बेहद रहस्यमई है महाराष्ट्र का 'नानेघाट का उल्टा झरना', ग्रैविटी के विपरीत बहता है ऊपर की ओर

भारत में हजारों वाटरफॉल है। वाटरफॉल को झरना और जल प्रपात भी कहते हैं। बारिश में इन झरनों को देखना बहुत ही शानदार अनुभव रहता है। झरनों का पानी ऊपर से नीचे की तरफ बहता है लेकिन आज हम आपको एक ऐसे झरने के बारे में बताने जा रहे है जिसका पानी नीचे गिरने के बजाय ऊपर उठता है। यह पढ़कर आपके मन में एक ही सवाल उठ रहा होगा कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है। पानी नीचे गिरने के बजाय ऊपर कैसे उठता है? लेकिन यह सच है। हम बात करे रहे है महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट पर स्तिथ नानेघाट के उलटे झरने की। वैज्ञानिकों का कहना है कि यहां हवा का तेज बल होता है, जिसके कारण पानी नीचे गिरने के बजाय ऊपर की ओर उठता है।

न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम कहता है कि अगर किसी भी चीज को ऊपर से फेंकी जाए तो वह नीचे जरूर गिरती हैं, लेकिन ऐसे में नानेघाट के उल्टा झरना की बात की जाए तो इसका पानी नीचे गिरने की बजाय ऊपर को उठता है, जो सरासर न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम के विरुद्ध है। वैज्ञानिकों के माने तो इसका कारण हवाओं का तेज बल है जो बहते पानी को ऊपर की ओर धकेलता है। दरअसल, नानेघाट में हवा बेहद तेज़ चलती है। इस वजह से जब वाटरफॉल नीचे गिरता है तो वो हवा के चलते उड़कर ऊपर आ जाता है।

ट्रैकिंग के लिए भी प्रसिद्ध है ये स्थान

नानेघाट की सबसे खास बात यह है कि यहां ट्रैकिंग भी किया जा सकता है। करीब 5 किलोमीटर लंबे इस ट्रैक को पार करने में करीब 5 से 6 घंटे का समय लगता है। वहीं, पहाड़ की चोटियों पर वाहनों से भी पहुंचा जा सकता है।

आने का सही समय

मानसून के दौरान यहां आना सबसे बेहतर माना जाता है। क्योंकि, रिवर्स वॉटरफॉल की अजीब प्रक्रिया इसी वक्त देखी जाती है और इस दौरान यहां हवाएं भी काफी तेज चलती है।

कैसे पहुंचे 'नानेघाट का उल्टा झरना'

यह रहस्यमई व चमत्कारी स्थान मुंबई से करीब 120 किलोमीटर और पुणे से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां आप हवाई जहाज, ट्रेन, टैक्सी या निजी साधन से जा सकते हैं।