गुरुनानक जयंती: गुरूजी की कृपा बरसती है इन 5 प्रसिद्ध गुरुद्वारों में, जरूर टेके यहां माथा

आने वाली कार्तिक पूर्णिमा अर्थात 12 नवंबर को पूरे देशभर में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती मनाई जाएगी। इस दिन को प्रकाश पर्व के रूप में भी जाना जाता हैं। प्रकाश पर्व के दिन गुरुद्वारों पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। वैसे तो सभी गुरूद्वारे अपना महत्व रखते हैं लेकिन आज हम आपको 5 प्रसिद्ध गुरुद्वारों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां गुरूजी की विशेष कृपा बरसती है। तो आइये जानते हैं इन गुरुद्वारों के बारे में।

स्वर्ण मंदिर, पंजाब

पंजाब प्रांत के अमृतसर में बना स्वर्ण मंदिर गुरुद्वारा हरमिंदर साहिब सिंह के नाम से भी जाना जाता है। यह गुरुद्वारा पूरे संसार में अपनी खूबसूरती के चलते प्रसिद्ध है। इस गुरुद्वारे की दीवारे सोने की बनी हुई है। इस गुरुद्वारे की स्थापना महाराजा रणजीत सिंह ने की थी।

फतेहगढ़ साहिब गुरुद्वारा, पंजाब

फतेहगढ़ साहिब गुरुद्वारा साहिबजादा फतेह सिंह और जोरावर सिंह की शहादत की याद में बनवाया गया था। यह गुरुद्वारा वास्तुकला का एक नायाब नमूना है।

बंगला साहिब गुरुद्वारा, दिल्ली

यह गुरुद्वारा नई दिल्ली के बाबा खड़गसिंह मार्ग पर स्थित है। इस गुरुद्वारे का निर्माण राजा जय सिंह ने करवाया था। सिखों के आठवें गुरु हरकिशन सिंह के द्वारा यहां पर किए गए चमत्कारों की याद में यह गुरुद्वारा काफी प्रसिद्ध है। सिखों और हिन्दुओं दोनों के लिए यह एक पवित्र स्थान है।

श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा, उत्तराखंड

सिखों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह नें इस गुरद्वारे का निर्माण किया था। यह गुरुद्वारा उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है और पहाड़ों और झील के किनारे पर बना है।

शीशगंज गुरुद्वारा, दिल्ली

देश की राजधानी दिल्ली के चांदनी चौक में स्थित गुरुद्वारे शीशगंज को बघेल सिंह ने सिख धर्म के नौवें सिख गुरु तेग बहादुर की शहादत की याद में बनवाया था। यह वही स्थान है जहां बादशाह औरंगजेब ने सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर के इस्लाम स्वीकार न करने पर उनकी हत्या करवा दी थी।