जब भी कभी घूमने जाने की बात आती हैं तो राजस्थान की राजधानी जयपुर का नाम जरूर सामने आता हैं जो कला, संस्कृति, खानपान, इतिहास के साथ पर्यटन के लिहाज से बेहद समृद्ध जगह हैं। राजधानी जयपुर को गुलाबीनगरी के नाम से भी जाना जाता हैं। यहां बड़ी संख्या में लोग घूमने के लिए आते हैं। पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बनते हैं यहां के प्रसिद्द किले। जी हां, राजधानी जयपुर के इन ऐतिहासिक किलों को एक बार देख लेने के बाद शायद ही आप जिंदगी भर के लिए इस अनुभव को भूल पाएंगे। ऐसे में जब भी कभी जयपुर घूमने का प्लान करें तो यहां के इन किलों की सैर जरूर करें।
हवा महलजयपुर की शान है ये महल। ऐसा इसलिए क्योंकि जयपुर के नाम पर भी कई बार हवा महल की तस्वीर ही सामने आती है। इसके नाम का मतलब है हवाओं से बनी जगह। साल 1798 में महाराजा सवाईं प्रताप सिंह ने इस पांच मंजिला खूबसूरत इमारत को बनाया था। ये खासतौर पर उन राजसी महिलाओं के लिए बनाया गया था, जो आम जनता के जीवन को देखना समझना चाहती थीं। इसे सिटी पैलेस का ही हिस्सा माना जाता है। यह महल जयपुर के साउथ में स्थित है और इस महल में 1000 छोटी खिड़कियां हैं जिस कारण ये एक छत्ते की तरह दिखता है। इस महल के गुलाबी और लाल पत्थरों का बाहरी हिस्सा सुबह की रोशनी में बहुत खूबसूरत दिखाई देता है। गर्मियों में भी इस महल में ठंडी हवाएं चलती हैं। जयपुर एयरपोर्ट से इसकी दूरी करीब 12 किलोमीटर है।
जल महलजल महल एक खूबसूरत वास्तुकला का नमूना है जो जयपुर शहर की मान सागर झील के बीच में मौजूद है। इन दोनों को 18वीं सदी में राजा जय सिंह ने पुनर्निर्मित करवाया था। इस महल की पहली मंजिल पर स्थित हॉल को बहुत अच्छी तरह से सजाया गया है लेकिन फिर भी इसके उपर स्थित चमेली बाग ज्यादा खूबसूरत है। ये मुगल और राजपूत वास्तुकला का एक बेहतरीन संयोजन है। शाम को इस जगह पर जरूर जाएं और यहां शांतिपूर्ण समय बिताएं। अरावली पहाड़ियों के गर्भ में स्थित जल महल को मानसागर झील के बीचों-बीच होने के कारण 'आई बॉल' भी कहा जाता है। इसके अलावा इसे 'रोमांटिक महल' के नाम से भी जाना जाता था। राजा अपनी रानी के साथ खास वक्त बिताने के लिए इस महल का इस्तेमाल करते थे। इसके अलावा राजसी उत्सवों पर भी महल का इस्तेमाल होता था। पांच मंजिला इस जल महल की सबसे खास बात ये है कि इसका सिर्फ एक मंजिल ही पानी के ऊपर दिखता है जबकि बाकी के चार मंजिल पानी के नीचे हैं। यही वजह है कि इस महल में गर्मी नहीं लगती।
आमेर फोर्टजयपुर एयरपोर्ट से 24 किलोमीटर दूर बने इस महल को संगमरमर और बलुआ पत्थर से बनाया गया था। इस किले पर राजा मानसिंह प्रथम ने राज किया था। चार मंज़िला ये महल माओटा झील के लिए भी जाना जाता है। चार मंजिला इस किले में शाही विरासत का दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, शीश महल और सुख निवास जिसमें एयर कंडीशनर का प्रभाव देने के लिए एक सरल और प्राकृतिक जल प्रवाह भी बनाया गया है। इस किले में एक आपातकालीन रास्ता भी है जो हमलों के दौरान इसे जयगढ़ किले से जोड़ता है। इसके लैंडस्केप भी यात्रियों को खूब आकर्षित करते हैं। यहां आने के बाद महल के वास्तु के साथ म्यूजियम को भी जरूर देखा जाना चाहिए। इसके अलावा रात में होने वाले नाइट और साउंड शो को भी देखा जाना जरूरी हो जाता है।
जयगढ़ किला यह राजस्थान की राजधानी जयपुर के गुलाबी शहर में ‘चील का तेला’ पहाड़ियों के शीर्ष पर स्थित एक बहुत ही भव्य संरचना है। इस खूबसूरत इमारत को सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा 1726 में आमेर किले की सुरक्षा के लिए बनाया गया था। यह किला चट्टान के शीर्ष पर बँधा हुआ हरे भरे और विशाल जंगों से घिरी एक महलनुमा संरचना है। आपको बता दें कि इस शानदार किले से आमेर किले तक एक भूमिगत मार्ग जाता है और इसे “विजय का किला” के रूप में भी जाना जाता है। इस किले की सबसे बड़ी खास बात यह है कि इस किले में दुनिया की सबसे बड़ी तोप है और यह जयपुर शहर का एक आकर्षक दृश्य भी प्रस्तुत करता है। जयगढ़ किला विद्याधर नामक एक प्रतिभाशाली वास्तुकार द्वारा निर्मित और डिजाइन किया गया जिसकी वजह से यह किला यहाँ आने वाले पर्यटकों को अपनी तरफ बेहद आकर्षित करता है।
सिटी पैलेसजयपुर का सिटी पैलेस राजस्थान के इतिहास में बड़ा रोल निभाता है। 1729 से 1732 के बीच बने इस महल को ऐतिहासिक वास्तुशिल्प के साथ बगीचे और एंटीक चीजों के लिए भी जरूर जाना चाहिए। यहां पर मुबारक महल और चंद्र महल, राजस्थानी, मुगल और यूरोपियन आर्किटेक के साथ बनाए गए हैं। सिटी पैलेस राजाओं का तख्त रहा है। इसमें कई भवन, आंगन, मंदिर और बाग हैं। इसका निर्माण जय सिंह ने शुरु करवाया था। यहां चंद्र महल सिटी पैलेस का सबसे भीतरी किला है। इसका अपना एक संग्रहालय है और इसमें शाही परिवार के सदस्य रहते हैं। यहां आए यात्री पैलेस की खूबसूरती के साथ आर्ट गैलेरी और म्यूजियम देख कर हतप्रभ जरूर होते हैं। जयपुर एयरपोर्ट से 13 किलोमीटर डोर बिलकुल शहर के बीच बने इस महल की जंतर-मंतर से दूरी करीब 2 किलोमीटर ही है।
नाहरगढ़ किलानाहरगढ़ किला राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित है, जो कई अनगिनत महलों और सुंदर ऐतिहासिक इमारतों में से एक है जो इस शहर के शानदार और समृद्ध इतिहास को बताता है। नाहरगढ़ किले को जयपुर शहर के संस्थापक, महाराजा सवाई जय सिंह ने 1734 में बनवाया था। जयपुर के बाहरी इलाके में स्थित नाहरगढ़ किला, अपनी विशाल दीवार के लिए प्रसिद्ध है जो इसे जयगढ़ किले से जोड़ती है और शहर के लुभावने दृश्य प्रदान करती है। नाजुक नक्काशी और पत्थर के शानदार वर्क के साथ नाहरगढ़ किला एक अभेद्य दुर्ग है जो आमेर किले और जयगढ़ किले के साथ मिलकर जयपुर शहर के मजबूत रक्षक के रूप में खड़ा है। जो भी पर्यटक जयपुर घूमने के लिए जाता है वो इस ऐतिहासिक किले को देखे बिना रह नहीं पाता है। नाहरगढ़ किले रंग दे बसंती’ और ‘शुद्ध देसी रोमांस’ जैसी फिल्मों की शूटिंग भी हुई है।
रामबाग पैलेसजयपुर के अनोखे महलों में से एक है रामबाग पैलेस। जयपुर से 8 किलोमीटर दूर बने इस महल को अब ताज होटल में बदल दिया गया है। इसके बनने की शुरुआत से जुड़ी भी एक कहानी है। 1835 में यहां सिर्फ गार्डेन हाउस बनाया गया था। ये हाउस राजकुमार राम सिंह की नर्स के लिए बनाया गया था। फिर करीब 50 साल बाद इस जगह को हंटिंग लॉज बनाया गया। फिर 20वीं शताब्दी में इसे महाराजा सवाईं मान सिंह द्वितीय का निवास बना दिया गया। 47 एकड़ में बसे इस महल राजस्थानी संस्कृति दिखती है, वो भी मॉडर्न असर के साथ। जयपुर एयरपोर्ट से ये जगह 11 किलोमीटर दूर है।