बेहतरीन पयर्टन स्थलों में शामिल है मंडी, चाय के बागानों और देवदार के पेड़ों के चलते खिंचे आते हैं पर्यटक

हिमाचल प्रदेश में कई पर्यटन स्थल—मसूरी, मनाली, देहरादून, कुल्लू, शिमला, नैनीताल—आदि हैं। इन्हीं पर्यटन स्थलों में ही शामिल है प्राकृतिक खूबसूरती और ऊँची पहाडिय़ों के बीच बसा शहर मंडी, जो हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के बाद जनसंख्या की दृष्टि से हिमाचल का दूसरा सबसे बड़ा शहर व जिला है। मंडी, जिसका पूर्वनाम मांडव नगर था और तिब्बती नाम जहोर है, भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के मंडी जिले में स्थित एक नगर है। यह जिले का मुख्यालय भी है और ब्यास नदी के किनारे बसा हुआ हिमाचल का एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल होने के साथ-साथ धार्मिक व सांस्कृतिक केन्द्र भी है।

देवदार के पेड़ों और चाय के बागानों के हरे भरे आवरण के साथ घिरा हुआ मंडी शहर कुल्लू और धर्मशाला के जंक्शन पर स्थित है। इस शहर को ‘वाराणसी की पहाड़ियों’ या ‘छोटी काशी’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि इस शहर के क्षेत्र में 81 मंदिर भी हैं। मंडी के लोगों का गर्व से दावा है कि बनारस (काशी) में केवल 80 मंदिर है, जबकि मंडी में 81 मंदिर है। मंडी हिमाचल प्रदेश का एक लोकप्रिय वाणिज्यिक केंद्र भी है। यह शहर ब्यास नदी के तट पर स्थित है और जो पुराने महलों और औपनिवेशिक वास्तुकला के उत्कृष्ट रूप को भी प्रदर्शित करता है।

गर्म और ठंडे मौसम के मिश्रण के साथ इस शहर की झीलें और बगीचे अपने यहाँ आने वाले पर्यटकों को ताजा वातावरण प्रदान करते हैं। कुल्लू- मनाली, स्पीति और लाहौल जैसी कुछ प्रसिद्ध घाटियों के प्रवेश द्वार के रूप में काम करते हुए मंडी एक ऐसा पर्यटन शहर है जो अपने पर्यटकों को कभी निराश नहीं करता। मंडी उत्तर भारत का एक ऐसा शहर है जहाँ पर गर्मियों में गर्मी और सर्दियों में काफी ठंड होती है। सदियों में यहाँ पर गर्म कपड़ें पहनने की सलाह दी जाती है। अगर मंडी की यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि यहाँ जाने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से अक्टूबर का होता है। क्योंकि यह समय हॉलिडे मेकर्स के लिए एकदम आदर्श समय है।

मंडी नगर राज्य की राजधानी, शिमला, से 145 किलोमीटर (90 मील) उत्तर में स्थित है। यह पर्यटन की दृष्टि से महत्व रखता है और यहाँ आयोजित नवरात्रि मेला प्रसिद्ध है। मंडी में हर वर्ष नवरात्र के अवसर पर आयोजित होने वाला यह मेला विश्व में अपनी एक अलग पहचान रखता है। यह कभी मंडी रियासत की राजधानी हुआ करती थी। मंडी नगर की स्थापना अजबर सेन द्वारा सन् 1527 में हुई। मंडी रियासत सन् 1948 तक अस्तित्व में रही। बाद में मुख्य शहर पुरानी मंडी से नई मंडी में स्थानांतरित करा गया।

आज हम अपने पाठकों को मंडी के प्रमुख के पर्यटन स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं।

रिवालसर झील


मंडी से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रिवालसर झील अपने बहते रीड के द्वीपों के लिए लोकप्रिय है। कहा जाता है कि इनमें से सात द्वीप हवा और प्रार्थना से हिलते हैं। प्रार्थना के लिए यहां एक बौद्ध मठ, हिन्दु मंदिर और एक सिख गुरूद्वारा बना हुआ है। इन तीनों धार्मिक संगठनों की ओर से यहां नौकायन की सुविधा मुहैया कराई जाती है। इसी स्थान पर बौद्ध शिक्षक पद्मसंभव ने अपने एक शिष्य को धर्मोपदेश देने के लिए नियुक्त किया था। यहाँ पर अनेक मनोहर स्थल है, जहाँ कई फिल्मों की शूटिंग भी हुई है। जैसे- बरसात। यह माँ नैना देवी का मंदिर तलहटी में स्थित है तथा इस स्थान को त्रिवेणी के नाम से भी जाना जाता है।

त्रिलोकनाथ शिव मंदिर

नागरी शैली में बने इस मंदिर की छत टाइलनुमा है। यहां से आसपास के सुंदर नजारे देखे जा सकते हैं। मंदिर से नदी और आसपास के क्षेत्रों का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है। यहां भगवान शिव को तीनों लोकों के भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। मंदिर में स्थित भगवान शिव की मूर्ति पंचानन है जो उनके पांच रूपों को दिखाती है।

भूतनाथ मंदिर

मंडी के बीचों-बीच स्थित इस मंदिर का निर्माण 1527 में किया गया था। यह मंदिर उतना ही पुराना है जितना कि यह शहर। मंदिर में स्थापित नंदी बैल की प्रतिमा बुर्ज की ओर देखती प्रतीत होती है। पास ही बना नया मंदिर खूबसूरती से बनाया गया है। मार्च के महीने में यहां शिवरात्रि का उत्सव मनाया जाता है जिसका केंद्र भूतनाथ मंदिर होता है।

श्यामाकाली मंदिर

टारना पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर को टारना देवी मंदिर भी कहा जाता है। राजा श्याम सेन ने 1658 ई0 में इस मंदिर का निर्माण कराया था। अपने वारिस के पैदा होने की खुशी में देवी को धन्यवाद देने के लिए उन्होंने यह मंदिर बनवाया। भगवान शिव की पत्नी सती को समर्पित इस मंदिर का पौराणिक महत्व है।

प्रशार झील ट्रेक

प्रशार झील ट्रेक हिमाचल प्रदेश के सबसे ऑफबीट जगहों में से एक है जो मंडी से लगभग 50 किमी दूर स्थित एक क्रिस्टल क्लियर वाटर बॉडी है। जहाँ पर एक तीन मंजिला शिवालय है, जो ऋषि प्रशार को समर्पित है। यह झील अपने गहरे नीले पानी के साथ समुद्र तल से 2730 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। कुल्लू घाटी में शक्तिशाली धौलाधार पर्वतमाला से घिरा यह क्षेत्र रहस्यमय आकर्षण से भरा हुआ है और यहाँ से नीचे बहती हुई ब्यास नहीं का आकर्षण दृश्य दिखाई देता है। यहाँ की बर्फ से घिरी चोंटियां, हरी-भरी घाटियाँ, नदियाँ और झीलें इसे एक बेहतरीन ट्रेकिंग अनुभव प्रदान करती हैं।

सुंदर नगर

सुंदर नगर शहर पूर्व में स्थित एक रियासत थी जिसको सुकेत के नाम से जाना जाता था। इस छोटे से शहर का प्रमुख आकर्षण ब्यास-सतलज परियोजना के पानी द्वारा निर्मित मानव निर्मित झील है। आपको बता दें कि यह परियोजना भारत की सबसे बड़ी हाइडल परियोजना है। सुंदर नगर की प्राकृतिक सुंदरता छायादार और ऊंचे ऊंचे पेड़ पर्यटकों को बेहद आकर्षित करते है। सर्दियों में यहाँ एक दम हरियाली हो जाती है। भले ही सुंदरनगर एक छोटा शहर है लेकिन यह मन और आत्मा को सुकून प्रदान करता है।

बड़ौत

हिमाचल प्रदेश में मंडी जिले की शांत घाटियों में स्थित बड़ौत एक खूबसूरत गाँव है। यह एक नया पाया गया पर्यटन स्थल है और मंडी से लगभग 67 किलोमीटर दूर स्थित है। अगर आप एक या दो दिन घूमने की कोई जगह तलाश रहे हैं तो यह जगह आपके लिए बहुत अच्छी है। यहाँ के मनोरम दृश्य और अनपेक्षित हवा दुनिया भर के यात्रियों को यहाँ दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए आकर्षित करती है। यह जगह ट्रेकर्स के लिए स्वर्ग के सामान है। क्योंकि यह स्थान अपने कई ट्रेकिंग ट्रेल्स के लिए गाँव से होकर गुजरता है और इसलिए यह एक पसंदीदा ट्रेकिंग स्थल भी है।

जंजैहली

मंडी से जंजैहली 82 किलोमीटर है यह एक बहुत ही रमणीय स्थल है तथा भविष्य में यह हिमाचल का तथा भारत का प्रसिद्द पर्यटन स्थल बनने की कगार पर है। मंडी से आप इस रमणीय स्थल तक वाया चैलचौक-थुनाग से पहुँच सकते हैं। यह स्थल आपके हृदय को भा जाएगा ऊँचे ऊँचे पहाड़ तथा बर्फ से ढके पहाड़ आपका मन मोह लेंगे।

अर्द्धनारीश्वर मंदिर

सातवीं शताब्दी में बना यह मंदिर स्थापत्य कला का बेजोड नमूना है। भगवान शिव की सुंदर प्रतिमा यहां स्थापित है। प्रतिमा आधे पुरूष और आधी महिला के रूप में है, जो यह दर्शाती है कि नारी और पुरूष दोनों का अस्तित्व एक दूसरे पर निर्भर है।

तत्ता पानी

तत्ता पानी का मतलब गर्म पानी होता है। चारों ओर पहाड़ों से घिरा तत्ता पानी यह सतलुज नदी के सतलुज नदी के दायें तट पर स्थित है। जिस घाटी पर यह स्थित है वह बेहद खूबसूरत है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 656 मीटर है। प्राकृतिक सल्फर युक्त इसका पानी बहुत शुद्ध और अलौकिक शक्तियों से युक्त माना जाता है। कहा जाता है कि इसके पानी से बहुत-से राजाओं के शरीर के रोग ठीक हो गए थे। सतलुज नदी के जल में उतार-चढ़ाव के साथ इसके जल में उतार-चढ़ाव आता रहता है।

शिकारी देवी मंदिर

समुद्र तल से 3332 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर मानवीय शोर-शराबे एक एकदम मुक्त है। सूर्योदय और सूर्यास्त के मनमोहक नजारे यहां से बहुत ही सुंदर दिखाई देते हैं। चैल चौक, जंजैहली, करसोग और गोहर से होते हुए यहां पहुंचा जा सकता है।

कमरुनाग

कमरुनाग मंडी जिले में सबसे ज्यादा पूजनीय देवता है इसे वर्षा का देवता भी कहा जाता है। ऊँची पहाडिय़ों में चारों ओर से देवदारों से घिरे इस देवता का मन्दिर है। हर वर्ष जून -जुलाई में यहाँ मेले का आयोजन होता है। हजारों लोग पैदल यात्रा करके यहाँ पहुंचते हैं। यहाँ तक श्रद्धालु वाया चैलचौक, रोहांडा, करसोग से होकर आ सकते हैं। शांत वादियों में स्थित इस स्थल की अपनी ही एक पहचान है।

चिंदी

चिंदी शहर की भीड़ भाड़ से दूर छोटा सा गाँव है जो प्रकृति की गोद में चुपचाप बैठा है। यहाँ गाँव में प्राकृतिक सुंदरता और यहाँ स्थित कई छोटे मंदिरों के लिए जाना जाता है। मंडी से 107 किलोमीटर दूर स्थित, यह स्थान तत्तापानी के माध्यम से आसानी से पहुँचा जा सकता है।

कमलाह फोर्ट

कमलाह फोर्ट मंडी शहर से लगभग 80 किमी दूर स्थित सिकंदर धार पर्वतमाला पर खड़ा हुआ है। इस किले का निर्माण 1625 में राजा सूरज सेन द्वारा किया गया था जो 4772 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। किले के प्रवेश द्वार के आसपास के हरे-भरे परिदृश्य देखने लायक है।

भीमा काली मंदिर

भीमा काली मंदिर देवी भीमा काली को समर्पित मंडी शहर के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। ब्यास नदी के तट पर स्थित, यह मंदिर एक संग्रहालय में विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियों को भी प्रदर्शित करता है। बता दें कि यह वही स्थल है जहाँ पर भगवान् कृष्ण ने बाणासुर नाम के राक्षस से युद्ध किया था।

आवागमन

सडक़ मार्ग—सडक़ मार्ग से चंडीगढ़, पठानकोट, शिमला, कुल्लू, मनाली और दिल्ली से मंडी पहुंचा जा सकता है। हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम की अनेक बसें मनाली, कुल्लू, चंडीगढ़, शिमला और दिल्ली से मंडी के लिए चलती हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 3 और राष्ट्रीय राजमार्ग 154 यहाँ से गुजरते हैं।

वायु मार्ग—हिमाचल प्रदेश का भुंतर हवाई अड्डा मंडी का निकटतम हवाई अड्डा है। मंडी से इस हवाई अड्डे की दूरी लगभग 63 किलोमीटर है।

रेल मार्ग—मंडी का निकटतम रेलवे स्टेशन कीरतपुर में है जो यहां से 125 किमी की दूरी पर है।