पूरी दुनिया मानती हैं इन शानदार इंडियन आर्किटेक्चरल स्ट्रक्चर्स का लोहा

भारत देश को अपनी कई विशेषताओं के लिए जाना जाता हैं जिसमें से एक हैं यहां की आर्किटेक्चरल स्ट्रक्चर्स। बढ़ती तकनिकी के साथ भारत में कई ऐसे आर्किटेक्चरल स्ट्रक्चर्स बनाए गए हैं जिनकी खासियत के चलते इन्हें पूरी दुनिया में जाना जाता हैं। इंडियन इंजीनियर्स की कुशलता और अथक परिश्रम के चलते कई ऐसे स्ट्रक्चर्स तैयार हुए हैं जिन्हें देख आज सभी को गर्व होता हैं। आज इस कड़ी में हम भारत के कुछ ऐसे ही ख़ास आर्किटेक्चरल स्ट्रक्चर्स की जानकारी लेकर आए हैं जिनका पूरी दुनिया लोहा मानती हैं।

बांद्रा-वर्ली सी लिंक

ये 8 लेन का ब्रिज अरब सागर के ऊपर बना हुआ है और मुंबई के दो सबर्बन इलाकों बांद्रा और वर्ली को जोड़ता है। ये विशाल है, मैजेस्टिक है। ये पहली बार है जब केबल स्टे ब्रिज को ओपन सी में इंडिया में अटेंप्ट किया और अब ये टूरिस्ट अट्रैक्शन भी बन गया है।

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी

गुजरात के नर्मदा जिले में नर्मदा वैली में सरदार सरोवर बांध के विपरीत बने सरदार वल्लभ भाई पटेल की इस विशालकाय मूर्ति को फिलहाल दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति माना जाता है। यह 182 मीटर ऊंची और इसके बनने में 27 अरब रुपए से ज्यादा की लागत आई। इसके कॉन्सेप्च्युलाइजर, फॉर्म्यूलेटर इंडियन ही थे मगर विदेशों की भी मदद ली गई।

पनवल नदी वायडक्ट

महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में स्थित 424 मीटर लंबा सुपर स्ट्रक्चर्स पनवल नदी पर बना हुआ है। कोंकण रेलवे से ट्रैवल करते वक्त आपका ये इंजीनियरिंग मार्वेल देखने को मिल सकता है। ये वायडक्ट एशिया में तीसरा सबसे ऊंचा वायडक्ट है। ये स्लिप इन टेक्नॉलोजी के ऊपर बना हुआ वायडक्ट है जो कि इंडिया में पहली बार यूज किया गया है।

पंबन ब्रिज, तमिलनाडु

तमिलनाडु मेनलैंड से रामेश्वरम को जोड़ने वाले इस ब्रिज की सबसे खास बात है कि यह कैंटीलेवर ब्रिज है, यानि कि समुद्र के ऊपर बने इस ब्रिज को शिप्स के गुजरने के लिए ऊपर उठाने की सुविधा है। ऐसा करते वक्त ब्रिज के दोनों भाग आसमान की ओर उठ जाते हैं। 143 पियर्स के ऊपर टिके इस ब्रिज की कुल लंबाई 2 किलोमीटर है और ये इंडिया का दूसरा सबसे लंबा पुल है।

भूपेन हजारिका सेतु

धोला-सादिया ब्रिज (जिसे भूपेन हजारिका सेतु भी कहा जाता है) ये बीम बेस्ड ब्रिज है जो असम को अरुणाचल प्रदेश से कनेक्ट करता है। ये देश का सबसे लंबा ब्रिज है और इसकी कुल लंबाई 9.15 किलोमीटर है। ये 60 टन के बैटल टैंक का भार सह सकता है।