ब्रज में देखने को मिलती है भगवान कृष्ण की लीला, ये प्रसिद्द स्थान बनते है आकर्षण

भगवान श्री कृष्ण की जन्म भूमि मथुरा उत्तर प्रदेश में स्थित एक बडा जिला है ।यह क्षेत्र बरसाना,वृंदावन,गोवर्धन,नंदगांव आदि कई जगहों को मिलाकर ब्रज क्षेत्र कहलाता है।दिल्ली से 150 किलोमीटर और आगरा से करीब 56 किलोमीटर दूर मथुरा में दुनियाभर से पर्यटक भगवान कृष्ण के दर्शन के लिए आते हैं। मथुरा में भगवान कृष्ण के कई मंदिर हैं अगर आप मथुरा घूमने की योजना बना रहे हैं तो मथुरा के प्रमुख स्थानों को अपनी सूची में जरूर शामिल करें। जानते हैं यहां के प्रसिद्ध स्थानों के बारे में-

कृष्ण जन्मभूमि

कृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर मथुरा का मुख्य तीर्थ स्थान है और भगवान कृष्ण इसके केंद्र बिन्दु है। मंदिर परिसर से पहले दुकानों से भरी एक संकीर्ण सड़क है जहाँ पर्यटकों की सुरक्षा जाँच की जाती है। अंदर आने के बाद शांति, स्थिरता और आध्यात्मिकता प्रबल हो जाती है। श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर जेल कक्ष-नुमा बना हुआ है, जिसमें उनके बुरे मामा कंस द्वारा उनके माता-पिता माता देवकी और वासुदेव को कैद करने के बाद भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था।
गोवर्धन पर्वत

इस पर्वत का हिंदू पौराणिक साहित्य में काफी महत्व है। पौराणिक ग्रंथो में कहा गया है कि इस पर्वत को एक बार भगवान कृष्ण ने अपनी एक उंगली पर उठाया था। गोवर्धन पर्वत आने वाले श्रद्धालु इस पर्वत के चक्कर जरूर लगाते हैं जो शुभ माना जाता है।

बांके बिहारी मंदिर

भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी का एकाकार रूप है बांके बिहारी। वृंदावन में बांके बिहारी का प्रसिद्ध मंदिर है। यहां बांके बिहारी की एक झलक पाने के लिए देश विदेश से रोजाना हजारों लोग आते हैं।कहा जाता है कि ये मूर्ति किसी धातु की नहीं बल्कि लकड़ी की है।ये मूर्ति स्वामी हरिदास के अनुरोध पर प्रकट हुई थी ताकि अन्य लोग भी इसके दर्शन कर भगवान के साक्षात दर्शन कर उनका आशीर्वाद ले सकें।

बरसाना

यह मथुरा ज़िले की छाता तहसील के नन्दगाँव ब्लॉक में स्थित एक क़स्बा और नगर पंचायत है। प्राचीन समय में इसे 'वृषभानुपुर' के नाम से जाना जाता था। बरसाना मथुरा से 42 कि।मी। दूर है। यह राधा के पिता वृषभानु का निवास स्थान था। यहाँ 'लाड़ली जी' का बहुत बड़ा मंदिर है। यहाँ की अधिकांश पुरानी इमारत 300 वर्ष पुरानी है। बरसाना गांव के पास दो पहाड़ियां मिलती हैं। उनकी घाटी बहुत ही कम चौड़ी है। मान्यता है कि गोपियां इसी मार्ग से दही-मक्खन बेचने जाया करती थी। यहीं पर कभी-कभी कृष्ण उनकी मटकी छीन लिया करते थे। बरसाना का पुराना नाम 'ब्रह्मासरिनि' भी कहा जाता है। 'राधाष्टमी' के अवसर पर प्रतिवर्ष यहाँ मेला लगता है।

रमणरेती

रमण रेती, मथुरा और महावन के बीच स्थित एक स्थान है।माना जाता है कि संत रसखान ने यहां तपस्या की थी। यहां इनकी समाधि भी बनी हुई है।