चाय के बागानों के लिए प्रसिद्द है ऊंटी, देता हैं खूबसूरत नजारों का मजा

ऊटी तमिलनाडु और कर्नाटक के बॉर्डर पर बस हुआ एक बहुत ही मनोरम हिल स्टेशन है।चारों ओर नीले पेड़ों के जंगल के कारण यह इलाका नीलगिरी कहलाता है। ऊटी अपने चाय के बागानों के लिए पूरे भारत मे प्रसिद्ध है।यहीं दक्षिण भारत की सबसे ऊंची चोटी दोदा बेटा भी है।इसकी ऊटी समुद्र तल से लगभग सत्ताई सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।औपनिवेशिक काल में यह अंग्रेजो की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करता था।आइये जानते है ऊटी में घूमने के लिए क्या क्या है-

नीलगिरी माउंटेन रेलवे
अगर आप प्रकृति का आनंद लेना कहते हैं तो इस रेल मव यात्रा करना न भूलें। सं 1899 में यह ट्रेन शुरू हुई थी जो आज भी सैलानियों कव लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है।रेल लाइन के दोनों और घने पेड़ बहुत ही सुंदर लगते हैं।यह यात्रा 5 घण्टे में 46 किलोमीटर तय करती है।सफर मेट्टूपलायम आए शुरू होती है जो केलर, कुन्नूर होते हुए वेलिंगटन पहुंचती है।
ऊटी झील
यह झील ऊटी से 2 किलोमीटर की दूरी पर है।इस झील का निर्माण जॉन सुलिवान जो कि कोयम्बटूर के कलेक्टर थे ने 1824 में करवाया था।65 एकड़ में फैली हुई यह झील कई प्रवासी पक्षियों का निवास स्थान भी है।

ऊटी रोज गार्डन

यह पूरे तमिल नाडु ला सबसे ज्यादा व्यवस्थित बगीचा है। यहां सैकड़ों तरह के फूल लगे हुए हैं। अगर आप ऊटी आये हुए है तो यहां जाना न भूलें।
एमराल्ड झील
यह झील ऊटी से लगभग 22 किलोमीटर दूर एमराल्ड गांव में स्थित है। प्रकृति प्रेमियों के लिए यह झील किसी जन्नत से कम नही है।यह झील सायलेंट वेली नेशनल पार्क का हिस्सा भी है।

कोटागिरी

कोटागिरी नीलगिरी की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है। यह अपने चाय के बागानों के लिए बहुत प्रसिद्ध है।समुद्र तल से यह 1985 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। अगर आप ट्रेकिंग में रुचि रखते हैं तो आप को एक बार यहां जरुर आना चाहिये।