दुनिया की 5 सबसे विचित्र अंतिम संस्कार की प्रथाएं

मृत्यु के बाद हर धर्म में मनुष्य के अंतिम संस्कार की अलग-अलग प्रथाएं हैं। संसार में आने वाले हर धर्म में जन्म लेने वाले भले ही समान तरीके से आएं लेकिन हर धर्म में मृत्यु के बाद मोक्ष के लिए अंतिम संस्कार की प्रथाएं जरूर अलग-अलग हैं। कई धर्म में मनुष्य की मौत के बाद शव को दफनाने का का रिवाज है तो कुछ में जलाकर क्रियाएं पूर्ण होती हैं। मनुष्य के मृत शरीर को जहां जलाने के मामले में भारत की पुरातन 'सती' प्रथा के बारे में सोचकर सभी का दिल दहल जाता है, तो दुनिया के कई देशों में इससे भी विचित्र अंतिम संस्कार की क्रियाएं हैं। इनमें से कुछ का चलन अब भी है तो कुछ सदियों पहले की बाते हैं। हम आपको बताने जा रहे हैं दुनिया की ऐसी विचित्र अंतिम संस्कार की प्रथाओं के बारे में जिसे जानकर आप दांतों तले उंगलियां दबा लेंगे।

* फामाडिहाना :

ये अंतिम संस्कार की प्रथा मैडागास्कर के मलागासी लोगों में होती है। इसमें समय-समय पर मृत इंसान के करीबी, उसके शव को कब्र में से निकाल देते हैं और उसे साफ़ कपड़े चढ़ा कर उसके आस-पास डांस करते हैं। मलागासी लोग ऐसे ही अपने पूर्वजों को याद करते हैं। शव को गांव के चक्कर लगवा कर वापस दफ़ना दिया जाता है।

* करीबी का गला घोटकर मारना :

सती जैसी प्रथा अब भी फिजी के कुछ इलाकों में चल रही है। इस प्रथा में मृत इंसान के किसी करीबी की गला घोट कर मृत्यु कर दी जाती है। यहां के लोगों का मानना है कि मृतक को दूसरी दुनिया में अकेला नहीं जाना चाहिए और उसके साथ उसके किसी करीबी को भी भेजना चाहिए।

* पेड से लटकाकर :

एक प्राचीन प्रथा के अनुसार, कुछ लोग अपने मृत रिश्तेदारों के शवों को उनके गांव के किसी पेड़ से लटका देते थे, कहते हैं कि ये प्रथा, नास्तिक लोग मानते थे जो किसी धर्म के अनुसार नहीं चलते थे। और वे इस परम्परा का निर्वाह करते हुए अपने परिजनों को पेडो पर लटकाकर रखते थे।

* भूनकर खा जाते थे शव :

पापुआ न्यू गिनी और ब्राजील के कुछ इलाकों में इस बहुत ही हैरतअंगेज अंतिम संस्कार की प्रथा का पालन होता था। इसमें मृतक के करीबी, उसकी मृत्यु के बाद उसके शरीर को खा लेते थे। ये प्रथा अब खत्म हो गई है लेकिन मान्यता है कि ऐसा इसलिए किया जाता था क्योंकि इन इलाकों में खाने की कमी थी।

* लटकते हुए ताबूत :


प्राचीन चाइना के राजवंश मानते थे कि मृत लोगों के ताबूतों को पहाड़ की चोटी पर रखना चाहिए। उनको विश्वास था कि निर्जीव इंसान को आकाश के करीब रखने से उसे स्वर्ग नसीब होता है। पुरातत्व विभाग के लोगों को इन पहाड़ियों से कई ताबूत भी मिले हैं जो सदियों पुराने हैं। इसका तात्पर्य ये भी था कि पूर्वजों की आत्माएं मस्ती से पहाड़ों पर घूमती रहें!