देश के इन अलग-अलग हिस्सों में बहुत ही खास तरीके से मनाया जाता है मकर सक्रांति का त्यौहार, जानें

आने वाले दिनों में मकर संक्रांति का त्यौहार देशभर में मनाया जाना हैं। हर साल यह त्यौहार 14 जनवरी को आता हैं जिसमें मुख्य तौर पर पतंग उड़ाने की प्रथा हैं। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मकर संक्रान्ति साल का पहला त्यौहार होता है। जब सूर्य देव मकर राशि पर प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति को बड़ा त्योहार माना जाता है क्योंकि इससे बहुत सारी कथाएं जुड़ी हुईं हैं। इस दिन पवित्र नदियों में नहाने और दान-पुण्य करने का बहुत महत्व हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस त्यौहार को देश के हर हिस्से में अलग-अलग नाम और तरीकों से मनाया जाता हैं। आज इस कड़ी में हम आपको इसी से जुड़ी जानकारी देने जा रहे हैं।

बंगाल

बंगाल में इस पर्व को पौष संक्रान्ति के नाम से मनाया जाता है। इस दिन यहां स्नान करके तिल दान करने की प्रथा है। यहां गंगासागर में प्रति वर्ष विशाल मेला लगता है। कहा जाता है इसी दिन ही गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं। इस दिन लाखों लोगों की भीड़ गंगासागर में स्नान-दान के लिये जाते हैं।

तमिलनाडु

तमिलनाडु में इसे पोंगल कहते हैं। ये चार दिन का त्योहार होता है। जिसमें पहला दिन भोगी-पोंगल, दूसरा दिन सूर्य-पोंगल, तीसरा दिन मट्टू-पोंगल और चौथा दिन कन्या-पोंगल के रूप में मनाते हैं। दक्षिण भारत के लोग इस जिन चावक के पकवान बनाते हैं। हर दिन की तरह इस दिन भी रंगोली बनाई जाती है जो बेहद खूबसूरत होती है और रंगों से भरी होती है।

गुजरात

पतंग उड़ाने के लिए गुजराती लोग इस त्योहार का इंतजार करते हैं। इसे गुजराती में उत्तरायण या उतरन कहा जाता है और यह दो दिनों तक चलता है। यह नाम सूर्य के उत्तरायणन गति में आने के प्रतीक हैं। गुजरात में पर्व 14 और 15 जनवरी को मनाया जाता है, जहां 14 जनवरी उत्तरायण है और 15 वासी उत्तरायण है। इन दो दिनों में प्रमुख शहरों के आसमान रंगीन पतंगों से भरे हुए नजर आते हैं। इसके अलावा, लोग चीकू, सूखे मेवे, तिल से बनी मिठाइयों का आनंद लेते हैं।

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति पर्व को ‘दान का पर्व’ या किचेरी कहा जाता है। मान्यता है कि मकर संक्रांति से पृथ्वी पर अच्छे दिनों की शुरुआत होती है और शुभकार्य किए जा सकते हैं। संक्रांति के दिन स्नान के बाद दान देने की परंपरा है। गंगा घाटों पर मेलों का भी आयोजन होता है। पूरे प्रदेश में इसे खिचड़ी पर्व के नाम से जानते हैं। प्रदेश में इस दिन हर जगह आसमान पर रंग-बिरंगी पतंगें लहराती हुई नजर आती हैं।

पंजाब

यह त्योहार हरियाणा और पंजाब में एक दिन पहले लोहड़ी के नाम से मनाया जाता है। इस दिन अँधेरा होते ही आग जलाकर पूजा करते हुए भुने हुए मक्के के दाने, तिल, गुड़, चावल, गजक और मुंगफली की आहूति देते हैं। इसके बाद आहूति के किनारे फेरा लगाते है और फिर ढ़ोल पर भांगड़ा करके खुशियां मनाते हैं। प्रशाद में लोग एक दूसरे को मूंगफली, तिल के लड्डू, गजक और रेवड़ियाँ आदी बांटते है।

केरल

केरल में इसे मकर विलक्कू कहते हैं और सबरीमाला मंदिर के पास जब मकर ज्योति दिखाई देती है तो लोग इसेक दर्शन करते हैं। वहीं आंध्र प्रदेश में संक्रांति का पर्व तीव दिन का होता है। जिसमें लोग पुरानी चीजों को फेंक कर नई चीजें लेकर आते हैं। किसान अपने खेत, गाय और बैलों की पूजा करते हैं और तरह-तरह का खाना खिलाते हैं।

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में इस पर्व को तिलगुड़ नाम से मनाते हैं। इस अवसर को 3 दिन तक मनाया जाता है। इस पर तिल गुड़ बांटने की प्रथा है। तिल गुड़ बांटने का मतलब है पुरानी कड़वाहट भुलाकर नयी शुरुआत करना। इस दिन महिलाएं आपस में तिल, गुड़, रोली और हल्दी बांटती हैं।

असम

माघ बिहू मनाया जाता है जिसे भोगली बिहू भी कहा जाता है। असम में मनाया जाने वाले ये एक फसल उत्सव है, जो माघ यानि जनवरी-फरवरी के महीने में मनाया जाता है। इस उत्सव में एक हफ्ते तक दावत होती है। युवा लोग बांस, पत्तियों और छप्पर से मेजी नाम की झोपड़ियों को बनाते हैं और उसमें बैठ कर दावत खाते हैं फिर अगली सुबह इन झोपड़ियों को जलाया जाता है।