भारत के इन संग्रहालयों में देखने को मिलेगा रोमांच, यहां मौजद है इजिप्ट की ममी

प्राचीन सभ्यता को खुद में समाये हुए इजिप्ट की ममी को देखना एक रोमांच का ही अहसास नहीं कराता है बल्कि इतिहास की गहराइयों में भी ले जाता है। सोचिये जिस ममी के बारे में आपने सिर्फ किताबों में पढ़ा हो,अगर वो आपकी आंखों के सामने आ जाते तो आपको कैसा लगेगा। भारत के कई शहरों के संग्रहालयों में भी कई ममीयां विद्यमान है जिनको देखना एक रोमांच से आपको भर देगा और शरीर में सिहरन सी दौड़ने लगती है। जानते हैं भारत के कई शहरों में मौजूद इन ममीयों के बारे में

ममी का अर्थ

यह शब्द अरबी भाषा के मुमिया से बना है जिसका अर्थ होता है मोम या तारकोल के लेप से सुरक्षित रखी गयी चीज।

क्यों तैयार की जाती थी

मिस्र और कई अन्य मुल्कों के लोग पुनर्जन्म में विश्वास करते थे और मानते थे कि मरने के बाद शरीर को संभालकर रखा जाना चाहिये ताकि अगले जन्म में वो उस शरीर को पा सके।

अल्बर्ट हाल जयपुर


यह ममी लगभग दो हजार तीन सौ साल पुरानी बताई जाती है। भारत के अन्य शहरों के अपेक्षा इसकी हालत काफी अच्छी है। कहा जाता है कि जयपुर के शासक उत्सुकतावश इसे जयपुर लाये थे। यह तीन सौ बत्तीस ईंसा पूर्व टौलोमाइक युग की महिला की बॉडी थी जिसका नाम तुलु था। जो रोम देवता की उपासना करनें वाले पुरोहित परिवार की सदस्य थी।

लखनऊ के संग्रहालय में तीन हजार साल पुरानी ममी रखी गयी है। इसे 1952 में लंदन के जेजे पोर्टर संग्रहालय से खरीदा गया था।

वडोदरा में महाराज सयाजीराव गायकवाड तृतीय में करीब बीस साल की लडकी की ममी खरीद कर रखवाई थी। यह ममी पिछले 120 साल से यहां सुरक्षित है।

हैदराबाद के संग्रहालय में रखी ममी करीब दो हजार साल पुरानी है। इसे 1920 में छठे निजाम महबूब अली लाये थे। यह ममी 25 साल की एक लडकी की है।