फ़रवरी का महीना जारी हैं और जाती हुई सर्दियां सभी को सुहाने मौसम का मजा दे रही हैं। इस मौसम में घूमने का अपना अलग ही मजा हैं। इसके लिए आप यमुना नदी के तट पर बसे हुए उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित आगरा का रूख कर सकते हैं। आगरा में पर्यटन स्थलों की कमी नहीं है। यहां ऐतिहासिक स्मारकों और भव्य वास्तुकला से बने मंदिरों के साथ प्यार और पुरानी यादों को समर्पित मकबरे मौजूद हैं। आगरा में ताजमहल के साथ ही एक से बढ़कर एक इमारतें हैं जो पर्यटन के लिहाज से बेहतरीन मानी जाती हैं। आज इस कड़ी में हम आपको आगरा की ऐसी ही जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जो बेहतरीन दृश्यों का नजारा पेश करते हैं। आइये जानते हैं इन जगहों के बारे में...
अंगूरी बाग ख़ास महल के परिसर में स्थित अंगूरी बाग 1637 में मुगल सम्राट शाहजहाँ द्वारा बनवाया गया था। जैसा कि नाम से ही पता चलता है, ख़ास महल का निर्माण सम्राट के अपने इत्मीनान और आराम के स्थान के रूप में किया गया था। महल के मुख्य भाग में एक हॉल है जिसमें आसपास के अर्धवृत्ताकार पैटर्न में कमरे हैं और सामने एक विशाल प्रांगण है जिसमें एक शानदार बगीचा है, जो अंगूरी बाग है। शाही महिलाओं द्वारा हम्माम या शाही स्नान का इस्तेमाल पूरी गोपनीयता में समय बिताने, आराम करने और सामूहीकरण करने के लिए किया जाता था।
ताजमहलताजमहल की वास्तुकला को दुनिया की किसी भी इमारत की वास्तुकला से ज्यादा नायाब माना जाता है। इसे 20 हजार मजदूरों ने 22 साल में पूरा किया था, इसका निर्माण 1648 में हो गया था। जबकि इसे बनाने की लागत उस समय 3.2 करोड़ रुपए आई थी। यह पूरी तरह से सफेद संगमरमर से बना है। चांद की रोशनी में ताजमहल जगमगा उठता है। इसके साथ ही यमुना नदी बहती है। मुस्लिम शासक शाहजहां ने इसका निर्माण अपनी पत्नी नूरजहां की याद में किया था। जिसकी कब्र ताजमहल के निचले हिस्से में स्थित है। कुछ समय बाद इसके साथ में शाहजहां की कब्र भी बनाई गई। चौकोर प्लेटफॉर्म पर बना ताजमहल शाही शान का प्रतीक है। ताजमहल को बनाने में इंटरलॉकिंग अरबस्क तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। जिसमें प्रत्येक तत्व अलग होता है लेकिन यह मूल रुप से सबके साथ जुड़ा होता है। केन्द्रीय गुंबद का व्यास 58 मीटर है और इसकी ऊंचाई 213 फीट है। इसके चार किनारों पर बनी मीनारों में 4 गुंबदनुमा कमरे भी हैं इसकी ऊंचाई 162.5 मीटर है। पूरे मकबरे को जटिल फूलों के डिजाइन के साथ एगेट और जेस्पर के कीमती रत्नों की लिखावट से सजाया गया है। इसके मुख्य मेहराब पर पवित्र कुरान की आयतें लिखी हैं।
बुलंद दरवाजा आगरा से आधा घंटा की दूरी पर स्थित फतेहपुर सीकरी का ऐतिहासिक स्मारक बुलंद दरवाजा खूबसूरत वास्तुकला एवं देखने लायक हैं। इस बुलंद दरवाजा के निर्माण के बारे में बताया जाता है कि इसका निर्माण 17वीं शताब्दी के दौरान मुगल बादशाह अकबर के द्वारा करवाया गया था। इस बुलंद दरवाजा नामक स्मारक का निर्माण अकबर ने गुजरात पर हुई जीत की याद में निर्मित करवाया था। लाल बलुआ पत्थर से निर्मित इस बुलंद दरवाजा को विजिट करने लोग काफी अधिक संख्या में यहां पर पहुंचते हैं। अगर आप भी आगरा ट्रिप पर जा रहे हैं तो इस बुलंद दरवाजा को विजिट कर सकते हैं यकीनन आपको यह ऐतिहासिक स्मारक अवश्य पसंद आएगा।
मेहताब बागमूल रूप से बादशाह बाबर द्वारा यमुना नदी के पूर्वी तट के किनारों पर 11 पार्कों की एक श्रंखला के अंत में बनाए गए इस बाग की कल्पना ताज महल से पहले की गई थी। हालांकि 1652 ई। में एक भयंकर बाढ़ ने इसे बर्बाद कर दिया था। सन् 1996 में इसका पुनर्निर्माण किया गया और दोबारा पुराने रुप में वापस लाया गया और अब यह उन जगहों में से एक है जहां से ताज महल के दृश्यों का नज़ारा देखा जा सकता है। ताज महल के आसपास के बगीचे पूरी तरह से मेहताब बाग से जुड़े हुए हैं और बाग के बीच में एक विशाल अष्टकोणीय पानी का तालाब हैं जहां चांदनी रात में ताज का प्रतिबिंब दिखाई देता है। यहीं से इस बगीचे का नाम मूनलाइट गार्डन पड़ा।
अकबर का मकबराअकबर का मकबरा आगरा में स्थित आगरा के प्रमुख आकर्षणों में काफी चर्चित है। यह अकबर का मकबरा का परिसर तकरीबन 119 एकड़ के बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। इस मकबरा का निर्माण होने में तकरीबन 8 साल का समय लग गया था। इस मकबरे का निर्माण संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर से किया गया है। इसके साथ-साथ इस स्मारक के नक्काशी और वास्तुकला काफी खूबसूरत तरीके से किया गया है।
फतेहपुर सीकरीफतेहपुर सीकरी एक शहर है जो आगरा से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और इस शहर को यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल का दर्जा प्राप्त है। मुगल सम्राट अकबर द्वारा सन 1569 में स्थापित, यह शहर सन 1571 से 1585 तक मुगलों की राजधानी था। जिसके दौरान वह सफलता के शिखर पर पहुंच चुका था। इस स्थल को सूफी संत सलीम चिश्ती का सम्मान और अपने बेटे सलीम के जन्म का जश्न मनाने के लिए बनवाया गया था। इस दीवार वाले शहर के निर्माण में पूरे 15 साल लगें और परिसर में कई शाही महल, एक हरम, अदालतें और मस्जिदें शामिल थीं। संरचना को लाल बलूआ पत्थर से बनाया गया है और इस फारसी वास्तुकला की अवधारणा को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। हालांकि संपूर्ण शैली मुगल है।
ताज संग्रहालयताजमहल परिसर के अंदर स्थित ताज गार्डन के पश्चिमी छोर पर 1982 में ताज संग्रहालय की स्थापना की गई थी। जलमहल के अंदर मकबरे के मुख्य द्वार पर थोड़ा सा बायीं ओर स्थित संग्रहालय की वास्तुकला देखने योग्य है। इसमें सम्राट और उनकी महारानी की कब्रों के निर्माण और नियोजन को प्रदर्शित करने वाले चित्र भी हैं। जैसा कि नाम से पता चलता है कि संग्रहालय ताज की कहानी कहने के बारे में है। यात्रियों के बीच यह आगरा की यात्रा का एक लोकप्रिय स्थान है क्योंकि यह शानदार स्मारक से संबंधित तथ्यों और इतिहास का घर है। यहाँ आप उस समय आगरा में सोने और चांदी के सिक्कों का भी पता लगा सकते हैं। यात्रा करना चाहते हैं तो हम आपको ताज संग्रहालय की यात्रा करने की सलाह देते हैं।
जामा मस्जिदआगरा में स्थित इस जामा मस्जिद को मुगल बादशाह शाहजहां के द्वारा 1648 ईस्वी के दौरान करवाया गया था। इस आगरा में स्थित जामा मस्जिद को जामी मस्जिद या जुमा मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है। लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर द्वारा खूबसूरत नक्काशी में बनाया गया है। यह साधारण डिजाइन वाला मस्जिद देखने में काफी आकर्षक लगता है। आगरा के जामा मस्जिद का प्रांगण काफी विशाल है, जहां पर एक साथ काफी अधिक संख्या में लोग नमाज अदा कर सकते हैं। इस आगरा में स्थित जामा मस्जिद को आगरा के प्रमुख आकर्षणों में से एक माना जाता है।
आगरा किलाताजमहल के अलावा, आगरा में भारत के बेहतरीन मुगल किले स्थित हैं, आगरा किला यमुना नदी के तट पर बना है। किले का निर्माण मुगल सम्राट अकबर द्वारा सन 1565 में शुरू किया गया था और उनके पौत्र शाहजहां के शासन तक इसमें बदलाव होते रहे। मूलरुप से इसे सैन्य उद्देश्यों के लिए बनाया गया था और बाद में इसे एक महल के रूप में इस्तेमाल किया गया। इसके अलावा इसका इस्तेमाल जेल के रुप में भी किया गया, जिसमें शाहजहां को उनके पुत्र औरंगजेब ने 8 सालों तक बंद रखा था, शाहजहां से सन 1658 में सत्ता छीन ली गई थी। किले की 2.5 किलोमीटर लंबी दिवारों के भीतर शाहजहानी महल, जहांगीरी महल, खास महल, लोगों के लिए दीवान-ए-आम एम और दिवान-ए-खास, मछलियों को रखने का स्थान, नगीना मस्जिद, अंगूर के बाग और मोती मस्जिद शामिल है। विश्व विरासत में शामिल यह स्थान वास्तुकला का शानदार नमूना है जहां आपको जरूर जाना चाहिए।
चन्नी का रौज़ा चन्नी का रौजा एक अंतिम संस्कार स्मारक है जो आगरा में यमुना नदी के पूर्वी तट पर स्थित है। यह चीन मकबरे के रूप में भी जाना जाता है, चीन से ‘चीनी’ का अर्थ ‘और’ रौज़ा ‘का अर्थ’ कब्र ‘है। यह मंदिर फारसी विद्वान और कवि- अल्लामा अफजल खान मुल्ला का अंतिम विश्राम स्थल है। 1628 और 1639 के बीच निर्मित इस स्मारक की वास्तुकला इंडो-फ़ारसी शैली का अद्भुत नमूना है। यह मकबरा ताजमहल के बहुत करीब स्थित है और राम बाग में इतमाद-उद-दौला मकबरे से सिर्फ 1 किमी दूर स्थित है, और यहां ऑटो रिक्शा या इलेक्ट्रिक रिक्शा या स्थानीय रिक्शा आसानी से पहुंचा जा सकता है।