भारत में एक से बढ़कर एक जगह हैं जो अपनेआप में घूमने के लिए लोगों को आकर्षित करती हैं। इन्हीं जगहों में से एक हैं हरियाणा जहां एक से एक प्रसिद्ध ऐतिहसिक जगहें हैं। हरियाणा भारत का ऐसा राज्य है जो प्राचीन समय को जीवंत बनाये रखने और रोमांचक भविष्य को देखने में कामयाब रहा है। हरियाणा को दूध और मक्खन की भूमि के रूप में भी जाना जाता है और यह राज्य भारत के इतिहास की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा है। पानीपत, हिसार, रोहतक आदि जगहों पर मौजूद ऐतिहासिक इमारत, किला आदि चीजें बेहद ही फेमस हैं। आज इस कड़ी में हम आपको हरियाणा की कुछ ऐसी जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां की सैर करना आपके लिए सुखदायी साबित होगा। आइये जानते हैं इनके बारे में...
गूजरी महलहरियाणा के हिसार में मौजूद गुजरी महल एक प्राचीन और प्रमुख ऐतिहासिक जगह है। गूजरी महल का निर्माण फिरोज शाह तुगलक के जरिये करवाया गया था। इस गूजरी महल को भी ताज महल की तरह ही प्रेम की निशानी के तौर पर बनवाया गया था। ये महल फिरोज शाह तुगलक द्वारा अपनी प्रेमिका गूजरी की याद में बनवाया गया। गूजरी महल हरियाणा के हिसार में मौजूद है, जिसमें दीवान-ए-आम और बारादरी भवन भी मौजूद हैं।
मोरनी हिल्स मोरनी हिल्स पंचकुला के बाहरी इलाके में स्थित है जो स्थानीय लोगों और पर्यटकों के हरियाणा लिए सबसे लोकप्रिय पिकनिक स्थलों में से एक है। मोरनी हिल्स हरियाणा राज्य का एकमात्र हिल स्टेशन है जिसकी वजह से यह एक बहुत ही पसंदिदा जगह है। मोरनी हिल्स 1220 मीटर की उंचाई पर है जो आश्चर्यजनक दृश्य पेश करती हैं। मोरनी हिल्स बर्ड वॉचिंग और ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए स्वर्ग के सामान है।
अम्बकेश्वर महादेव मंदिर ऐतिहासिक उल्लेख के अनुसार इस स्थान पर मोहम्मद गौरी से युद्ध के समय पृथ्वीराज चौहान की सेना ने पड़ाव डाला था और शीलाखेड़ा के राजा ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। एक जनश्रुति के अनुसार मुसलमानों ने अम्बकेश्वर मंदिर में शिवलिंग को तोड़ने का प्रयास भी किया था, लेकिन कहते हैं कि जब उन्होंने इस पर प्रहार किये, तो शिवलिंग से ख़ून निकला जिसे देखकर मुसलमान भयभीत हो गए। आज भी प्रहार के चिह्न इस शिवलिंग पर देखे जा सकते हैं। अम्बकेश्वर मंदिर में ही अम्बिका अर्थात काली देवी की भी आदमक़द प्रतिमा है।
करनाल झीलकरनाल झील एक ऐतिहासिक जगह होने के साथ-साथ एक पौराणिक जगह भी है। इस झील को लेकर मान्यता है कि महाभारत काल में महान योद्धा कर्ण द्वारा इसकी स्थापना की गई थी। कहते हैं कि करनाल शहर की स्थापना भी कर्ण द्वारा ही गई थी। ये झील करनाल के साथ हरियाणा में बेहद ही लोकप्रिय जगह है और यहां दूर-दूर से सैलानी घूमने के लिए आते हैं। इस झील से कुछ ही दूरी पर मौजूद यमुना कैनाल पर्यटकों के बीच बेहद ही लोकप्रिय है।
दमदमा झील दमदमा झील हरियाणा के प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह झील दिल्ली से लगभग 64 किमी की दूरी पर गुडगाँव के पास स्थित है। अगर आप हरियाणा में किसी शांत जगह की तलाश में हैं तो यह झील आपके लिए एक खास अनुभव साबित हो सकती है। इस झील में झील देशी और प्रवासी पक्षियों की 190 प्रजातियों का घर है। दमदमा झील का निर्माण 1947 में वर्षा संचयन के लिए अंग्रजों द्वारा बनाया गया था। अगर आप इस झील की यात्रा मानसून के दौरान करते हैं तो आप यहां प्रवासी पक्षियों को देख पाएंगे।
कालेसर राष्ट्रीय उद्यान पूर्वी हरियाणा में स्थित, चंडीगढ़ से लगभग 150 किमी दूर, कालेसर राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाने वाला एक संरक्षित क्षेत्र है। दिसंबर 2003 में सरकार द्वारा एक राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया, राष्ट्रीय उद्यान मूल रूप से शिवालिक पहाड़ियों के साथ हिमालय की तलहटी में एक साल का जंगल है। कालेसर राष्ट्रीय उद्यान 2000 फीट से 3500 फीट तक की ऊंचाई वाले लगभग 11,000 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। वन्य जीवन में रुचि रखने वालों के लिए कालेसर राष्ट्रीय उद्यान एक बेहतरीन गंतव्य साबित हो सकता है, क्योंकि यह विभिन्न प्रकार के पक्षियों और जानवरों का घर है। यहाँ पाई जाने वाली कुछ दिलचस्प प्रजातियाँ हैं – जंगली सूअर, सांभर, खरगोश, लाल जंगली मुर्गी, साही, चीतल और भी बहुत कुछ। यह राष्ट्रीय उद्यान सिंदूर के पेड़ के लिए भी प्रसिद्ध है। समृद्ध वनस्पतियों और जीवों के अलावा, कालेसर राष्ट्रीय उद्यान भी पर्यटकों को एक मनोरम प्राकृतिक दृश्य प्रस्तुत करता है। इसके परिसर में एक औपनिवेशिक डाक बंगला है, जो 100 साल पुराना बताया जाता है।
स्टार स्मारकआकर्षक स्टार स्मारक हरियाणा राज्य का खजाना है। भिवानी से 12 किलोमीटर दूर दिनौद में स्थित यह स्मारक परम संत हज़ूर तारा चंद जी महाराज की कब्र पर बनाया गया है। इस भवन का आकार एक तारे की तरह है और यह महाराजजी के नाम पर बना है। राधास्वामी सत्संग भवन परिसर में यह समाधि 101 फीट की है और यह एक छह फीट उंचे प्लेटफार्म पर बनी है। स्टार स्मारक हेक्सागोनल पिरामिड आकार की संरचना है जिसके तीन वैकल्पिक किनारे सफेद संगमरमर के और अन्य तीन नीले इतालवी कांच से बने हैं जो कि पूरी तरह मौसम प्रतिरोधी हैं। इसमें हैरत भरी बात यह है कि इस पूरी बिल्डिंग में सहारा देने के लिए कोई खंभे या कॉलम नहीं हैं। समाधि की तीन दीवारों पर और अंदर सितारों की जगमगाहट है। पश्चिम की दीवार के पास महाराजजी की एक मूर्ति है। समाधि के छह कोनों पर महाराजजी के जीवन से जुड़े छह चित्र लगे हैं। यहां वेंटिलेशन के लिए परंपरागत तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
रानी तालाबहरियाणा के जींद में मौजूद रानी तालाब एक ऐतिहासिक जगह होने के साथ-साथ जींद के लोगों की शान भी है। इस रानी तालाब का निर्माण अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के तर्ज कर किया है। इसका निर्माण राजा रघुवीर सिंह ने करवाया था। कहा जाता है कि इस तालाब का निर्माण रानी के स्नान के लिए बनवाया गया था। आपको बता दें कि इस तालाब के बीच में एक मंदिर भी है।
रॉक गार्डनरॉक गार्डन चंडीगढ़ में है और ये चंडीगढ़ हरियाणा और पंजाब दोनों के ही राजधानी है। वैसे तो चंडीगढ़ शहर ही घुमने लायक है। यह काफी खुबसूरत शहर है, यहाँ पर आपको हर एक चीज प्लानिंग के साथ नजर आयेगी, यहाँ पर पार्क, शॉप्स हर चीज प्लानिंग के साथ तैयार किया गया है। चंडीगढ़ का रॉक गार्डन सबको पसंद आता है, इसकी स्थापना नेक चंद सैनी द्वारा की गयी थी इसीलिए इस गार्डन को नेक चंद रॉक गार्डन भी कहा जाता है। ये गार्डन 40 एकड़ में फैला हुआ है। इस गार्डन की एक ख़ास बात ये है कि इस गार्डन में कूड़े करकट, प्लास्टिक की बोतल, पुराणी चूड़ियाँ, सीसे और पुराने टाइल्स इन सब चीज से ही इस पार्क को सजाया गया है।
अग्रोह धामहरियाणा के हिसार में मौजूद अग्रोह धाम एक प्रसिद्ध और ऐतिहासिक हिन्दू स्थल है। यह मंदिर अग्रसेन महाराजा और देवी महालक्ष्मी को समर्पित है। इस स्थल का निर्माण लगभग 1976 के आसपास किया था। इस मंदिर में घूमने और दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते रहते हैं। अग्रोहा धाम का निर्माण 1976 से प्रारंभ किया गया जो आज भी जारी है। अग्रोहा धाम को तीन भागों में बांटा गया है बीच वाला भाग मां लक्ष्मी व पूर्वी हिस्सा महाराजा अग्रसेन व पश्चिमी हिस्सा मां सरस्वती को समर्पित है। मंदिर के पिछले हिस्से में बारह ज्योर्तिलिंग से बना रामेश्वर धाम बना है। मंदिर के बीच में सरोवर का निर्माण किया गया है, जिसको 41 पवित्र नदियों के जल के साथ पावन किया गया है। वैसे तो हर रोज ही धाम में पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है, लेकिन शरद पूर्णिमा के अवसर पर हर साल अग्रोहा धाम में मेला लगता है, जिसमें देशभर से लाखों पर्यटक धाम को देखने आते है।