आज भी रहस्य बनी हुई है मध्य प्रदेश की इस तांत्रिक बावड़ी के पीछे की कहानी

भारत के इतिहास में ऐसे कई राज दफ़न है जो कभी सामने नहीं आये। और जो राज सामने आये उनमें से कई का कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया। ऐसे रहस्य जिन्हें कोई समझ नहीं सका उनमें से एक रहस्य है मध्य प्रदेश के एक 250 साल पुराने महल में बनी हुई तांत्रिक बावड़ी का रहस्य। कहा जाता है इस बावड़ी के पानी में कुछ ऐसा था कि इसका पानी पीने से सगे भाई तक आपस में लड़ने-झगड़ने लगते थे। इस रहस्य को आज तक नहीं सुलझाया जा सका हैं, आइये जानते हैं इस तांत्रिक बावड़ी के पीछे की कहानी के बारे में।

यह बावड़ी श्योपुर जिले के गिरधरपुर कस्बे में स्थित हीरापुर गढ़ी में अवशेष के रूप में मौजूद है। राजा गिरधर सिंह गौड़ ने 250 साल पहले अपने शासनकाल में गढ़ी में 8 बावड़ियां तैयार करवाई थीं। इसमें एक बावड़ी है, जिसे तांत्रिक बावड़ी कहा जाता है। इस बावड़ी को लेकर गांववालों के बीच एक किस्सा जुबान पर है। लोग कहते हैं कि इस बावड़ी का पानी पीने से सगे भाई झगड़ने लगते थे। जब राजपरिवार और अन्य लोगों के बीच ऐसी घटनाएं होने लगी तो राजा ने इस पाटवा दिया। किंवदंती है कि एक नाराज तांत्रिक ने जादू-टोना कर दिया था, जिसके बाद से इस बावड़ी के पानी का ऐसा प्रभाव हो गया था। बावड़ी करीब 100 वर्ग फीट की है और यह 10 फीट गहरी है। यह बावड़ी गढ़ी परिसर में सोरती बाग में शिवजी के स्थान के पास स्थित है। यहां पहले आम के पेड़ थे और इस बाग में राजा अक्सर आते थे। आज यहां चार-पांच बावड़ियां बची हैं। एक बावड़ी में आज भी पानी भरा रहता है।

इस बावड़ी से जुडी किवदंती यह है की इस बावड़ी का पानी पीने से सगे भाई तक आपस में लड़ने-झगड़ने लगते थे। राजपरिवार और अन्य लोगों के साथ जब ऐसी घटनाएं बढ़ गईं तो शासक ने इस बावड़ी को बंद करने का फैसला लिया। तांत्रिकों को लेकर लोगों के बीच एक किंवदंती भी प्रचलित है। कहते है कि एक बार दो जादूगरों के बीच कड़ा मुकाबला हुआ। एक जादूगर ने ताड़ के पेड़ को जादू से पेड़ को तोड़ दिया, तो दूसरे ने उसे जोड़ दिया। लेकिन पेड़ के जुड़ने में एक सिरा थोड़ा अंतर से जुड़ा। यह पेड़ काफी दिनों तक मौजूद रहा। इस महल को देखने के लिए आज भी लोगों की भारी भीड़ आती है। यहां के निवासियों का कहना है कि इस महल की विख्याति दूर-दूर तक है। इस बावड़ी और महल को देखने के लिए देश से नहीं विदेशों से भी पर्यटक आते हैं। महल के बाहर एक शिवजी का मंदिर है, लेकिन अब उसमें देवी प्रतिमा बैठा दी गई है। गढी के अंदर एक छोटे मंदिर में शिवलिंग और भैरव प्रतिमा है। महल नष्ट होने के कगार पर है।