ऐसी बीमारी जिसके चलते धुप से गल जाती है त्वचा

दुनिया में कई तरह की अजीब-अजीब सी बीमारियाँ होती हैं जिनके बारे में सुनकर ही इंसान चोंक जाता हैं। ऐसी ही एक बीमारी है एक्सोडेरमा पिगमेंटोसम जिसे एक्सपी भी कहते है। यह बिमारी वेसे तो लाखों लोगों में से किसी एक को होती हैं लेकिन यह बिमारी ब्राजील के साओ पाउलो का एक गाँव है अरारस उसमें अपना कहर बरसा रही हैं। जहां 40 लोगों में से एक आदमी इस बिमारी से पीड़ित हैं। तो आइये जानते हैं इस बीमारी के पीछे की कहानी के बारे में।

स्किन की इस बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए धूप में निकलना सजा की तरह है। धूप में निकलने से सूरज की किरणें झुलसा देती हैं। एक्सपी बीमारी बहुत ज्यादा संवेदनशील होने पर स्किन कैंसर का रूप ले लेती है और त्वचा को धूप से पहुंचने वाले नुकसान को सही करना नामुमकिन हो जाता है। धूप के चलते स्किन लाल और रूखी पड़ जाती है और चेहरा भद्दा दिखने लगता है।

अरारस गाँव में ज्यादातर खेती से जुड़े लोग ह़ी रहते है। इसलिए वह काम करने के कारण धूप से बच नही सकते है। कुछ लोगों के पास धूप में काम करने के अलावा और कोई चारा भी नही है। इस बीमारी का नतीजा यह हो रहा है की इस बीमारी के चलते लोगो की जिंदगी बहुत मुश्किल होती जा रही है। इस गांव में 800 लोगों में से 20 लोग इस बीमारी के शिकार हैं। मतलब ये हुआ कि हर चालीस लोगों में एक आदमी इस बीमारी से पीड़ित है, जबकि अमेरिका में 10 लाख लोगों में कोई एक शख्स ही इस बीमारी का शिकार है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यहां अनुवांशिकता बताई जा रही है।

अरारस में रहने वाले जालमा एन्टोनियो कई साल से इस बीमारी से पीड़ित हैं। एन्टोनियो खेती किसानी से जुड़े हैं इसलिए उन्हें हमेशा धूप में काम करना पड़ा। लिहाजा, उनकी स्किन की हालत हर दिन बिगड़ती गई। एन्टोनियो जब नौ साल के थे तभी उन्हें इस बीमारी के लक्षण नजर आने लगे थे। उनके चेहरे पर चकत्ते और छोटा दाने होने लगे थे। वो कहते हैं कि अगर वो खुद को धूप से बचा पाए होते, तो आज हालात कुछ और होते।

धूप में उनकी नाक, होंठ, गाल और आंख सब गल कर बिगड़ गया। इस दौरान उनकी 50 से ज्यादा सर्जरी हो चुकी है। अब वो अपने चेहरे को धूप से बचाने के लिए ओरेंज मास्क और टोपी पहनते हैं, जिससे उन्हें बीमारी को काबू में करने में थोड़ी मदद मिल रही है। एन्टोनियो जैसी ही हालत गांव के बाकी पीड़ितों की भी है। हालांकि अब इस बीमारी से बचने के लिए गांव में लोगों को जागरुक किया जा रहा है। बच्चों को इसके शुरुआती लक्षणों के बारे में बताया जा रहा है और उन्हें धूप में कम से कम निकलने की सलाह दी जा रही है।