भारतीय संस्कृति की झलक दिखाते हैं यहां के मेले, जानें भारत के 5 प्रसिद्ध मेलों के बारे में

भारत सांस्कृतिक रूप से बहुत समृद्ध है। यहां हर दिन कोई न कोई त्यौहार मनाया जाता है। त्यौहारों में विभिन्न संस्कृतियों का मिलन होता है। भारत में इन त्यौहारों के समय लगभग हर जगह जगह मेले लगते हैं। इन त्यौहारों में कई तरह के बाजार लगते हैं। नृत्य संगीत के कार्यक्रम होते हैं। ये मेले भारत की संस्कृति को वैश्विक मंच भी प्रदान करते हैं। यहाँ विदेशी सैलानी भारतीय संस्कृति से रूबरू होते हैं।भारत के कई स्थानों पर ऐसे मेले भरते हैं।आइये जानते हैं भारत के कुछ प्रसिद्ध मेलों के बारे में...

कुम्भ मेला

कुम्भ मेला सारे विश्व मे किसी एक स्थान पर किसी एक जगह एकत्रित होने वाली आबादी का सबसे बड़ा उदाहरण हैं। हिन्दू धर्म में बहुत पवित्र मने जाने वाले ये मेले हर चार साल में भारत के चार बड़े तीर्थो में लगते हैं। हरिद्वार,प्रयागराज,उज्जैन और नासिक में ये मेले लगते हैं। हरिद्वार में गंगा, प्रयाग में संगम,नासिक में गोदावरी तथा उज्जैन में शिप्रा नदी के पवित्र जल से तीर्थ यात्री स्नान कर ईश्वर की पूजा करते हैं।

सोनपुर पशु मेला

यह विश्व का लगभग सबसे बड़ा पशु मेला है। बिहार राज्य के सोनपुर में गंगा तथा गंडक नदियों के किनारे यह मेला नवम्बर के महीने में भरता है। यह एक मात्र ऐसा मेला है जहां हाथी भी बिकने को आते हैं।

पुष्कर मेला

राजस्थान के अजमेर जिले के पुष्कर में प्रतिवर्ष दीवाली के आस पास यह मेला लगता है जो एक महीने तक चलता है। यहां बड़ी तादाद में पशु बिक्री को आते हैं। ऊंट,गाय, घोडे यहां बिक्री के लिए आते हैं। बड़ी तादाद में यहां विदेशी सैलानी भी घूमने आते हैं। यहां हॉट एयर बैलूनिंग भी की जा सकती है।

त्रिनेत्र मेला

इस मेले का सम्बन्ध महाभारत की उस घटना से है जिसमे अर्जुन ने मछली का निशाना लगाकर द्रोपदी का वरण किया था। यहां पारम्परिक वेशभूषा में लोग मेले में आते हैं। यहां का प्रसिद्ध कच्छीलोक नृत्य देखते ही बनते हैं।

गोवा कार्निवल

पुर्तगालियों द्वारा इस मेले की शुरूआत की गई थी। इसमें जब राजा गद्दी सम्भलता है तो प्रजा उसका स्वागत सड़कों पर उतर कर नाच गाकर करती है। यह कार्निवल तीन दिन तक चलता है।