पाकिस्तान सीमा के करीब जैसलमेर है एक बेहतरीन पर्यटन स्थल, जानें यहां की घूमने लायक जगहें

जब भी कभी राजस्थान में पर्यटन की बात आती हैं तो घूमने लायक जगहों में जैसलमेर का नाम जरूर शामिल होता हैं। द गोल्डन सिटी के नाम से मशहूर जैसलमेर राजस्थान का एक ऐतिहासिक शहर है जो बंजर रेत और शुष्क थार रेगिस्तान से घिरा हुआ एवं पड़ोसी देश पकिस्तान से भी जुड़ा हुआ हैं। यहां आने वाले पर्यटक डेजर्ट और जीप सफारी का लुत्फ उठाते हैं। जैसलमेर में घूमने के लिए ऐसी कई जगहें हैं, जहां आकर आप खुद रोमांच से भर जाएंगे। अगर आप राजस्थान के इस खुबसूरत शहर जैसलमेर की यात्रा का मन बना रहे है तो आज इस कड़ी में हम आपको जैसलमेर घूमने की प्रमुख जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इनके बारे में...

जैसलमेर किला

जैसलमेर की शान माना जाने वाला जैसलमेर किला एक विशाल किला है जो जैसलमेर शहर के केंद्र मे स्थित है जिसे 12वीं सदी मे राव जैसल द्वारा बनवाया गया था यह किला पीले बलुआ पत्थरों से निर्मित है जिसके कारण सूर्यास्त के समय यह बिलकुल सोने की तरह चमकता है और यही कारण है की इसे ‘सोनार किला’ भी कहा जाता है। जैसलमेर आने वाले पर्यटकों के बिच यह किला सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र है करीब 30 फीट ऊँची दिवार से घिरे हुए इस किले के अंदर कई खुबसूरत मंदिर मौजूद है इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल मे भी शामिल किया गया है।

पटवों की हवेली

यह हवेली जैसलमेर मे पटवन परिसर के पास मे ही स्थित है जिसका निर्माण प्रसिद्ध व्यापारी गुमान चन्द ने अपने 5 बेटों के लिये करवाया था यह पांच हवेलियों का एक समूह है जो पीले बलुआ पत्थरों से निर्मित है और इसे बनाने मे तक़रीबन 50 साल का समय लगा था। ये हवेली बहार से तो खुबसूरत है ही साथ ही अंदर से अपने अलिसन माहोल से आपके होश उदा देगी इस हवेली के भीतर की चित्र कारी, कांच के काम और बैल्कोनिया आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाएगी।

बड़ा बाग

शाही परिवारों के मकबरों की एक श्रृंखला के साथ एक उद्यान परिसर, बड़ा बाग राजस्थान के अतीत से संबंधित एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है जिसमें पहाड़ी के तल पर मकबरे या कब्रगाह के प्रवेश द्वार हैं। बगीचे में कई भूरे रंग की छतरियां हैं जो कि गुंबद चौकोर, गोलाकार या पिरामिड के आकार बनी हुई है। आप यहां बगीचे में टहल सकते हैं और पक्षियों को देखकर इस जगह का लुत्फ उठा सकते हैं। बड़ा बाग देखने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी के बीच है।

जैन मंदिर

जैसलमेर के किले में स्थित, जैन मंदिर राजस्थान के जैसलमेर में स्थित हैं। मंदिरों से एक उच्च धार्मिक और प्राचीन इतिहास जुड़ा हुआ है। दिलवाड़ा शैली में निर्मित जैन मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है, ये मंदिर ऋषभदेवजी और शंभदेवदेव जी को समर्पित हैं, जो जैन तीर्थंकर ‘तीर्थंकर’ के नाम से प्रसिद्ध हैं। सभी सात मंदिर एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और एक ही स्वर्ण-पीले जैसलमेरी पत्थर का उपयोग करके बनाए गए हैं। ये मंदिर पीले पत्थरों की दीवारों पर उकेरे गए जानवरों और मानव आकृतियों के साथ बनी दिलवाड़ा शैली का एक बेहतरीन उदाहरण है।

गडिसर झील

इस झील का निर्माण 14वीं शताब्दी में महारावल गड्सी ने करवाया था यह एक कुत्रिम (Artificial) झील है जिसके किनारे कई छोटे बड़े मंदिर मौजूद है यह झील जैसलमेर में कभी न सूखने वाली झीलों में से एक है। क्योंकि वर्तमान में वर्षा के अलावा इसे इंद्रा गाँधी नाहर से भी भरा जाता है इस झील में बोटिंग भी की जा सकती है जिसका अपना मजा है इसके अलावा पक्षी प्रेमियों के लिए ये झील एक खास जगह है क्योंकि इसके आस पास काफी प्रवासी पक्षी देखने को मिलते है जो यहाँ अपने लम्बे सफ़र के दौरान आराम फरमाते है।

व्यास छत्री

बड़ा बाग के अंदर स्थित व्यास छत्री जैसलमेर के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। सुरुचिपूर्ण राजस्थानी वास्तुकला और जटिल नक्काशी के साथ सुनहरे रंग के बलुआ पत्थर की छतरियों की एक सरणी के साथ, ये संरचनाएं देखने लायक हैं। छतरियों की वास्तुकला को निहारने के अलावा, आप एक तरफ जैसलमेर किले और दूसरी तरफ रेत के टीलों के सुंदर दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। व्यास छतरी देखने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक है।

नथमल जी की हवेली

यह हवेली जैसलमेर शहर के केंद्र में स्थित है जो अपने स्थापत्य शैली के लिए काफी प्रसिद्ध है इस हवेली का निर्माण महारावल वेसिवल ने उनके दीवान नाथमल जी के लिए करवाया था इस ईमारत में कई आकर्षित चित्र बनाये गये है। इसके साथ साथ ईमारत की दीवारों पर घोड़ो और फूलों के कई उभरे चित्रों को भी देख सकते है जैसलमेर शहर के केंद्र में स्थित होने के कारण आप यहाँ पर आसानी से पहुँच सकते है।

खाबा किला

खाबा किला, कुलधरा गांव के पास, जैसलमेर में एक और असामान्य और अद्भुत संरचना है। किले और गांव में पालीवाल ब्राह्मण रहते थे, जिन्होंने एक रात अज्ञात कारणों से इसे छोड़ दिया था। अब यह एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण बन चुका है, इस किले से आप गांव के सुंदर मनोरम दृश्य देख सकते है, साथ ही कई खूबसूरत फोटोज भी खीच सकते हैं। किले का आकर्षण और सदियों पुरानी कलाकृतियों वाला एक संग्रहालय कई इतिहास प्रेमियों को भी आकर्षित करता है।

सैम सैंड ड्यून्स

सैम सैंड ड्यून्स राजस्थान के सभी ऐतिहासिक किलों और रंगीन बाजारों के बीच एक प्राकृतिक पर्यटन स्थल है। गोल्डन सिटी जैसलमेर से लगभग 40-42 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सैम सैंड ड्यून्स उन लोगों द्वारा देखे जाते हैं, जो पारंपरिक स्थल से दूर हटने के लिए एकांत तलाशते हैं और खुले आसमान के नीचे कुछ समय बिताना चाहते हैं। यहां आपको 30 से 60 मीटर लंबे रेत के टीले मिलते हैं और टीले मिलेंगे और कई पर्यटक ऊंठ और जीप सफारी का आनंद लेते दिखेंगे।

तनोट माता मंदिर

जैसलमेर से तक़रीबन 120 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है थार की वैष्णो देवी यानि तनोट माता का मंदिर इसे भी आप अवश्य देखे इस मंदिर को चमत्कारी मंदिर कहा जाता है क्योंकि 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान यहाँ पर बहुत सारे बोमब गिराए गये थे। फिर भी मंदिर और भारतीय जवान सुरक्षित थे जिसके बात इस मंदिर का रख रखवा BSF के जवान करते है जहाँ पर आज भी आप उस वक्त के बोम्ब को देख सकते है।