अल्मोड़ा की प्राकृतिक खूबसूरती का बेहतरीन नजारा पेश करती हैं ये 8 जगहें

जब भी कभी प्राकृतिक सुंदरता की बात की जाती हैं तो उत्तराखंड का नाम सामने आता हैं जहां कई पर्यटन स्थल हैं जिनकी सुंदरता पर्यटकों को अपनी ओर खींचती हैं। इन्हीं पर्यटन स्थलों में से एक हैं अल्मोड़ा जो कि कुमाऊँ क्षेत्र के हिमालया पर्वत के बीच स्थित एक खूबसूरत हिल स्टेशन हैं। यहां बर्फ के पहाड़, फूलों से भरे हुए खुशबूदार पेड़, नर्म मुलायम घास, खूबसूरत झरने और कई मनमोहक दृश्य देखने को मिलते हैं। यहां की इन्हीं खासियत के चलते विदेशों से बहुत से लोग देश के इस स्थान पर घूमने आते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको अल्मोड़ा की प्रसिद्द जगहों की जानकारी देने जा रहे हैं जो यहां की प्राकृतिक खूबसूरती का बेहतरीन नजारा पेश करती हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में...

कसार देवी मंदिर

यह स्थान अल्मोड़ा से करीब 5 किमी दूर है। यह एक धार्मिक स्थल है। यहां पर आने वाले बहुत से लोग इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। यह स्थान हवा बाघ की घाटियों के बीच स्थित है और यह स्थान पिकनिक मनाने के लिए भी एक आदर्श स्थल माना जाता है। बताया जाता है कि स्वामी विवेकानंद ने इसी स्थान पर ध्यान किया था तथा ज्ञान पाया था। इस स्थान के लिए कालीमठ से पैदल यात्रा करनी होती है।

नंदा देवी मंदिर

अल्मोड़ा जिले के पवित्र स्थलों में से एक कुमाऊं क्षेत्र में स्थित 'नंदा देवी मंदिर' का विशेष धार्मिक महत्व है। इस मंदिर में देवी दुर्गा का अवतार विराजमान है। समुन्द्रतल से 7816 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह मंदिर चंद वंश की ईष्ट देवी माँ नंदा देवी को समर्पित है। नंदा देवी माँ दुर्गा का अवतार और भगवान शंकर की पत्नी है और पर्वतीय आँचल की मुख्य देवी के रूप में पूजी जाती है। नंदा देवी गढ़वाल के राजा दक्षप्रजापति की पुत्री है, इसलिए सभी कुमाउनी और गढ़वाली लोग उन्हें पर्वतांचल की पुत्री मानते है। कई हिन्दू तीर्थयात्रा के धार्मिक रूप में इस मंदिर की यात्रा करते है क्यूंकि नंदा देवी को 'बुराई के विनाशक' और कुमुण के घुमन्तु के रूप में माना जाता है। इसका इतिहास 1000 साल से भी ज्यादा पुराना है। नंदा देवी का मंदिर, शिव मंदिर की बाहरी ढलान पर स्थित है।

लाल बाजार

लाल बाजार यहां की एक फेमस मार्कीट हैं। यहां से आप अपने लिए शॉपिंग कर सकते हैं। यहां आपको स्वादिष्ट मिठाइयां तथा पीतल और तांबे के बर्तन तथा अन्य कई तरह की कलात्मक चीजें सही दामों पर मिल जाती हैं। खरगोश के बाल से बने गर्म कपड़े यहां का मुख्य आकर्षण होता हैं।

दुनागिरी मंदिर

दूनागिरी मंदिर एक हिन्दूओं का प्रसिद्ध मंदिर है जो कि उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट क्षेत्र से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह मंदिर द्रोणा पर्वत की चोटी पर स्थित है। मां दूनागिरी मंदिर को ‘द्रोणगिरी’ के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्वत पर पांडव के गुरु द्रोणाचार्य द्वारा तपस्या करने पर इसका नाम द्रोणागिरी पड़ा था। इस मंदिर का नाम उत्तराखंड सबसे प्राचीन व सिद्ध शक्तिपीठ मंदिरो में आता है। मां दूनागिरी का यह मंदिर ‘वैष्णो देवी के बाद उत्तराखंड के कुमाऊं में दूसरा वैष्णो शक्तिपीठ है।

जीरो पॉइंट

हिमालय की गोद में बसा अल्मोड़ा में स्थित जीरो पॉइंट वन्य अभ्यारण के लिए जाना जाता है। इस जीरो पॉइंट तक जाने के लिए सड़क मार्ग से तकरीबन 1 किलोमीटर की ट्रैकिंग करनी पड़ती है। और यह ट्रैकिंग काफी खूबसूरत एवं आकर्षक होती हैं। पहाड़ी, खाड़ी, देवदार के वृक्ष, हरियाली काफी ट्रैकिंग के दौरान दिखने में आकर्षक लगती हैं।

बिनसर

यह स्थान भगवान शिव को समर्पित है। आपको बता दें कि उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में भगवान शिव को बिनसर देव के नाम से जाना जाता है। अतः प्राचीन काल में इस स्थान का नामकरण उनके नाम से ही कर दिया गया था। यह स्थान बहुत सुंदर तथा आकर्षित करने वाला है। प्राचीन काल में गर्मियों के समय यह स्थान चंद राजाओं की राजधानी हुआ करता था। हिमालय की पर्वतमालाओं की पृष्ठ भूमि पर स्थित यह स्थान आपको बहुत सुंदर लगेगा। आपको बता दें कि अल्मोड़ा की दिल्ली से दूरी महज 200 किमी है। दिल्ली से प्रतिदिन यहां के लिए बसे चलती हैं। इसके अलावा आसपास के शहरों से भी बसों के जरिए अल्मोड़ा पहुंचा जा सकता है।

बोडेन मेमोरियल मेथोडिस्ट चर्च

पोखर खली में स्थित बुडेन मेमोरियल मेथोडिस्ट चर्च, अल्मोड़ा में घूमने के लिए सबसे प्रमुख स्थानों में से एक है। ब्रिटिश काल के दौरान बनाया गया यह चर्च क्षेत्र की सबसे पुरानी संरचनाओं में से एक है।हर साल क्रिसमस के दौरान इस चर्च को खूबसूरती से सजाया जाता है और सभी धर्मों के लोग अपने धर्म के बावजूद आते हैं। बोडेन मेमोरियल मेथोडिस्ट चर्च अल्मोड़ा के लोगों के लिए एक लोकप्रिय क्रिसमस समय का आकर्षण है। चर्च का निर्माण 1897 में श्रद्धालु जॉन हार्डी पर लन्दन मिशनरी सोसाइटी से जुड़े बोझ के रूप में किया गया था। जिन्हें बाद में कप्तान हेनरी रामसे ने रूमा में एक मिशनरी पद की पेशकश की थी।

चितई मंदिर

अल्मोड़ा का प्रसिद्ध चितई मंदिर चित्तौड़गढ़ हाईवे पर स्थित है। यहां पर चितई मंदिर में न्याय के देवता गोलू देवता की प्रतिमा स्थापित है। यहां पर लोग देश के अलग-अलग कोणों के अलावा विदेश से भी घूमने एवं अपनी मनोकामना पूरा करने आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यहां सच्चे मन से जो मांगो वह मिल जाता है। इस मंदिर में काफी ज्यादा मात्रा में घंटी देखने को मिलती हैं। यहां पर लगे घंटी का राज यह है कि जिन भी लोगों की मनोकामना पूर्ण होती है, वह यहां घंटी बांधते हैं। यहां पर इतनी काफी मात्रा में घंटी देखने को मिलती है, कि लोग इस मंदिर को घंटी वाले मंदिर के नाम से भी जानते है।