प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग है अंबिकापुर, लें यहां की इन खूबसूरत जगहों पर घूमने का मजा

देश के सबसे खूबसूरत राज्यों में छत्तीसगढ़ का नाम शामिल है। प्राकृतिक सुंदरता से सराबोर छत्तीसगढ़ को 'धान का कटोरा' के नाम से जाना जाता हैं जहां एक से बढ़कर एक सुंदर जगहें हैं। इन्हीं जगहों में से एक हैं अंबिकापुर, जिसे राज्य का 'टेंपल टाउन' भी कहा जाता है। इस नगर का नाम देवी अंबिका से लिया गया है, जिनकी पूजा यहा बड़े स्तर पर की जाती है। यह छत्तीसगढ़ क्षेत्र के सबसे पुराने शहरों में से एक है और इसमें कई धार्मिक स्थान और पर्यटन स्थल हैं। हर साल यहां लाखों सैलानी पर्यटन के लिए पहुंचते हैं। अंबिकापुर की खूबसूरती को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि प्रकृति प्रेमियों के लिए यह जगह स्वर्ग है। आज इस कड़ी में हम आपको अंबिकापुर के चुनिंदा शानदार स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं जो दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं। आइये जानते हैं इन जगहों के बारे में...

तातापानी

अगर आप भी अंबिकापुर घूमने का प्लान बना रहे हैं तो आपको तातापानी को जरूर एक्सप्लोर करना चाहिए। बता दें कि न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि भारत के लिए भी यह एक रहस्यमई जगह है। बताया जाता है कि तातापानी में प्राकृतिक रूप से धरती के अंदर से गर्म पानी निकलता रहता है। इस कुंड में पूरे साल पानी गर्म रहता है। इसके साथ ही मानसून में भी इस कुंड का पानी गर्म रहता है। इस पानी में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। यहां पर भगवान भोलेनाथ की एक विशाल मूर्ति भी स्थापित है।

महामाया मंदिर

अंबिकापुर को टेंपल टाउन कहा जाता है, आप यहां कई प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं। महामाया मंदिर सती के 52 शक्तिपीठों में से एक है, इसलिए यहां रोजाना श्रद्धालुओं का अच्छा खासा जमावड़ लगता है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1050 ईस्वी में हुआ था। मंदिर की वास्तुकला देखने लायक है, जो आगुंतकों को काफी ज्यादा प्रभावित करती है। मां दुर्गा यहां की मुख्य देवी हैं, जिनका आशीर्वाद पाने के भक्त दूर-दूर से आते हैं। खासकर नवरात्रि के दिनों यहां यहां ज्यादा श्रद्धालुओं का आगमन होता है, इस दौरान मंदिर में विशेष आयोजन किए जाते हैं।

ठिनठिनी पत्थर

अंबिकापुर से कुछ ही दूरी पर ठिनठिनी पत्थर नामक एक सहस्यमयी जगह मौजूद है। यह स्थान एक फेमस पर्यटक स्थल भी है। घने जंगल के बीच इस स्थान पर भारी संख्या में सैलानी घूमने के लिए आते हैं। इस रहस्यमयी ठिनठिनी पत्थर के बारे में बताया जाता है कि जब किसी चीज से इस पर मारा जाता है तो इससे काफी मधुर आवाज आती है। जो आसपास के मौजूद पत्थरों से बिलकुल अलग होती है। स्थानीय लोगों को मानना है कि इस पत्थर में दैवीय शक्ति है। यह वजह है कि यहां रोजाना पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। यहां आने वाले आगंतुक पत्थर पर चोट कर ध्वनी को गुंजन को सुनते हैं।

ऑक्सीजन पार्क

अंबिकापुर के हसीन वनों के बीच मौजूद ऑक्सीजन पार्क घूमने के लिए काफी बेहतरीन जगह है। यह खूबसूरत पार्क पहाड़ की चोटी पर स्थिति है। इसलिए इस हसीन जगह पर घूमने के लिए सैलानी भारी संख्या में घूमने पहुंचते हैं। बता दें कि यह पार्क काफी हसीन दृश्यों के लिए जाना जाता है। यहां पर आपको चारों तरफ से छोटे-बड़े पहाड़ और हरियाली देखने को मिलती है। ऑक्सीजन पार्क में हजारों किस्म के फूल देखने को मिलते हैं। इन फूलों को देखकर सैलानियों का मन भी तृप्त हो जाता है। वहीं मानसून इस जगह की खूबसूरती देखने लायक होती है।

राकसगंडा झरना

रकसगंधा जलप्रपात रिहंद नदी के तट पर है। क्योंकि यह एक प्राकृतिक झरना है, आपको वहां जाने का सबसे अच्छा समय जांचना होगा। आप मानसून के मौसम के दौरान वहां जाने का प्रयास कर सकते हैं, क्योंकि उस समय यह स्थान सबसे जीवंत हो जाता है। यह उन लोगों के लिए एकदम सही स्थान है जो किसी से भी डरे बिना नदी तट पर समय बिताना चाहते हैं। राकसगंडा झरना अंबिकापुर रेलवे स्टेशन से लगभग 150 किलोमीटर दूर है, इसलिए आपको इस जगह की यात्रा तभी करनी चाहिए जब आपके पास पूरा दिन खाली हो, क्योंकि आने-जाने में कुल 300 किलोमीटर का समय लगेगा।

जोगीमारा गुफा

उपरोक्त स्थलों के अलावा आप यहां अन्य लोकप्रिय स्थल, जोगीमारा गुफा की सैर का प्लान बना सकते हैं। ये गुफाएं मुख्य शहर से लगभग 40 कि।मी की दूरी पर पहाड़ों में स्थित हैं। माना जाता है कि गुफाएं 300 ईसा पूर्व से संबंध रखती हैं। गुफाओं की दीवारों पर आप प्राचीन चित्रकारी और कलाकृतियां देख सकते हैं। यहां फूल, पंक्षी, इंसानों और जानवरों के चित्र बने हुए हैं। यहां से कुछ शिलालेख भी प्राप्त किए गए हैं, जिनसे पता चला कि ये विश्व के पहले प्रेम संदेश हो सकते हैं।

उल्टा पानी

यह एक व्यावसायिक पर्यटन स्थल नहीं है, लेकिन स्थानीय लोग अक्सर यहां आते रहते हैं। यहां आकर लोग अपनी गाड़ियों के साथ एक्सपेरिमेंट करते हैं। यह पहाड़ी वास्तव में चुंबकीय है और इसमें अच्छा खिंचाव है। यहां पानी ऊपर की ओर बहता है, जो इस स्थान की विशिष्टता है। चुंबकीय क्षेत्र के कुछ विशेष प्रभाव के कारण पानी ऊपर की ओर बहता हुआ लगभग 60 मीटर की दूरी तय करता है और ऊंचाई लगभग 3 फीट है।

शिवपुर शिव मंदिर

गर्भगृह में एक शिवलिंग है जो सफ़ेद संगमरमर से घिरा हुआ है। शिव मंदिर का शिवलिंग उन कुछ में से एक है जिसके शीर्ष पर कुंडली मारे हुए एक साँप की मूर्ति है। प्रवेश द्वार पर नंदी हैं। मंदिर की दीवारों और खंभों पर आपको कई देवी-देवताओं की नक्काशी देखने को मिलेगी। शिवपुर शिव मंदिर अंबिकापुर रेलवे स्टेशन से लगभग बीस मिनट की दूरी पर है।

रामगढ़ और सीताबेंगरा

इन सब स्थलों के अलावा आप यहां के रामगढ़ सीताबेंगरा स्थल की ओर प्रस्थान कर सकते हैं। रामगढ़ सीताबेंगरा, अंबिकापुर के वो महत्वपूर्ण स्थल हैं, जो पौराणिक मह्त्व रखते हैं। माना जाता है कि वनवास के दौरान भगवान राम ने अपनी पत्नी सीता के साथ यहां कुछ समय बिताया था। सीता बेगरा को सीता के पैतृक निवास के तौर पर चिह्नित किया जाता है। हांलिक इन किवदंतियों में कितनी सच्चाई है, इसका कोई सटीक जवाब नहीं मिलता। रामगढ़ और सीता बेंगरा एक दूसरे से कुछ किमी के फासले पर स्थित हैं।