लेह लद्दाख में पर्यटन स्थल की खूबसूरती को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। लेह लद्दाख का दौरा करना एक शानदार अनुभव हो सकता है। लेह लद्दाख में हिंदुओं का प्रसिद्द धार्मिक स्थल श्री पर्वत शक्तिपीठ स्थित है। माता दुर्गा को समर्पित यह स्थल माता के 51 शक्तिपीठों में से एक है। माना जाता है कि इस शक्तिपीठ पर देवी सती के दाहिने पैर की पायल गिर गई थी। श्री पर्वत शक्तिपीठ में शक्ति को देवी सुंदरी और भैरव को सुंदरानंद के रूप में पूजा जाता है।
श्री पर्वत शक्तिपीठ को लेकर मान्यता है कि यह प्राचीन मंदिर करीब 800 साल पुराना है। मंदिर परिसर में देवी काली की एक विशाल प्रतिमा स्थापित है। यह शक्तिपीठ मां दुर्गा के प्रसिद्द 51 शक्तिपीठों में से एक है। इन सभी शक्ति पीठों के उत्पत्ति की कथा एक ही है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव के ससुर दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया था, लेकिन उन्होंने यज्ञ में भगवान शिव और माता सती को नहीं बुलाया। दक्ष भगवान शिव को अपने बराबर नहीं समझते थे। माता सती को जब इसके बारे में पता चला तो वह बिना बुलाए ही यज्ञ में जा पहुंचीं। वहां भगवान शिव के अपमान से दुखी होकर माता सती हवन कुंड में कूद गईं। जब भगवान शिव को इस बारे में पता चला तो वह माता सती के शरीर को हवन कुंड से निकालकर तांडव करने लगे। इससे सारे ब्रह्माण्ड में हाहाकार मच गया। भगवान विष्णु ने ब्रह्माण्ड को बचाने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर को 51 भागों में बांट दिया। कहते हैं जो अंग जहां गिरा वह शक्ति पीठ बन गया। मान्यता है कि जहां श्री पर्वत शक्तिपीठ स्थित है, वहां माता सती की दायें पैर की पायल गिरी थी।
श्री पर्वत शक्तिपीठ पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए आते हैं। मंदिर में सभी त्यौहार मनाये जाते हैं। खासकर दुर्गा पूजा व नवरात्र के त्यौहार में यहां विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इन दिनों मंदिर की सजावट देखने लायक होती है। मंदिर का आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं के दिल और दिमाग को शांति प्रदान करता है। मंदिर से विश्व की सबसे ऊंची औद्योगिक हवाई-पट्टी के रुप में प्रसिद्ध लेह हवाई-पट्टी का खूबसूरत नजारा दिखाई देता है। काली मंदिर के वातावरण में घुली प्राकृतिक सुगंध भक्तों को मंत्र-मुग्ध कर देता है। कैसे पहुंचें श्री पर्वत शक्तिपीठ
श्री पर्वत शक्तिपीठ से नजदीकी हवाई अड्डा लेह में है और निकटतम बड़ा रेलवे स्टेशन जम्मू में है। लेह के लिए दिल्ली से सीधी उड़ाने संचालित होती हैं। श्रद्धालु सड़क मार्ग से भी लेह पहुंच सकते हैं। सड़क मार्ग से लेह जाने के लिए श्रीनगर से लेह और मनाली से होते हुए पहुंचा जा सकता है। श्रीनगर से जोजिला पास होते हुए और लद्दाख से महोते हुए लेह पहुंचा जा सकता है।