इतिहास प्रेमियों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है चित्तौड़गढ़, जानें यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल

जब भी ऐतिहासिक स्थलों की बात की जाती हैं तो भारत के राजस्थान में स्थित कई स्थलों का जिक्र जरूर किया जाता हैं। इन्हीं स्थलों में से एक है चित्तौड़गढ़ जो इतिहास प्रेमियों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है। चित्तौड़गढ़ एक गौरवशाली शहर है जो अपनी समृद्ध संस्कृति और विरासत के लिए मशहूर है। चित्तौड़गढ़ मेवाड़ के सिसोदिया राजवंश की राजधानी हुआ करती थी और एक महान इतिहास समेटे हुए है। मेवाड़ के तत्कालीन राज्य की राजधानी, चित्तौड़गढ़ कई किलों, गढ़ों, खंडहरों और सदाबहार कहानियों की भूमि है। घूमने के लिए चित्तौड़गढ़ एक बेहतरीन जगह हैं जहां आप एक अद्भुद समय बिता सकते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं चित्तौड़गढ़ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों के बारे में। आइये जानते हैं...

विजय स्तम्भ

विजय स्तम्भ, जिसे विजय मीनार के रूप में भी जाना जाता है, चित्तौड़गढ़ के प्रतिरोध का एक टुकड़ा है। मोहम्मद खिलजी पर अपनी जीत के उपलक्ष्य में महाराणा कुंभा द्वारा 1440 ईस्वी में निर्मित, यह 9 मंजिला टॉवर चारों ओर हिंदू देवताओं की मूर्तियों से सुशोभित है। शक्तिशाली टॉवर का निर्माण 1458 और 1488 की अवधि के बीच किया गया था और यह इतना लंबा और विशाल है कि इसे आप शहर के किसी भी हिस्से से देख सकते हैं। टावर के आंतरिक भाग में उस काल के हथियारों, संगीत वाद्ययंत्रों और अन्य उपकरणों की नक्काशी की गई है। सबसे ऊंची मंजिल में जैन देवी, पद्मावती की एक छवि है। साथ ही, अल्लाह शब्द को तीसरी मंजिल पर नौ बार और आठवीं मंजिल पर आठ बार, अरबी भाषा में उकेरा गया है।

महा सती

महा सती चित्तौड़गढ़ से करीब 110 किलोमीटर दूर स्थित एक बहुत ही पवित्र स्थान है। आपको बता दें कि यह जगह इतनी खास इसलिए है क्योंकि यहां पर उदयपुर शासकों का अंतिम संस्कार किया जाता था। यह एक बहुत की सुंदर और शानदार संरचना है जो पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। यहां के एक जलाशय के कारण यह माना जाता है कि इससे गंगा नदी का पानी निकलता है। यहां अहर सेनोटाफ में 19 राजाओं का स्मरण करने के लिए 19 छत्रियाँ हैं जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया था।

कुंभा महल

कुंभा महल चित्तौड़गढ़ दुर्ग में घूमने की एक मुख्य जगह है। यह एक प्राचीन किला है। इस किले का अधिकतर हिस्सा अब खंडहर में तब्दील हो चुका है। मगर इस किले में आकर आप प्राचीन समय में राजा महाराजाओं के रहने वाले आवास को देख सकते हैं। यह महल महाराणा कुंभा ने कई बार परिवर्तन और परिवर्धन किया। महल में प्रवेश के लिए एक बड़ा सा दरवाजा हुआ करता था, जो खुले प्रांगण से होते हुए दरी खाने तक पहुंचा जा सकता था। कुंभा महल की दीवारें मजबूत पत्थरों से बनी हुई है। बाहरी दीवार में अनेक प्रकार के अलंकरण देखने के लिए मिलते हैं, जिससे दीवार और भी ज्यादा सुंदर लगती है। यहां पर आप गाइड के साथ आएंगे, तो गाइड आपको बहुत सारी जानकारी देगा। यह राणा कुंभा जी का निवास स्थान हुआ करता था। यहां पर राणा कुंभा जी की जीवन शैली को दर्शाया गया है। यहां पर रात के समय लाइट और साउंड शो होता है, जिसमें बहुत सारी जानकारी दी जाती है।

चित्तौड़गढ़ किला

चित्तौड़गढ़ किला चित्तौड़गढ़ में घूमने के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है। पहाड़ी की चोटी पर भव्य रूप से स्थित, यह ऐतिहासिक किला राजस्थानी शहर का गौरव है। चित्तौड़गढ़ किला एक विशाल संरचना है जिसे पहली बार 7 वीं शताब्दी में बनाया गया था और यह लगभग 700 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। चित्तौड़गढ़ के लगभग सभी आकर्षण किले के अंदर स्थित हैं। किला, जिसे वाटर फोर्ट के नाम से भी जाना जाता है, इसके मैदान के अंदर 84 जल निकाय हैं, जिनमें से 22 आज भी मौजूद हैं। विजय स्तम्भ, कीर्ति स्तम्भ, राणा कुंभ पैलेस, मीरा मंदिर और अन्य कई संरचनाएं भी किले के अंदर स्थित हैं।

गौ मुख कुंड

चित्तौड़गढ़ किले के भीतर स्थित गोमुख कुंड को चित्तौड़गढ़ के तीर्थराज के रूप में भी जाना जाता है ,क्योंकि जब भी कोई तीर्थयात्री हिंदू आध्यात्मिक स्थानों के दौरे पर जाते हैं तो वो लौटने के बाद अपनी यात्रा को पूरा करने के लिए इस पवित्र गौमुख कुंड में आते हैं। गौ मुख का अर्थ है गाय का मुंह। इसका नाम गौमुख कुंड इसलिए रखा गया है क्योंकि यहाँ गाय के मुहं के आकार की जगह से पानी बहता है। यहाँ के हरे भरे पेड़ पौधे इस जगह के वातावरण को और भी ज्यादा खास बनाते हैं। गोमुख कुंड तीर्थयात्रियों के साथ पर्यटकों को भी अपनी तरफ बेहद आकर्षित करता है।

कुकुतेश्वर शिव मंदिर

कुकुतेश्वर शिव मंदिर चित्तौड़गढ़ दुर्ग के अंदर स्थित एक सुंदर मंदिर है। यह मंदिर शिव भगवान जी को समर्पित है। यह मंदिर प्राचीन है। यह मंदिर बहुत सुंदर है। मंदिर की बाहरी दीवारों में आकर्षक नक्काशी देखने के लिए मिलती है। यहां पर देवी-देवताओं और अप्सराओं की नक्काशी की गई है। मंदिर का गर्भगृह, अंतराल और मंडप बहुत सुंदर है। मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग विराजमान है। मंदिर के, गर्भगृह के बाहर मंडप में नंदी भगवान जी की प्रतिमा देखने के लिए मिलती है। कुकुतेश्वर मंदिर के गर्भ गृह का प्रवेश द्वार बहुत ही आकर्षक है और इसमें नक्काशी की गई है। इसमें फूल पत्तियों की नक्काशी देखने के लिए मिलती है। यह मंदिर बहुत ही आकर्षक लगता है। मंदिर की दीवारों में आले बने हुए हैं, जिसमें देवी-देवताओं की मूर्तियां बनी हुई है। मंदिर के पास ही में एक तालाब है, जिसे कुकुतेश्वर तालाब कहते है। आप चित्तौड़गढ़ दुर्ग में इस मंदिर में भी घूम सकते हैं।

सांवरियाजी मंदिर

सांवरियाजी मंदिर चित्तौड़गढ़ में घूमने के लिए सबसे प्रसिद्ध स्थानों में से एक है। मंदिर भगवान् कृष्ण को समर्पित एक प्रमुख मंदिर है जो राजस्थान के मंडफिया में स्थित है। मंडफिया चित्तौड़गढ़ से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित। यह मंदिर कुछ पवित्र घंटे बिताने के लिए एक सुंदर जगह है। मंदिर चित्तौड़गढ़-उदयपुर हाइवे पर पड़ने की वजह से पर्यटकों और श्रद्धालुओं के बीच बेहद लोकप्रिय है।

कालिका माता मंदिर

कालिका माता मंदिर चित्तौड़गढ़ के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। अगर आप इस शहर की यात्रा करने के लिए आते हैं तो आपको मंदिर के दर्शन करने जरुर आना चाहि ए क्योंकि अपनी यात्रा इस मंदिर के बिना पूरी नहीं हो सकती। इस मंदिर की शानदार मूर्ति सबसे ज्यादा पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। कालिका माता मंदिर कलिका देवी दुर्गा को समर्पित है। एक मंच पर बना यह मंदिर प्रथिरा वास्तुकला शैली को दर्शाता है। मंदिर के छत, खंभे और फाटक सभी पर जटिल डिजाइन है यह मंदिर आंशिक रूप से खंडहर है लेकिन फिर भी इसकी वास्तुकला हैरान कर देने वाली है।

जौहर स्थल

जौहर स्थल चित्तौड़गढ़ दुर्ग के अंदर स्थित एक मुख्य स्थल है। जौहर स्थल में प्राचीन समय में रानी पद्मावती ने जोहर किया था। जौहर का मतलब होता है। अपने आप को आग में समर्पित कर देना। प्राचीन समय में जब अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ किले को जीत लिया था, तो रानी पद्मावती और उनकी दासी एवं अन्य रानी ने भी यहां पर साथ में मिलकर जौहर किया था। यहां पर हजारों की संख्या में स्त्रियों ने जौहर किया था। अब इस जगह को गार्डन में परिवर्तित कर दिया गया है। यह स्थल विजय स्तंभ के पास ही में स्थित है।

फतेह प्रकाश पैलेस

चित्तौड़गढ़ का फतेह प्रकाश पैलेस आपको भव्यता को एक नए स्तर पर लेकर जाता है। इसकी शानदार वास्तुकला और लेआउट पर्यटकों को अपनी तरफ बेहद आकर्षित करते हैं। महल में कई गलियारें हैं और राजस्थानी चित्रों का एक समृद्ध प्रदर्शन है। यहाँ पर क्रिस्टल कलाकृतियों की एक विशाल विविधता का होना राजा के इस महल के लिए प्यार को बताता है। अब इस महल के एक बड़े हिस्से को संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है और यहाँ पर शाही क्रिस्टल आइटम का शानदार प्रदर्शन है।

शतीस देओरी मंदिर

चित्तौड़गढ़ किले के अंदर स्थित, फतेह प्रकाश पैलेस के करीब, यह मंदिर चित्तौड़गढ़ किले में घूमने के लिए सबसे अच्छे पवित्र स्थानों में से एक है। मंदिर जैन मंदिर परिसर का एक हिस्सा है, और उनमें से सबसे बड़ा मंदिर भी है। यह विशाल श्वेतांबर जैन मंदिर 11 वीं शताब्दी में बनाया गया था और भगवान आदिनाथ के जीवन और गुणों के बारे में बताता है। मंदिर के नाम से पता चलता है कि इतिहास में किसी समय अकेले इस मंदिर के अंदर सत्ताईस मंदिर थे। हालांकि इन स्मारकों का कोई निशान नहीं बचा है, लेकिन साथिसदेवरी मंदिर अपने आप में एक भव्य नजारा पेश करता है।

मीरा मंदिर

मीरा मंदिर चित्तौड़गढ़ किले के परिसर में स्थित मीरा बाई को समर्पित है जो कि एक राजपूत राजकुमारी थी। इस मंदिर का निर्माण राजपूत राजा महाराणा कुंभा ने अपने शासन काल के समय करवाया था, जिसकी वजह से यह एक ऐतिहासिक और धार्मिक आकर्षण था। जब भी कोई पूजा करने के लिए इस मंदिर में प्रवेश करता है तो यहाँ अदभुद शांति और खुशी का एहसास करता है। इस मंदिर में आकर पर्यटक ध्यान कर सकते हैं, अपने लक्ष्य के बारे में सोच सकते हैं। यहाँ आने वाले कई लोग अपने जीवन में एक नई दिशा पाते हैं।