मेंढक मंदिर – मंडूक तंत्र पर आधारित इस शिवलिंग का रहस्य जान चोक जाहेंगे आप

भारत में बहुत सारें प्राचीन मंदिर है जो कुछ खास वजय से अपनी पहचान बनाए हुए है, ऐसा ही एक मंदिर उत्तर प्रदेश राज्य के लखीमपुर खीरी के अंतर्गत ओयल नामक कस्बे में स्थित है जो स्वयं बदलता है अपना रंग, इसके अलवा इस मंदिर से जुडी और भी बातें है जो इसको बनाती है खास मंदिर।

जी हां, यह सच है कि आज जिस मंदिर के बारें में बता रहें हैं उसका शिवलिंग स्वयं ही रंग बदलता रहता है। इस मंदिर का नाम "मेंढक मंदिर" है, यह एक शिवालय है और इसका निर्माण चाहमान वंश के महाराज बक्श सिंह द्वारा 11वीं शताब्दी में कराया गया था। उस समय इस मंदिर के आसपास का संपूर्ण इलाका भगवान शिव का उपासक था और यह क्षेत्र शिव सम्प्रदाय का ही माना जाता था। इस मंदिर की वास्तु कला किसी आम व्यक्ति के द्वारा निर्धारित नहीं है, बल्कि इसका नक्शा मंडूक तंत्र के हिसाब से तत्कालीन महान तांत्रिक कपिला द्वारा बनाया गया था।

साथ ही इस मंदिर की दीवारों पर शिव साधना की कलाकृतियां भी मौजूद हैं। इस मंदिर के शिवलिंग को पवित्र नर्मदा नदी से लाया गया था, इसलिए शिवलिंग को "नर्मदेश्वर महादेव" के नाम से इस मंदिर में जाना जाता है। यह नर्मदेश्वर महादेव नामक शिवलिंग अपना रंग स्वयं ही बदलता रहता है। यही इस मंदिर के शिवलिंग की खासियत है, साथ ही इस मंदिर में आपको नंदी की प्रतिमा अन्य मंदिरों के जैसे बैठे हुए नहीं बल्कि खड़े हुए मिलती है। यह मंदिर वर्तमान में इस सारे इलाके की ऐतिहासिक गरिमा का प्रतीक बना हुआ है।