दौसा: मेंहदीपुर बालाजी और चाँद बावड़ी ने दी वैश्विक पहचान

पर्यटन की दृष्टि से राजस्थान भारत का एक मात्र ऐसा प्रदेश है, जिसका हर जिला अपने आप में एक खासियत लिए है। महानगरों में शामिल जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा, अजमेर, बीकानेर ऐसे जिले हैं जिनके बारे में पूरा विश्व जानता है लेकिन राजस्थान में कुछ ऐसे छोटे कस्बे भी हैं, जो वर्तमान में बड़े शहरों में तब्दील हो रहे हैं, जो अपने विरासत के चलते पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इन्हीं में शामिल है राजस्थान की राजधानी जयपुर से 54 किलोमीटर की दूरी पर बसा ऐतिहासिक महत्त्व का स्थल दौसा, जो वर्तमान समय में बड़े शहर में तब्दील होता जा रहा है। यह राजस्थान की 25 लोकसभा क्षेत्रों में से एक क्षेत्र है। दिवंगत कांगे्रस नेता राजेश पायलट यहाँ के सर्वाधिक चर्चित नेताओं में शुमार रहे हैं। दौसा राष्ट्रीय राजमार्ग 21 पर स्थित है। दौसा लम्बे समय तक बडगुर्जरो के आधिपत्य में रहा। दौसा के किले का निर्माण भी गुर्जरों ने करवाया। आभानेरी में स्थित चाँदबावडी का निर्माण भी इन्हीं की देन है। दौसा दुल्हेराय को दहेज में प्राप्त हुआ। दौसा का नाम पास ही की देवगिरी पहाड़ी के नाम पर पड़ा। दौसा कच्छवाह राजपूतों की पहली राजधानी थी। इसके बाद ही उन्होंने आमेर और बाद में जयपुर को अपना मुख्यालय बनाया। 1562 में जब अकबर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की जियारत को गए तब वे दौसा में रुके थे। दौसा में ऐतिहासिक महत्व के अनेक स्थान हैं, जो यहाँ के प्राचीन साम्राज्य की याद दिलाते हैं। आजादी के बाद सर्व प्रथम जो तिरंगा झंडा लाल किले पर फहराया गया वो दौसा जिले के पास स्थित गाँव अलुदा में बनाया गया था। अलुदा दौसा से 10 किमी की दूरी पर है।

नीलकंठ महादेव मंदिर

दौसा को देवनगरी के नाम से भी जाना जाता है। झाझीरामपुर प्राकृतिक कुंड और रुद्र, बालाजी तथा अन्य देवी-देवताओं के मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थान दौसा नगर से 45 किलोमीटर की दूरी पर है। पहाडिय़ों से घिरी इस जगह की प्राकृतिक और आध्यात्मिक सुंदरता मन को सुकून पहुँचाती है। यह संत सुन्दर दास जी की नगरी है जहाँ उनका राजस्थान सरकार द्वारा पैनोरमा बनाया गया है। पहाड़ी पर प्रसिद्ध नीलकंठ महादेव का मंदिर है। जहाँ सावन में लखी मेला लगता है।

मेंहदीपुर बालाजी

दौसा का प्रसिद्ध मन्दिर श्री मेंहदीपुर बालाजी घंटा मेहंदीपुर में स्थित है। हनुमान जी को समर्पित इस मंदिर का निर्माण श्रीराम गोस्वामी ने करवाया था। हनुमान जयंती, जन्माष्टमी, जल झूलनी एकादशी, दशहरा, शरद पूर्णिमा, दीपावली, मकर संक्रांति, महाशिवरात्रि, होली और रामनवमी यहाँ धूमधाम से मनाए जाते हैं। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के बारे में माना जाता है कि यहाँ प्रेतराज भूत-प्रेत से संकटग्रस्त लोगों का इलाज करते हैं। दुनिया भर में विज्ञान के क्षेत्र में हुई प्रगति के बावजूद बड़ी संख्या में लोग इस प्रकार की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए यहाँ आते हैं। विशेष अवसरों पर आयोजित होने वाले मेलों में यहाँ पर लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं, लेकिन आम दिनों में भी यहाँ पर हजारों की संख्या में दर्शनार्थी पहुँचते हैं। एक छोटी से गुफा में विराजित हनुमानजी के इस मंदिर ने अब भव्य रूप ले लिया है। यहाँ पर यात्रियों के ठहरने के लिए कई धर्मशालाएँ एवं होटल हैं। सिर्फ एक दिन के लिए यहाँ आने वाले यात्रियों के लिए कई पार्किंग स्थल हैं।

हर्षत माताजी का मंदिर

माताजी के मंदिर को सचिनी देवी के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह दौसा का एक प्राचीन मंदिर है। देवी दुर्गा को समर्पित इस मंदिर में 12वीं शताब्दी की दुर्लभ मूर्तिकला को देखा जा सकता है।

पपलाज माता मन्दिर

पपलाज माता मन्दिर लालसोट तहसील के ग्राम घाटा में स्थित है। यह मंदिर जिले का सर्वाधिक लोकप्रिय मंदिर है। यह अरावली पर्वत माला पर जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी. की दूरी पर स्थित है।

देवनारायण भगवान मन्दिर

दौसा जिले में गुर्जर जाति के आराध्य भगवान श्री देवनारायण भगवान का बहुत सुंदर मंदिर स्थित है। जिसका निर्माण देवनारायण मंदिर निर्माण समिति द्वारा कराया गया है। यह नायाब कलाकृति का एक बेजोड़ नमूना है। यहाँ पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं भगवान श्री देवनारायण की महिमा अनंत है।

चाँद बावड़ी

दौसा के आकर्षण में एक तरफ जहाँ यहाँ के प्रसिद्ध मंदिर चार चाँद लगाते हैं, वहीं दूसरी ओर यहाँ स्थित चाँद बावड़ी मुकुट में जड़े हीरे की तरह आपको अपनी ओर आकर्षित करती है। चाँद बावड़ी को कई लेंसों द्वारा कैद किया गया है। यह पूरी तरह से सममित कदम हर दर्शक को अच्छी तरह से देखता है और क्यों नहीं? शायद, अपने पुराने लुक के कारण यह कुछ आकर्षण प्रदान करती है। हालांकि राजस्थान में कई बावड़ी हैं, लेकिन यह पारंपरिकता की सुंदरता है और इसकी सुंदरता के बीच बसने के लिए आपको बस इतना करना है कि पूरी तरह से मौन में इस जगह की यात्रा करें और प्रशंसा करें। दौसा में आपकी छुट्टी के दौरान, यह वास्तुशिल्प आश्चर्य आपकी जाँच सूची में सबसे ऊपर होना चाहिए; हालाँकि यह सिर्फ चांद बावड़ी ही नहीं है जो एक भीड़ खींचने वाली जगह है जिससे आप किलों के नज़ारे की भी उम्मीद कर सकते हैं। दौसा में भ्रमण करते समय, माधोगढ़ किले की यात्रा करें, जो सुंदर पृष्ठभूमि से घिरी एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, हालाँकि 2000 में ठाकुर भवानी सिंह के परिवार द्वारा इसे एक भव्य विरासत होटल में परिवर्तित किया गया था, आप लंच के लिए परिसर में भी जा सकते हैं या रुको और शाही एहसास प्राप्त करो।

यातायात और परिवहन

रेलमार्ग


दौसा नगर रेल मार्ग के जरिए देश के बाकी हिस्सों से जुड़ा है। यहाँ पर बाँदीकुई का महत्त्वपूर्ण जंक्शन भी है। 2915- आश्रम एक्सप्रेस, 2414- जम्मू जयपुर एक्सप्रेस और 2461- मंदोर एक्सप्रेस यहाँ से होकर गुजरती हैं।

सडक़ मार्ग

आगरा और जयपुर को जोडऩे वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 21 दौसा जिले से होकर गुजरता है। पहले यह राष्ट्रीय राजमार्ग 11 था जिसको अब बदल दिया गया है।