क्षेत्र यहां की उद्योगों का एक बड़ा हिस्सा है। यहां कई कोचिंग संस्थान हैं जो छात्रों की प्रतियोगी परीक्षाएं जैसे IIT और NEET की तैयारी करवाते हैं।