108 सिद्ध पीठों में से एक है, 5500 फुट की ऊँचाई पर स्थित 'पूर्णागिरि मन्दिर'

पूर्णागिरि मन्दिर भारत के उत्तराखण्ड प्रान्त के टनकपुर में अन्नपूर्णा शिखर पर 5500फुट की ऊँचाई पर स्थित है। यह 108सिद्ध पीठों में से एक है। यह स्थान महाकाली की पीठ माना जाता है। कहा जाता है कि दक्ष प्रजापति की कन्या और शिव की अर्धांगिनी सती की नाभि का भाग यहाँ पर विष्णु चक्र से कट कर गिरा था। प्रतिवर्ष इस शक्ति पीठ की यात्रा करने आस्थावान श्रद्धालु कष्ट सहकर भी यहाँ आते हैं।

यह स्थान टनकपुर से मात्र 17 कि॰मी॰ की दूरी पर है। अन्तिम 1कि॰मी॰ का रास्ता श्रद्धालु अपूर्व आस्था के साथ पार करते हैं। नेपाल इसके बगल में है। समुद्र तल से 3000मीटर की ऊचाई पर स्थित है। पूर्णागिरी मन्दिर टनकपुर से 20कि॰ मी॰, पिथौरागढ से 171कि॰मी॰ और चम्पावत से 92कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित है। पूर्णागिरी मे वर्ष भर तीर्थयात्रियो का भारत के सभी प्रान्तो से आना लगा रहता है। विशेषकर नवरात्रि (मार्च-अप्रैल) के महीने में भक्त अधिक संख्या में आते हैं। भक्त यहाँ पर दर्शनों के लिये भक्तिभाव के साथ पहाड़ पर चढ़ाई करते हैं। पूर्णागिरी पुण्यगिरी के नाम से भी जाना जाता है। यहा से काली नदी निकल कर समतल की ओर जाती है वहा पर इस नदी को शारदा के नाम से जाना जाता है। इस तीर्थस्थान पर पहुचने के लिये टनकपुर से ठूलीगाड तक आप वाहन से जा सकते हैं। ठूलीगाड से टुन्यास तक सडक का निर्माण कार्य प्रगति पर होने के कारण पैदल ही बाकी का रास्ता तय करना होता है। ठूलीगाड से बांस की चढाई पार करने के बाद हनुमान चट्टी आता है। यहां से पुण्य पर्वत का दक्षिण-पश्चिमी हिस्सा दिखने लगता है। यहां से अस्थाई बनाई गयी दुकानें और घर शुरू हो जाते हैं जो कि टुन्यास तक मिलते हैं। यहा के सबसे ऊपरी हिस्से (पूर्णागिरी) से काली नदी का फैलाव, टनकपुर शहर और कुछ नेपाली गांव दिखने लगते हैं। यहां का द्रश्य बहुत ही मनोहारी होता है। पुराना ब्रह्मदेव मण्डी टनकपुर से काफी नज़दीक है।

वैसे तो इस पवित्र शक्ति पीठ के दर्शन हेतु श्रद्धालु वर्ष भर आते रहते हैं। परन्तु चैत्र मास की नवरात्रियों से जून तक श्रद्धालुओं की अपार भीड दर्शनार्थ आती है। चैत्र मास की नवरात्रियों से दो माह तक यहॉ पर मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें श्रद्धालुओं के लिए सभी प्रकार की सुविधायें उपलब्ध कराई जाती हैं। इस शक्ति पीठ में दर्शनार्थ आने वाले यात्रियों की संख्या वर्ष भर में २५ लाख से अधिक होती है। इस मेले हेतु प्रतिवर्ष राज्य शासन द्वारा अनुदान की धनराशि जिलाधिकारी चम्पावत के माध्यम से जिला पंचायत चम्पावत जोकि मेले का आयोजन करते हैं को उपलब्ध कराई जाती है।

यहाँ आने के लिये आप सड्क या रेल के द्वारा पहुच सकते है। यहाँ का निकटतम रेलवे स्टेशन टनकपुर है। जो यहाँ से 20कि॰ मी॰ है। सड़क से यहाँ आने के लिये मोटर मार्ग ठूलीगाड तक है जोकि टनकपुर से 14कि॰ मी॰ है। उसके बाद टुन्यास तक सडक का निर्माण कार्य चल रहा है जिसकी दूरी ५ कि॰मी॰ है। तत्पश्चात 3 कि॰मी॰ का रास्ता पैदल ही पूरा करना होता है। वायु मार्ग से आने के लिए यहाँ का निकटतम हवाई अड़डा पन्तनगर है जो कि खटीमा नानकमत्त्था के रास्ते 121कि॰ मी॰ की दूरी पर है। यहाँ पर्यटन के लिए सबसे उपयुक्त समय वर्षा ऋतु का है। सर्दी के मौसम में गरम कपड़े ज़रूरी हैं। ग्रीष्म ऋतु मे हल्के ऊनी कपडों की ज़रूरत हो सकती है। यहाँ कुमांउनी, हिन्दी और अंग्रेजी़ भाषा बोली जाती है।