भारत की 5 सबसे शक्तिशाली सती शक्ति पीठ

पुराणों के अनुसार जब माता सती को लेकर शिव जी व्याकुल हो घूम रहे थे तब देवताओ को चिंता हुई तब उनकी मदद के लिए भगवान विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र से सती माता के समस्तांग विछेदित कर दिए जिससे माता सती के अंग भूमि पर गिरने लगे थे।

हिन्दू धर्म के अनुसार सती माता के अंग जहाँ जहाँ गिरे वहाँ शक्ति पीठ बन गए और ये जगह अत्यंत ही पावन तीर्थ स्थल कहलाने लगी. ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। शक्ति अर्थात देवी दुर्गा, जिन्हें दाक्षायनी या पार्वती रूप में भी पूजा जाता है। तो आइये जाने की शक्ति पीठ के बारे में...

# किरीट शक्तिपीठ


किरीट शक्तिपीठ, पश्चिम बंगाल के हुगली नदी के तट लालबाग कोट पर स्थित है। यहां सती माता का किरीट यानी शिराभूषण या मुकुट गिरा था। यहां की शक्ति विमला अथवा भुवनेश्वरी तथा भैरव संवर्त हैं।

# श्री पर्वत शक्तिपीठ

इस पीठ का मूल स्थल लद्दाख है, जबकि कुछ का मानना है कि यह असम के सिलहट में है जहां माता सती का दक्षिण तल्प यानी कनपटी गिरा था। यहां की शक्ति श्री सुन्दरी एवं भैरव सुन्दरानन्द हैं।

# गोदावरी तट शक्तिपीठ

आंध्रप्रदेश के कब्बूर में गोदावरी तट पर स्थित है यह शक्तिपीठ, जहां माता का वामगण्ड यानी बायां कपोल गिरा था। यहां की शक्ति विश्वेश्वरी या रुक्मणी तथा भैरव दण्डपाणि हैं।

# अट्टहास शक्तिपीठ

अट्टहास शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के लाबपुर में स्थित है। जहां माता का अध्रोष्ठ यानी नीचे का होंठ गिरा था। यहां की शक्ति पफुल्लरा तथा भैरव विश्वेश हैं।

# कण्यकाश्रम कन्याकुमारी शक्तिपीठ

तमिलनाडु के कन्याकुमारी के तीन सागरों हिन्द महासागर, अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ीद्ध के संगम पर स्थित है कण्यकाश्रम शक्तिपीठ, जहां माता का पीठ मतान्तर से उध्र्वदन्त गिरा था। यहां की शक्ति शर्वाणि या नारायणी तथा भैरव निमषि या स्थाणु हैं।