भारत के गुजरात राज्य के जूनागढ़ जिले स्थित पहाड़ियाँ गिरनार नाम से जानी जाती हैं। यह जैनों का सिद्ध क्षेत्र है यहाँ से नारायण श्री कृष्ण के सबसे बड़े भ्राता तीर्थंकर भगवन देवादिदेव 1008 नेमीनाथ भगवान ने मोक्ष प्राप्त किया है यह अहमदाबाद से 327 किलोमीटर की दूरी पर जूनागढ़ के 10 मील पूर्व भवनाथ में स्थित हैं। यह एक पवित्र स्थान है जो जैन धर्मावलंबियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ है। हरे-भरे गिर वन के बीच पर्वत-शृंखला धार्मिक गतिविधि के केंद्र के रूप में कार्य करती है।
इन पहाड़ियों की औसत ऊँचाई 3,500 फुट है पर चोटियों की संख्या अधिक है। इनमें जैन तीर्थंकर नेमिनाथ हैं। सर्वोच्च चोटी 3,666 फुट ऊँची है। यहां सब धर्म के भक्त आते हैं और जैन मंदिर का दर्शन करते हैं। एशियाई सिंहों के लिए विख्यात 'गिर वन राष्ट्रीय उद्यान' इसी पर्वत के जंगल क्षेत्र में स्थित है। यहां मल्लिनाथ और नेमिनाथ के मंदिर बने हुए हैं । यहीं पर सम्राट अशोक का एक स्तंभ भी है । महाभारत में अनुसार रेवतक पर्वत की क्रोड़ में बसा हुआ प्राचीन तीर्थ स्थल है ।
गिरिनार का प्राचीन नाम उर्ज्जयंतगिरिनार का प्राचीन नाम उर्ज्जयंत था। ये पहाड़ियाँ ऐतिहासिक मंदिरों, राजाओं के शिलालेखों तथा अभिलेखों (जो अब प्राय: ध्वस्तप्राय स्थिति में हैं) के लिए भी प्रसिद्ध हैं। पहाड़ी की तलहटी में एक बृहत चट्टान पर अशोक के मुख्य 14 धर्मलेख उत्कीर्ण हैं। इसी चट्टान पर क्षत्रप रुद्रदामन् का लगभग 150 ई. का प्रसिद्ध संस्कृत अभिलेख है। इसमें सम्राट् चंद्रगुप्त मौर्य तथा परवर्ती राजाओं द्वारा निर्मित तथा जीर्णोद्वारकृत जैन और विष्णुमंदिर का सुंदर वर्णन है।
जैन तीर्थस्थल के रूप मे उल्लेखपालिताना और सम्मेद शिखर के बाद यह जैनियों का प्रमुख तीर्थ हैं। पर्वत पर स्थित जैन मंदिर प्राचीन एवं सुंदर हैं। जैन धर्म में चौबीस तीर्थंकरों की आराधना का विधान किया गया है जिसमें से 22 वे तीर्थंकर श्री नेमिनाथ जी [ अरिष्ठनेमी ] का केवल ज्ञान प्राप्ति व मोक्ष [ निर्वाण ] प्राप्ति स्थल ऐतिहासिक रूप से गिरनार पर्वत, जिला-जूनागढ़, राज्य-गुजरात से बताया गया है; जिस कारण उक्त पर्वत जैन धर्मानुयायियो हेतु पवित्र व पूजनीय है | पुराणों के अनुसार श्री नेमिनाथ जी शौर्यपुर के राजा समुद्रविजय और रानी शिवादेवी के पुत्र थे। समुद्रविजय के अनुज (छोटे भाई) का नाम वसुदेव था जिनकी दो रानियाँ थीं—रोहिणी और देवकी। रोहिणी के पुत्र का नाम बलराम बलभद्र व देवकी के पुत्र का नाम श्रीकृष्ण था । इस तरह नेमिनाथ श्रीकृष्ण के बाबा (ताऊ) थे।
गिरनार के आसपास देखने लायक स्थल
गिरनारजूनागढ़ की एक प्राचीन और पवित्र पहाड़ी है, जो 3672 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। गिरनार पहाड़ियाँ पर 866 हिंदू और जैन मंदिर फैले हुए हैं। अंतिम शिखर तक पहुँचने के लिए 9,999 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं जो गिरनार तलेटी से शुरू होती है। गिरनार हिल की सुबह की सैर एक आनंदित अनुभव कराती है, जो टूरिस्ट को जीवनभर याद रहता है। हिंदू और जैन धर्म के लोग अक्सर इन मंदिरों में जाते हैं।
हिंदू तीर्थ स्थलगोरक्षनाथ मंदिर, दत्तात्रेय मंदिर और अंबा माता मंदिर और कुछ अन्य मंदिर हैं जो देखने लायक हैं। और एक प्राचीन मंदिर दत्तात्रेय पादुका, हिंदू के लिए सबसे पूजनीय स्थल है।
जैन तीर्थ स्थलतीसरी शताब्दी से गिरनार हिल जैनों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल रहा है। तीर्थंकारा नेमिनाथ मंदिर, भगवान रिशभदेव, मल्लीनाथ, भगवान पार्श्वनाथ मंदिर, कुछ जैन मंदिर जो गिरनार पहाड़ी पर देखे जा सकते हैं।
अशोक के शिलालेखअशोक के शिलालेख, जूनागढ़ से गिरनार पर जाते समय सड़क के दाईं तरफ स्थित है। यह शिलालेख के अशोक के नाम से प्रसिद्ध है जोके मौर्य वंश से थे। यहाँ अशोक की 14 आज्ञाएँ उत्कीर्ण हैं जो पाली भाषा मे लिखी हुई है, यह 75 फिट के घिरे मे लगभग 2200 वर्षों से रखी हुई है। 200 वर्षों से संरक्षित यह शिलालेख, अब भारत सरकार के पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है। गिरनार जाने वाले तीर्थयात्रियों कके लिए इस जगह का दौरा करने लायक है।
महोबत मकबरायहाँ पर बहारुद्दिन हुसैनभाई की कबर है, जो एक समय जूनागढ़ के नवाब थे। यह मकबरा 1851 और 1882 के बीच बनाया गया था। महोबत मकबरा की संरचना यूरोपीय, नियो-गोथिक और इंडो इस्लामिक शैलियों का मिश्रण है। महोबत मक़बरे के गुंबद और मीनारें इस्लामिक शैली में बनाई गई हैं और इसके स्तंभ गोथिक शैली में बनाए गए हैं। इतिहास प्रेमियोंके लिए ये बहुत ही आकर्षित जगह है।
जामा मस्जिदजामा मस्जिद भी जूनागढ़ के ऐतिहासिक प्रतीक में से एक है जिसे 1423 मै बनाया गया। जामा मस्जिद में एक खुला आंगन है, जो सफेद संगमरमर से सजा है। मस्जिद के हॉल में 260 स्तंभ और 15 गुंबद है। जामा मस्जिद में अन्य मस्जिदों की तरह दिन में 5 वक्त की नमाज़ होती है और ये सुन्नी मुसलमानों की मस्जिद है।
भवनाथभवनाथ महादेव मंदिर जूनागढ़ के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। भवनाथ प्राचीन काल से गिरनार पहाड़ियों के नीचे स्थित है। भवनाथ एक सुंदर और उत्कृष्ट जगह है बारिश के मौसम में यह जगह अधिक सुंदर होती है। यह मिनी-कुंभ के लिए भी लोकप्रिय है जो महाशिवरात्रि पर आयोजित होता है। भवनाथ प्रसिद्ध भवनाथ मेले के भी जाना जाता है जो जनवरी या फरवरी के दौरान होता है।
दामोदर कुंडहिंदू मान्यता के अनुसार, दामोदर कुंड पवित्र झीलों में से एक है, जो जूनागढ़ के गिरनार पर्वत की तलहटी में स्थित है। दामोदर कुंड झील 257 फीट लंबी, 50 फीट चौड़ी और 5 फीट गहरी है। यह एक अच्छे सांचे से घिरा हुआ है, जो भवनाथ पर जाते रास्ते पर आता हैं।
मोती बागप्रकृति प्रेमी के लिए मोती बाग भी जूनागढ़ में देखने लायक प्रमुख स्थानों में से एक है। मोतीबाग में एक तालाब और कई झाड़ियाँ और पौधे है। यदि हरे भरे बगीचेसे आपको बहुत प्यार हैं तो मोती बाग एक अविश्वसनीय स्थान है जो आपकी सूची में होना चाहिए।
दातार हिलदातार हिल जूनागढ़ शहर का एक पवित्र स्थल है। दातार पर्वत एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल होनेके साथ मुस्लिम और हिंदू दोनों धर्म के श्रद्धालुओं लिए बहुत ही लोकप्रिय स्थान है। बारिश के दौरान यह स्थान और भी ज़्यादा आकर्षक हो जाता है। दातार शिखर पर जाते समय पर्यटक चीथरीया पीर, हाथी पत्थर, कोयला वजीर, जमियल शाह दातार की दरगाह और दिगंबर जैन भगवान नेमिनाथ मंदिर के भी दर्सन कर सकते हैं।
शक्करबाग प्राणि संग्रहालयशक्करबाग प्राणि संग्रहालय जूनागढ़ के सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक है। सक्करबाग बच्चों के साथ घूमने लायक स्थान है। सक्करबाग का मुख्य आकर्षण एशियाई शेर हैं। इसके अलावा यहाँ पर तेंदुआ, मृग, हिरण, काला हिरन, जंगली सूअर, नीला बैल, पक्षियों, मछलीघर, भी है। शक्करबाग प्राणि संग्रहालय पार्क में एक प्राकृतिक इतिहास म्यूज़ीयम और एक पशु चिकित्सालय भी है। सक्करबाग जमीन के 200 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला है।
विलिंग्डन बांधविलिंग्डन बांध का निर्माण कालवा नदी पर हुआ है जहाँ से ये नदी शुरू होती है। इसे जूनागढ़ के लोगों के लिए पीने के पानी के संग्रह के लिए बनाया गया था। इसका नाम भारत के तत्कालीन गवर्नर लॉर्ड विलिंगडन के नाम पर रखा गया था। विलिंग्डन डेम से दातार हिल की सीढ़ियाँ शुरू होती हैं जो जमियल शाह दातार तक जाती हैं। ये हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मो के भक्तो की आस्था का स्थल है।
उपरकोट किलाउपरकोट किला जूनागढ़ में घूमने लायक ऐतिहासिक स्थानों में से एक है। यह किला प्राचीन किलों में से एक है। यहाँ पर अडी कड़ी वाव, नवघन कुओं, नीलम और मानेक नाम के तोप, जामा मस्जिद, नूरी शाह का मकबरा, बौद्ध गुफाएं, जैसे पर्यटक आकर्षण हैं। यह किला लगभग 2,300 साल पुराना है। उपरकोट किले की दीवारें बीस मीटर तक ऊँची हैं। यदि आप जूनागढ़ में हैं तो इस किले को अवश्य देखना चाहिए।
दरबार हॉल म्यूज़ियमदरबार हॉल म्यूज़ियम में ऐतिहासिक और प्राचीन वस्तुओं का संग्रह है। दरबार हॉल म्यूज़ियम में कई कमरे हैं। इन कमरों में आप हथियार कक्ष, रजत कक्ष, लकड़ी के सामान कक्ष, सिक्के कक्ष, कांच और मिट्टी के बर्तनों का कमरा, नवाब चित्रांकन कक्ष, और हावड़ा और पालकी कक्ष देख सकते हैं।
स्वामीनारायण मंदिरयह हाल के वर्षों में बना हिन्दुओं का नया मंदिर है। अपनी स्थापना से ही इस मंदिर ने पर्यटकों में अपनी एक खास पहचान बना ली है। जूनागढ़ या गिरनार के पर्वत घूमने आने वाले पर्यटक यहाँ जरूर आते हैं। स्वामीनारायण मंदिर का निर्माण 2006 में पूरा हुआ था और तब से यह जूनागढ़ में एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। स्वामी नारायण मंदिर में कई मूर्तियां और मीनार हैं।
नरसिंह मेहता का चबूतरायह एक विशाल स्थान है। यह सादगीपूर्ण तरीके से बना हुआ है। इसी जगह पर नरसिंह मेहता के प्रवचनों और सभाओं का आयोजन होता था। यहां पर गोपनाथ का एक छोटा मंदिर तथा श्री दामोदर राय जी और नरसिंह मेहता की प्रतिमाएं भी हैं।