समुद्र किनारे बसे हैं देश के ये प्रसिद्ध 6 मंदिर, आस्था के साथ दिखाई देती हैं प्राकृतिक खूबसूरती

इस विशाल देश भारत को अपने आध्यात्म के लिए जाना जाता हैं जहां के हर क्षेत्र में आपको कई प्रसिद्द मंदिर देखने को मिल जाएंगे। हर मंदिर की अपनी आस्था होती हैं और कुछ ऐसी विशेषता होती हैं जिसकी वजह से उसे प्रसिद्धि प्राप्त होती हैं। कोई मंदिर अपनी भव्यता के लिए जाना जाता हैं तो कोई वास्तुकला और चमत्कार के लिए। इसी बीच आज इस कड़ी में हम आपको देश के कुछ ऐसे प्रसिद्द मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जो समुद्र किनारे बसे हुए हैं। इन मंदिरों में आपको आस्था के साथ प्राकृतिक खूबसूरती भी दिखाई देती हैं। इन मंदिरों में आप एक बार जाएंगे तो बार-बार जाने का मन करेगा। तो आइये जानते हैं समुद्र किनारे बसे देश के इन प्रसिद्द मंदिरों के बारे में...

मुरुदेश्वर मंदिर, कर्नाटक

भारत में समुद्र के किनारे स्थित बहुत प्रसिद्ध मंदिरों में से एक मुरुदेश्वर मंदिर है। कर्नाटक में स्थित यह वही मंदिर है जहां पर भगवान शंकर के विश्व की दूसरी एवं भारत के सबसे ऊंची भगवान शंकर की प्रतिमा स्थापित है। यहां पर स्थापित भगवान शंकर की प्रतिमा काफी दूर से ही देखी जा सकती हैं। इस मंदिर के बाहर भगवान शिव की लगभग 123 फीट (लगभग 20 मंजिला) ऊंची विशाल मूर्ति रखी गई है। इस मंदिर के आकर्षक चमत्कार को देखने के लिए दुनिया भर से बहुत से पर्यटक इस मंदिर में आते हैं। आप इस मंदिर में दर्शन करने के साथ-साथ शानदार बीच का भी मजा ले सकते हैं। कर्नाटक के मुरुदेश्वर मंदिर तीन ओर से अरब सागर से घिरा हुआ है। कर्नाटक के मुरुदेश्वर मंदिर मैं वैसे तो हमेशा श्रद्धालुओं की भीड़ देखे जाते हैं, लेकिन इस मंदिर में महाशिवरात्रि के दौरान काफी ज्यादा भक्तों के जमाव देखने को मिल जाती है।

सोमनाथ मंदिर, गुजरात

यह मंदिर गुजरात के वेरावल बंदरगाह में स्थित है। इस मंदिर के बारे में अनेक मान्यता है। जिसकी वजह से दूर-दूर से सैलानी इस मंदिर के दर्शन करने आते हैं। सोमनाथ मंदिर को बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। कहते हैं कि इस मंदिर में रखे शिवलिंग को चंद्र देव ने स्थापित किया था। अरब सागर के तट पर बने इस मंदिर का उल्लेख स्कंदपुराण, श्रीमद्भागवत गीता, शिवपुराण और बहुत से प्राचीन ग्रंथों में है। सोमनाथ मंदिर पर 5 से अधिक बार आक्रान्ताओं ने आक्रमण किए थे। लेकिन आस्था के सामने अधर्म की एक न चल सकी। आज भी यह मंदिर अपने सौंदर्य और आस्था के लिए विश्व भर में प्रख्यात है। यही कारण है कि आज भी यह मंदिर अपने अनगिनत शिवभक्तों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है।

शोर मंदिर, तमिलनाडु

भारत के पुराने मंदिरों में टॉप पर शोर मंदिर अपने आप में एक भव्य स्मारक है। यह शोर मंदिर मुख्य रूप से भगवान विष्णु और भगवान शिव को समर्पित है। बंगाल की खाड़ी के सामने महाबलीपुरम में स्थित, इसकी वास्तुकला और संरचना बहुत ही दिलचस्प है। इस मंदिर की संरचना पिरामिड के जैसा है यहां पर काफी अच्छी तरह से खूबसूरत नक्काशी करते हुए अलग-अलग जीव-जंतुओं की प्रतिमा बनाया गया है। यह विश्व धरोहर स्थल भक्तों के लिए महत्वपूर्ण मंदिरों में आता है, लेकिन इस मंदिर के आसपास की खूबसूरती और इसके पास में समुद्र तट से यकीनन आप मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। यह मंदिर एवं इस मंदिर के आसपास का दृश्य इतना ज्यादा आकर्षक है कि लोगों का यहां जाने के उपरांत वापस आने का मन ही नहीं करता है।

हरिहरेश्वर मंदिर, महाराष्ट्र

महाराष्ट्र के प्रसिद्ध शहर - मुंबई से लगभग 130 किलोमीटर दूर स्थित, यह हिंदुओं के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण मंदिर है। आपको बता दें, ये मंदिर भी अरब सागर के पास स्थित है, जिसकी वजह से ये जगह बेहद शांत स्थानों में जानी जाती है। महाबलेश्वर से निकलने वाली सावित्री नदी हरिहरेश्वर के निकट अरब सागर से मिलती है। नदी रत्नागिरी और रायगढ़ जिलों की सीमा है। चार पहाड़ियों हरिहरेश्वर, हर्षिनाचल, ब्रह्माद्रि और पुष्पाद्रि के बीच स्थित है हरिहरेश्वर कस्बा, जिसके उत्तर में स्थित है हरिहरेश्वर मंदिर। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है लेकिन मंदिर में ब्रह्मा जी, भगवान विष्णु और माता पार्वती की प्रतिमाएँ भी स्थापित हैं। हरिहरेश्वर में दो समुद्री तट हैं, एक बालू का और एक चट्टान का। यह दोनों तट मंदिर के उत्तर और दक्षिण में स्थित हैं। कुछ अच्छा समय बिताने के लिए आप यहां अपने परिवार वालों के साथ आ सकते हैं।

महाबलेश्वर मंदिर, कर्नाटक

कर्नाटक में गोकर्ण भारत में सबसे अधिक देखे जाने वाले समुद्र तटों में से एक है। लेकिन इस समुद्र तट में जो चीज चार चांद लगाती है, वो है महाबलेश्वर मंदिर। महाबलेश्वर मंदिर, गोकर्ण के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है जो उत्तर कन्नड़ जिले में स्थित है। भगवान शिव को समर्पित यह शक्तिशाली मंदिर एक प्रमुख तीर्थस्थल है और इसीलिए यहां भक्तों की चहल-पहल हमेशा देखी जा सकती है। इस मंदिर में एक शिवलिंग स्थित है जो यहां आने वाले श्रद्धालुओं के बीच काफी प्रसिद्ध है। यहां स्थित शिवलिंग को आत्मलिंग के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में स्थित शिवलिंग को उतना ही पवित्र माना जाता है जितना काशी के बाबा विश्वनाथ को। इस मंदिर को हिंदू धर्म के सात पवित्र मुक्तीक्षेत्रों में से एक माना जाता है। श्रद्धालुओं को यहां आकर अरब सागर में स्नान करके डुबकी अवश्य लगाना चाहिए।

कोणार्क सूर्य मंदिर, ओडिशा

अब हम यहां समुद्र किनारे मंदिरों के बारे में बात कर रहे हैं, तो कोणार्क सूर्य मंदिर को कैसे भूल सकते हैं। ओडिशा के सबसे व्यस्त समुद्र तटों में से एक के पास स्थित यह मंदिर - चंद्रभागा बीच - निश्चित रूप से देश के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक के रूप में बहुत प्रसिद्ध है। ओडिशा में स्थित प्रसिद्ध कोणार्क सूर्य मंदिर 772 साल पुराना है। बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट से बने इस मंदिर को देखने के लिए दुनियाभर से सैलानी आते हैं। इस मंदिर का निर्माण इस तरह से किया गया है कि सूर्य की पहली किरण मंदिर के प्रवेश द्वार पर पड़ती है। यह मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 1250 ई। में गांग वंश राजा नरसिंहदेव प्रथम ने कराया था। इसकी संरचना रथ के आकार की है। रथ में कुल 12 जोड़ी पहिए हैं। एक पहिए का व्यास करीब 3 मीटर है। इन पहियों को धूप धड़ी भी कहते हैं, क्योंकि ये वक्त बताने का काम करते हैं। इस रथ में सात घोड़े हैं, जिनको सप्ताह के सात दिनों का प्रतीक माना जाता है।