केरल में बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं ये 10 त्यौहार, घूमने के दौरान उठाए इनका लुत्फ

भारत एक विशाल देश हैं जहां आपको घूमने के लिए अनगिनत जगहें मिल जाएगी। लेकिन जब दक्षिण भारत में घूमने लायक जगह की बात आती हैं, तो सभी की पहली पसंद केरल बनता हैं। केरल भारत का एक खूबसूरत समुद्र तटीय राज्य है। केरल को ईश्वर का अपना घर कहा जाता है क्योंकि यहां पर खूबसूरत कलाकृतियां, त्यौहार, खानपान, प्राकृतिक सुंदरता जा खुलकर आनंद लिया जा सकता है। दुनियाभर से लोग केरल घूमने के लिए पहुंचते हैं। अगर आप भी केरल घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं, तो आज इस कड़ी में हम आपको केरल के कुछ प्रसिद्द त्यौहारों के बारे में बताने जा रहे हैं। केरल के ये त्यौहार समूचे विश्व में प्रचलित है। आइये जानते हैं इनके बारे में...

कोडुंगल्लूर भरणी उत्सवम

आमतौर पर मलयालम माह मीनम या मार्च और अप्रैल के महीने के बीच मनाया जाना वाला कोडुंगल्लूर भरणी उत्सवम या कोडुंगल्लूर भरणी केरल के प्रमुख त्यौहार में से एक है। इस उत्सव की मेजबानी कोडुंगल्लूर भगवती में की जाती है, जो त्रिशूर में राज्य के सबसे भव्य मंदिरों में से एक है। तीन दिन तक चलने वाला यह उत्सव भद्रकाली की दारिका नामक एक दानव पर जीत के जश्न के रूप में मनाया जाता है। उत्सव के उत्सव के दौरान, भक्त समूह में गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं और विभिन्न समुदायों के लोग मंदिर के पारंपरिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं।

ओणम

ओणम केरल का सबसे प्राचीन त्योहार है। ओणम एकता और भाईचारे का प्रतीक है। इस त्योहार में पूरे केरल को फूलों से सजा दिया जाता है। ओणम का उमंग केरल के सभी नागरिकों के द्वारा मनाया जाता है। ओणम अमूमन फसल से जुड़ा साल में एक बार आने वाला त्योहार है। यह मलयालम माह चिंगोम में मनाया जाता है। इस त्योहार की अद्भुतता यहां पर आयोजित खेलों से बढ़ जाती है। ओणम थिरुओनम के भी नाम से जाना जाता है। पुलकम का यह सृजन मंदिरों, घरों, पंडालों में मनाया जाता है। इसी दिन नौका दौड़ जैसे प्रसिद्ध खेलों का आयोजन किया जाता है जिसे देखने विश्व से भी सैलानियों का जमावड़ा लगा रहता है।

तिरुवातिरकली

तिरुवातिरकली केरल में मनाये जाने वाले प्रमुख त्यौहार में से एक है जिसे दिसंबर या जनवरी के महीने में मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान शिव को समर्पित है इसीलिए यह दिन भगवान शिव की पूजा करने के लिए एकदम सही और बहुत ही शुभ है। भगवान शिव के सभी भक्त इस दिन भगवान के आशीर्वाद के लिए मंदिर में जाते हैं। जबकि इस दिन, महिलाएं स्नान करने के लिए सुबह 4 बजे उठती हैं और गाने गाती हैं जो कि प्रेम के देवता से संबंधित हैं और अपने हाथों से पानी छिड़क कर ताल का निर्माण करती हैं। अंत में, महिलाएं एक मंडली में खड़ी होती हैं और कामदेव की प्रशंसा में गीत गाती हैं।

नाव त्योहार

नाव त्योहार केरल के प्राचीन त्योहारों में से एक है। केरल के लोगों को नौका से अद्वितीय प्रेम है, यही कारण है कि केरल में इस तरह के त्यौहारों का आयोजन लगातार किया जाता रहता है। यह नाव त्यौहार बोट फेस्टिवल के नाम से प्रसिद्ध है। नाव त्योहार के दिन बड़ी संख्या में नौकाओं की श्रृंखला में दौड़ प्रतियोगिता कराया जाता है, और जीतने वालों को पुरस्कारों से नवाजा जाता है, केरल का लोकप्रिय खेल नाव त्योहार अपने खास प्रदर्शनीय चुंबकीय बल से देश ही नहीं समूचे विश्व को अपनी ओर खींच लाता है। फूलों की माला से दुल्हन जैसी सजी नाव का मनोहारी एवं अद्भुत दृश्य संयोग दिखता है। यहां की कुछ लोकप्रिय ट्राफियां है जैसे नेहरू ट्रॉफी बोट रेस, चम्प्कुलम मूल बोट रेस आदि। साथ ही कुछ बड़े जल उत्सव में पल्पदाद, पूननामदा झील पीलपाद जलोत्सव शामिल हैं।

गुरुवायुर महोत्सव

गुरुवायुर महोत्सव भी केरल के प्रस‍िद्ध सात महोत्सवों में से एक है। यह एक धार्मिक त्यौहार है जो विविध पृष्ठभूमि से जुड़े सभी लोगों को एक आम समारोह और उत्सव के जर‍िए एकजुट करता है। यह मलयालम के कुंबम महीने में मनाया जाता है। इस त्यौहार के दौरान जुलूस, सजावटी मेहराब, उज्ज्वल-रोशनी, आतिशबाजी का अनोखा संगम देखने को म‍िलता है। इस त्यौहार के समय लोग अपने घरों को पेंट करते हैं। इसके अलावा घरों को केलों के पत्तों, नार‍ियल के गुच्छों से सजाते हैं। यह त्यौहार भी करीब 10 द‍िन तक चलता है। देवताओं की इस भूमि पर पर्यटकों को कई अनुष्ठानों और परंपराओं के उत्कृष्ट प्रदर्शन देखने को म‍िलते हैं। इस त्यौहार को देखने के ल‍िए भी बड़ी संख्या में व‍िदेशी पयर्टक आते हैं।

विष्णु महोत्सव

केरल के प्राचीन त्योहारों में से एक विष्णु महोत्सव आतिशबाजी व रंगमयी प्रदर्शनी से प्रसिद्ध है। इसे विष्णु त्योहार के भी नाम से जाना जाता है, राज्य के मलयाली आबादी के लिए विष्णु त्यौहार नए साल के पर्व के रूप में मनाया जाता है। यह अप्रैल माह का सबसे बड़ा पर्व है,इसी दिन कन्या कनल की प्रथा पूरे केरल में मशहूर है इस प्रथा में यह मान्यता है कि आने वाले वर्ष का भाग्य इस बात पर निर्भर करता है कि इसी दिन सुबह क्या वस्तु देखी गई है। केरल में ये बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है और लोगों का उत्साह देखने योग्य होता है, साथ ही इस त्योहार के दिन युवा सदस्यों को पैसा वितरित किया जाता है, जो अनेक अनेक पहलुओं के रूप में देखने को मिलता है, इस त्योहार का सबसे मनोहारी दृश्य रात को माना जाता है इसी दिन आतिशबाजी की जाती है।

अट्टुकल पोंगल महोत्सव

पोंगल महोत्सव केरल के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है, ये दस दिवसीय पर्व खास तौर पर महिलाओं के द्वारा किया जाता है। बिना भेदभाव के तमाम प्रकार की जातियां एक साथ आकर इस पर्व का आनंद लेती हैं। इसको एकता की मिसाल भी दिया जाता है, ये यह त्योहार मलयालम माह मकरम कुम्भम यानी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार फरवरी के अंत में भरानी दिवस के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार अमूमन महिलाओं के द्वारा तिरुवनंतपुरम शहर में देवी पार्वती के मंदिर के सम्मान में मनाया जाता है। इस दिन प्रसाद के रूप में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं और वो माता पार्वती को चढ़ाया जाता है, जिसमें चावल और केले से बनी कई वस्तुएं विश्व प्रसिद्ध हैं।

तेयम त्यौहार

केरल में एक तेयम त्यौहार भी खास है। यह त्यौहार लगभग 800 वर्ष पुराना है। तेयम महोत्सव दिसम्बर से अप्रैल तक के महीनों में मनाया जाता है। इस त्यौहार में लगभग 400 विभिन्न सांस्कृतिक नृत्यों का प्रदर्शन किया जाता है। सबसे खास बात तो यह है क‍ि इसमें कालाकार देवताओं के रूप में तैयार होकर नृत्य करते हैं। रंगब‍िरंगे कपड़ों, फूलों और मुखौटों से सजे ये कालाकार देखने में बेहद खूबसूरत लगते हैं। सबसे खास बात तो यह है कि जब ये नृत्यकार एक ताल पर नृत्य करते हैं उस दौरान फूलों की वर्षा की जाती है। इस दौरान यहां पर आगंतुकों को कई पौराणिक कहानियां मिलती हैं। उत्सव के दौरान शांत और सुखद मौसम होने से यहां पर बड़ी संख्या में लोग भाग लेते हैं।

त्रिशुरपुरम् महोत्सव

त्रिशुरपुरम् महोत्सव केरल का 200 वर्ष पुराना महोत्सव है। यह त्योहार एकता और भाईचारे का प्रतीक है। यह त्योहार दिन पर दिन ख्याति प्राप्त कर रहा है जिसमें भगवान शिव के सम्मान में अप्रैल के महीने में प्रसिद्ध मंदिर वडकुकनाथ में मनाया जाता है। पूरे केरल में सबसे लंबी पूजा इसी त्योहार के दिन की जाती है, यह पूजा पूरे छत्तीस घंटे लंबी पूजा होती है। साथ ही आतिशबाजियों और फूलों की खुशबू से पूरा केरल महकता रहता है। केरल में इसी दिन रंग, संगीत और भक्ति के संगम में पूरा केरल डूबा रहता है। सबसे मनोहारी दृश्य तब देखने को मिलता है जब हाथी ड्रम की आवाज पर थिरकते हुए सड़क पर निकलते हैं।

मकरविलक्कु उत्सव

मकरविलक्कु केरल का एक वार्षिक त्योहार है जिसे मकर संक्रांति के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार दक्षिण-भारतीय राज्य केरल के प्रमुख मंदिर सबरीमाला मंदिर में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। त्यौहार का मुख्य आकर्षण भव्य तिरुवभरणम जुलूस है। मकरविलक्कु के शुभ दिन पर आशीर्वाद लेने के लिए दुनिया भर से हजारों श्रद्धालु आते हैं। मकरविलक्कु उत्सव के सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है पोन्नम्बलमेडु में दीप प्रज्ज्वलित करना जो पश्चिमी घाट की पर्वत श्रृंखलाओं में सबरीमाला अयप्पन मंदिर से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसे स्वर्ण मंदिर की पहाड़ी के रूप में जाना जाता है यहाँ दीप प्रज्ज्वलित करना सबरीमाला में मकरविलक्कु के धार्मिक त्योहार का स्मरण कराता है।