सावन में हरियाणा के इन शिव मंदिरों में आते हैं सबसे ज्यादा श्रद्धालु, होती है हर मनोकामना पूरी

सावन का महीना शुरू होने वाला है। इस बार सावन 22 जुलाई से 19 अगस्त तक है। कुल पांच सोमवार पड़ रहे हैं। इस महीने खासतौर पर सोमवार को शिव भक्त भगवान की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। साथ ही देश भर में प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिरों में दर्शन के लिए जाते हैं। सावन में देशभर के सभी शिव मंदिर शिव के नाम से गूंज उठते हैं। लाखों भक्तों की भीड़ जगह-जगह मंदिरों में जलाभिषेक करने के लिए भोलेनाथ के सबसे खास और ऐतिहासिक मंदिर में जाते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि माना जाता है कि इस पर्व में बाबा सच्चे मन से पूजा करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। सावन का पर्व भगवान शिव को समर्पित होता है, लोग हर साल इसका इंतजार बेसब्री से करते हैं। अगर आप भी इस सावन में भोलेनाथ के दर्शन के लिए ऐसा मंदिर ढूंढ रहे हैं, जिसका इतिहास वर्षों पुराना हो, तो यह आर्टिकल आपके काम आएगा। आज के इस आर्टिकल में हम आपको हरियाणा में स्थित ऐसे ही एक मंदिर के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। यहां सावन में हर दिन भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। आईये जानते हैं हरियाणा के कुछ खास मंदिरों के बारे में-

श्री ग्यारह रुद्री शिव मंदिर

कैथल में श्री ग्यारह रुद्री शिव मंदिर है। इस मंदिर के कारण कैथल को छोटी काशी भी कहा जाता है। मंदिर का इतिहास महाभारत के युद्ध से जुड़ा है। मान्यता है कि मंदिर की स्थापना भगवान श्रीकृष्ण ने की थी। कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध समाप्ति के बाद भगवान श्री कृष्ण ने कौरव और पांडवों के बीच हुए युद्ध में मारे गए सैनिकों की आत्मिक शांति के लिए यहां 11 रुद्रों की स्थापना की थी। भगवान शिव ने इसी स्थान पर प्रसन्न होकर अर्जुन को दर्शन दिए थे।

स्थानेश्वर महादेव मंदिर

यह प्राचीन स्थानेश्वर महादेव मंदिर हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में स्थित है। इस मंदिर का इतिहास महादेव से जुड़ा हुआ माना जाता है। दर्शन के लिए आने वाले लोगों का मानना है कि यहीं पर ही पांडवों ने महाभारत के युद्ध में जीत के लिए कृष्ण के साथ शिव की आराधना की थी। मंदिर के परिसर में एक सुंदर तालाब है, जहां शिव की मूर्ति पानी के बीच में रखी हुई है। यह भारत के फेमस शिव मंदिर में से एक है।

पानीपत का शिव मंदिर

पानीपत के कवि गांव में स्थित शिव मंदिर जिसे हरियाणा का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है। यही नहीं यह मंदिर अपनी खास मान्यता के लिए भी जाना जाता है। इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 151 फीट है। माना जाता है इस मंदिर का निर्माण बाबा बालक नाथ ने करवाया था और इसकी स्थापना 21 फरवरी 1997 की गई थी। बाबा बालकनाथ और गांव के लोगों के सहयोग से इस मंदिर का निर्माण किया गया था। मंदिर में भगवान शिव की विशाल शिवलिंग स्थापित है। यहां पर हर साल सावन के महीने में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। गांव वालों का मानना है कि बाबा बालक नाथ के चमत्कारी भभूत से निसंतान महिलाओं की गोद भर जाती थी।

बाबा बालक नाथ

यह हरियाणा का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है, जो पानीपत में स्थित है। यह मंदिर पानीपत के गांव कवि में स्थित है, इसकी ऊंचाई 151 फीट है। माना जाता है कि आदिकाल से ऋषि-मुनियों ने यहां तप-साधना की थी। यहां हर सोमवार भक्त दर्शन के लिए आते हैं।

कुरुक्षेत्र का कालेश्वर महादेव मंदिर

कुरुक्षेत्र में स्थित कालेश्वर महादेव मंदिर देश ही नहीं विश्व का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां पर शिवलिंग बिना नदी महाराज के विराजमान है। आज तक जहां भी भगवान शिव का मंदिर और शिवलिंग स्थापित की गई है वहां पर नंदी महाराज की प्रतिमा स्थापित की हुई है, लेकिन यहां पर नंदी की प्रतिमा स्थापित नहीं की गई है। यहां के लोगों का मानना है कि कुछ दशक पहले नदी स्थापित करने की सोची गई थी लेकिन उसी समय मंदिर पर विपदा पड़ गई थी जिसके चलते नंदी स्थापित नहीं की।

नल्हड़ महादेव मंदिर

यहां मंदिर में एक कदम का पेड़ है, जिसे जादुई माना जाता है। लोगों का मानना है कि इस कदम के पेड़ से हमेशा पानी निकलता रहता है। इस पेड़ का पानी अरावली पर्वत में जहां-जहां जाता है, वहां पूरे साल हरियाली नजर आती है। इस कदम के पेड़ को देखने के लिए आपको करीब 287 सीढ़ियां चढ़नी होगी। मंदिर को लेकर तरह-तरह का कहानियां प्रचलित है। माना जाता है कि कृष्ण भगवान ने कौरवों और पांडवों का समझौता कराने के लिए इस जगह को चुना था। इसलिए इस मंदिर को महाभारत काल से जुड़ा हुआ माना जाता है।