ट्रेन के सफ़र का असली मजा दिलाएंगे ये 10 रूट, मंजिल से भी अधिक रोमांचक होगी यात्रा

जब भी कभी एक जगह से दूसरी जगह सफ़र की बात आती हैं तो ट्रेन का सफर सभी को पसंद आता हैं जो बहुत दूर स्थिति दो जगहों को आपस में जोड़ने का काम करता हैं। ट्रेन का सफर करने की बात आती हैं तो लोग इसके दौरान बाहर के नजारे देखते हुए बिताना पसंद करते हैं। कई बार यह सफ़र बोरियत वाला होता हैं तो कई बार अच्छा साथ मिलने पर सफर का पता ही नहीं चलता हैं। लेकिन आज इस कड़ी में हम आपको देश की कुछ ऐसी रोमांचक यात्रा के बारे में बताने जा रहे हैं जो ट्रेन के सफ़र का असली मजा दिलाएगी। ये रूट्स दुनियाभर के सैलानियों को आकर्षित करते हैं और यह यात्रा मंजिल से भी अधिक रोमांचक होती हैं। आप एक पल के लिए भी इन सफर में बोरियत महसूस नहीं करेंगे। आइए जानते हैं इन बेस्ट ट्रेन रूट्स के बारे में...

मुंबई से गोवा

मुंबई और गोवा दोनों ऐसी जगहें हैं जिसके बारे में लोग अक्सर बात करते हैं। मुंबई जहां अपनी ग्लैमरस और बिजी लाइफ के लिए जानी जाती है, वहीं छुट्टी का नाम लेते ही गोवा याद आता है। इन दोनों जगहों को जोड़ने वाली ट्रेन रूट भी ऐसा ही कमाल का अनुभव कराती है। सह्याद्रि पर्वतमाला और अरब सागर के किनारों से होकर गुजरती ये ट्रेन यात्रा सबसे सुंदर ट्रेन सवारी कही जा सकती है। यह मुंबई और गोवा के बीच की यात्रा है, जो सुरंगों, पुलों, तटीय परिधियों, पश्चिमी घाटों की सीढ़ियों, असंख्य छोटी नदियों और हरे भरे मैदानों से होकर गुजरती है। इन नजारों के बीचोबीच सफर करना अपने आप में गजब का अनुभव है। यहां आपको हर तरफ पानी और नारियल के पेड़ नजर आएंगे।

वास्को डी गामा से लोंडा

गोवा में वास्को डी गामा से कर्नाटक के लोंडा तक की यात्रा से आपको पूरे सफर की संतुष्टि मिल जाएगी। आप ट्रेन की खिड़कियों से प्राचीन गोवा के खूबसूरत गांव दे सकते हैं। ये रूट आपको हरियाली और पहाड़ दिखाते हुए पश्चिमी घाट तक ले जाता है। जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, हरियाली कम होती जाती है और हर तरफ झरने दिखाई देने लगते हैं। इन झरनों के छींटों का आनंद आप पूरे सफर के दौरान लेते रहेंगे।

मेट्टुपालयम से ऊटी

आधिकारिक तौर पर नीलगिरी माउंटेन रेलवे को 2005 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। नीलगिरी माउंटेन रेलवे 46 किलोमीटर लंबा एक सिंगल रेलवे ट्रैक है, जो मेट्टूपालयम शहर को उटकमंडलम शहर से जोड़ता है। 46 किलोमीटर के सफर में 208 मोड़, 16 टनल और 250 ब्रिज पड़ते हैं। यात्रा के दौरान आप घने जंगलों और सुरंगों से होते हुए प्रकृति के खूबसूरत दृश्य का नजारा देख सकते हैं।

कन्याकुमारी से त्रिवेंद्रम

कन्याकुमारी से त्रिवेंद्रम की यात्रा में आप प्राकृतिक नजारों का आनंद उठा सकते हैं। कन्याकुमारी से त्रिवेंद्रम तक ले जाने वाली आइलैंड एक्सप्रेस से आप ठेठ दक्षिण भारतीय नजारों के माध्यम से प्राकृतिक यात्रा का अनुभव ले सकते हैं। आप इस ट्रेन यात्रा के सबसे सुरम्य स्थानों के बीच ठेठ तमिल और केरल की वास्तुकला को भी देख सकते हैं। करीब बीस घंटे तक चलने वाली यात्रा में आप खूबसूरत केरल के चर्चों और अलंकृत मंदिरों की भी तस्वीरें देख सकते हैं। यह असल में भारत की सबसे खूबसूरत ट्रेन यात्राओं में से एक है।

कालका से शिमला

इस रूट पर चलने वाली ट्रेनें टॉय ट्रेन से मिलती-जुलती हैं जो आपके अंदर के बच्चे को जगा देंगी। 96 किमी लंबा, यह मार्ग 1903 में शुरू किया गया था, जो 102 सुरंगों और 82 पुलों से होकर गुजरता है। 96 किमी वाला रास्ता तेज गति से पूरा करने के लिए इसे गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है। इस सफर में आपको 5 घंटों में भरपूर प्राकृतिक सुंदरता देखने को मिल जाएगी। चीड़ के पेड़, ओक, घाटियाँ, देवदार, रोडेंड्रोन के जंगल और शिमला पहुँचने तक ऊपर की ओर बढ़ने वाले रोमांचकारी सफर तक आपको यहां सब कुछ एक साथ देखने को मिल जाएगा। कालका-शिमला रेल लाइन यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में भी शामिल है।

जैसलमेर से जोधपुर

अगर आप लग्जरी ट्रैवल के लिए थोड़े ज्यादा पैसा खर्च करने को तैयार हैं तो आपको डेजर्ट क्वीन ट्रेन का सफर करना चाहिए, जो राजस्थान के जोधपुर शहर से गोल्डन सिटी जैसलमेर के बीच चलती है। इस ट्रेन के जरिए आप डेजर्ट सफारी का मजा ले सकते हैं। ‘डेजर्ट क्वीन’ नाम की इस ट्रेन में आप डेस्टिनेशन तक 6 घंटे में पहुंचेंगे। ट्रेन से रेगिस्तानी नजारा वाकई दर्शनीय होता है। इस ट्रेन में पैसेंजर्स को बेहद टेस्टी और फैंसी खाना सर्व किया जाता है। इससे यात्रा पर खिड़कियों के बाहर सुनहरी रेत का खूबसूरत नजारा आपके सफर को और भी यादगार बना देता है। ज़ेरोफाइटिक पेड़, पीली मिट्टी, यहां वहां पसरे टीले, ऊंट और रेगिस्तानी बस्तियां एक कमाल का अनुभव कराती हैं।

कर्जत से लोनावला

पश्चिमी घाट से गुजरने वाली रेल यात्रा भी वाकई हर किसी को करनी चाहिए। कर्जत से लोनावाला तक के रास्ते में आप ठाकुरवाड़ी, मंकी हिल्स और खंडाला से होकर गुजरेंगे और खुद को रहस्यमयी प्रकृति में खोया पाएंगे। मानसून के मौसम में ये सफर और भी सुहाना हो जाता है। यह बहुत ही सुंदर और भारत में सबसे अच्छे रेल मार्गों में से एक है जो अपनी रहस्यमय प्रकृति के लिए जाना जाता है। हरे-भरे दृश्यों और सुंदर बारिश के दृश्यों के कारण मानसून के मौसम की सिफारिश की जाती है। ये सफर बेहद ही खूबसूरत नजारा पेश करता है।

जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग

जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग तक ट्रेन रूट भी बहुत सुहावना है। ये रूट आपको खूबसूरत बागानों से लेते हुए पहाड़ों की ऊंचाई पर ले जाता है। दार्जिलिंग भारत का एक बहुत खूबसूरत रेलवे स्टेशन है। अगर आसमान साफ हुआ तो आप ट्रेन से ही शानदार कंचनजंगा का नजारा भी बैठे- बैठे देख सकते हैं। इस सफर के दौरान ऐसा लगेगा जैसे कि आप चाय के बागान में ही घूम रहे हों। ये 1999 से यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल है।

मंडपम से रामेश्वरम

मंडपम से रामेश्वरम की ट्रेन यात्रा भी एक अद्भुत अनुभव योग्य है। समुद्र के बीच मौजूद ट्रैक से गुजरती ट्रेन वाकई बेहद ही रोमांचकारी अनुभव कराती है। बता दें कि रामेश्वरम से भारत का दूसरा सबसे लंबा पुल निकलता है जो भारत के कुछ प्रमुख क्षेत्रों को पंबन आईलैंड से जोड़ता है। इस पूरी यात्रा में एक घंटे का समय लगता है।

माथेरन से नरेल

महाराष्ट्र में स्थित एक छोटा हिल स्टेशन माथेरन, अपनी खूबसूरती की वजह से पर्यटों के आकर्षण का केंद्र है। यह करीब 2650 किलोमीटर ऊंचाई पर स्थित है। नरेल से माथेरन के बीच टॉय ट्रेन के जरिए हिल टॉप का सफर काफी रोमांचक होता है। इस रेल मार्ग पर करीब 121 छोटे छोटे पुल और करीब 221 मोड़ आते हैं। इस मार्ग पर चलने वाली ट्रेन की स्पीड 20 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा नहीं होती। नरेल से माथेरन की यात्रा के दौरान आप खूबसूरत नजारे का आनंद ले सकते हैं।