हिमाचल की गोद में बसा छोटा सा शहर हैं डलहौजी, यहां जाए तो जरूर घूमें ये 10 जगह

जब भी कभी घूमने की जगहों का विचार किया जाता हैं तो दिमाग में हिल स्टेशन ही आते हैं जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और प्राचीन आकर्षण से सभी का मन मोह लेते हैं। इन्हीं जगहों में से एक हैं हिमाचल की गोद में बसा छोटा सा शहर डलहौजी जिसे हनीमून डेस्टिनेशन के तौर पर भी जाना जाता हैं। देश के भीड़ वाले शहरों से दूर डलहौजी एक बहुत ही विचित्र शहर है जो एक प्रदूषण से मुक्त वातावरण प्रदान करने वाला शहर है साथ ही आपको प्रकृति की गोद में होने का भी महसूस करवाता है। अगर आप भी डलहौजी घूमने जाने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आज इस कड़ी में हम आपके लिए डलहौजी की पर्यटन स्थलों की जानकारी लेकर आए हैं जहां आप घूमने का पूरा मजा ले सकते हैं। तो आइये जानते है इन जगहों के बारे में...

सतधारा झरना

सतधारा झरना चंबा घाटी में स्थित है,जो बर्फ से ढके पहाड़ों और ताज़े देवदार के पेड़ों के शानदार दृश्यों से घिरा हुआ है। ‘सतधारा’ का मतलब होता है सात झरने, इस झरने का नाम सातधारा सात खूबसूरत झरनों के जल के एक साथ मिलने की वजह से रखा गया है। इन झरनों का पानी समुद्र से 2036 मीटर ऊपर एक बिंदु पर मिलता है। यह जगह उन लोगों के लिए एक खास है जो शहर की भीड़-भाड़ वाली जिंदगी से दूर जाकर शांति का अनुभव करना चाहते हैं। सतधारा फाल्स अपने औषधीय गुणों की वजह से भी जानी जाती है क्योंकि यहां के पानी में अभ्रक पाया जाता है, जिसमें त्वचा के रोग ठीक करने के गुण होते हैं।

खाज्जिअर

खाज्जिअर डलहौज़ी के पास स्थित एक छोटा सा शहर है जिसको ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ या ‘भारत का स्विटज़रलैंड’ के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थान की खूबसूरती हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है। 6,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित खाज्जिअर अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सुरम्य परिदृश्य की वजह से डलहौजी के पास घूमने की सबसे अच्छी जगहों में से एक हैं। खाज्जिअर एक छोटी झील के साथ एक पठार है जो पर्यटकों की सबसे पसंदिता जगहों में से एक है। इस जगह होने वाले साहसिक खेल ज़ोरबिंग, ट्रेकिंग आदि पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं।


सच पास डलहौजी

अगर आप को रोमांच पसंद है तो डलहौजी के पास स्थित सच पास आप के लिए सबसे सही जगह है। डलहौजी से सच पास की 150 किलोमीटर की यात्रा आप को रोमांच से भर देगी। 4500 मीटर (14500 फ़ीट) की ऊंचाई पर स्थित सच पास दुनिया की सबसे दुर्गम, खतरनाक इलाकों में आता है। सच पास जाने वाली सड़क भी दुनिया की सबसे खतरनाक सड़कों में से एक है इसलिये कमजोर दिल वाले और हाई एल्टीट्यूड सिकनेस वाले लोगों को इसी जगह की यात्रा नहीं करनी चाहिये। एक खतरनाक दर्रा होने के बावजूद दुनिया भर के बाइक राइडर्स और एडवेंचर टूरिस्ट सच पास की यात्रा और ट्रेकिंग करना बहुत ज्यादा पसंद करते है।


पंचपुला

पंचपुला हरे देवदार के पेड़ों के आवरण से घिरा एक झरना है जो डलहौजी के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। पंचपुला वो जगह है जहां पर पाँच धाराएँ एक साथ आती हैं। पंचपुला की मुख्य धारा डलहौजी के आसपास की विभिन्न जगहों में पानी की पूर्ति करती है। यह जगह ट्रेकिंग और अपने खूबसूरत दृश्यों की वजह से जानी जाती है। पंचपुला के पास एक महान क्रांतिकारी सरदार अजीत सिंह (शहीद भगत सिंह के चाचा) की याद में एक समाधि (स्मारक) बनाई गई है, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली थी। मॉनसून के मौसम में इस जगह के प्राचीन पानी का सबसे अच्छा आनंद लिया जाता है, जब पानी गिरता तो यहां का वातावरण पर्यटकों को आनंदित कर देता है।


तिब्बती बाजार

डलहौज़ी के स्थानीय बाजारों में मॉल रोड गाँधीचौक बहुत प्रसिद्ध है। डलहौज़ी के सबसे प्रमुख बाजार मॉल रोड गाँधीचौक के पास में स्थित तिब्बती बाजार हिमाचल के प्रसिद्ध हस्तशिल्प निर्मित उत्पाद और पारम्परिक वस्त्र खरीदने के लिए सबसे उपयुक्त बाजार है। इस बाजार में आप को हिमाचल की संस्कृति से जुड़े हुए सामान के अल्वा तिब्बती संस्कृति और हस्तशिल्प से जुड़े हुए अनेक उत्पाद मिलेंगे। आप गाँधीचौक में स्थित तिब्बती बाजार में घर की सजावट के लिए भी बहुत सारे सामान की खरीदारी कर सकते है। हाथ से बना हुआ कालीन, गरम कपड़े, चम्बा की प्रसिद्ध चप्पल, शॉल, स्थानीय खिलोने और पारम्परिक तरीके से बने हुए गहने आप यहाँ पर उचित कीमत पर खरीद सकते है। हिमाचल प्रदेश और डलहौज़ी की पारम्परिक वस्तुओ को खरीदने के लिए तिब्बती बाजार सबसे उचित जगहों में से एक है।


कलातोप खाज्जिअर अभयारण्य

कलातोप खजियार अभयारण्य को कलातोप वन्यजीव अभयारण्य भी कहा जाता है जो हिमाचल प्रदेश के चंबल जिले में स्थित है और डलहौजी के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। कलातोप नाम का अर्थ ‘काली टोपी’ है, जो संभवतः अभयारण्य में सबसे ऊंची पहाड़ी पर घने काले वन को बताता है। कलातोप वनस्पति और जीवों में काफी समृद्ध है और इसकी प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को अपनी तरफ बेहद आकर्षित करती है। अगर आप डलहौजी की यात्रा पर जा रहे हैं तो कलातोप खाज्जिअर अभयारण्य को भी अपनी लिस्ट में शामिल करें।

चामुंडा देवी मंदिर

चामुंडा देवी मंदिर देवी काली को समर्पित एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर देवी अंबिका ने मुंडा और चंदा नाम के राक्षसों का वध किया था। इस मंदिर में देवी को एक लाल कपड़े में लपेटकर रखा जाता है, यहां आने वाले पर्यटकों को देवी की मूर्ति को छूने नहीं दिया जाता। इस क्षेत्र में पर्यटकों को कई सुंदर दृश्य भी देखने को मिलते हैं।


बकरोटा हिल्स

बकरोटा हिल्स जिसे “अपर बकरोटा” के नाम से भी जाना जाता है, यह डलहौज़ी का सबसे ऊँचा इलाका है और यह बकरोटा वॉक नाम की एक सड़क का सर्किल है, जो खजियार की ओर जाती है। भले ही इस जगह पर पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बहुत कुछ नहीं है लेकिन यहाँ टहलना और चारों तरफ के आकर्षक दृश्यों को देखना पर्यटकों की आँखों को बेहद आनंद देता है। आपको बता दें कि यह क्षेत्र चारों तरफ से देवदार के पेड़ों और हरी-भरी पहाड़ियों से घिरा हुआ है।


डैनकुंड पीक

डैनकुंड पीक को सिंगिंग हिल भी कहा जाता है। यह चोटी समुन्द्र तल से 2750 मीटर की उचाई पर स्थित है जो LOC का उच्चितम पर्वत शिखर है। यह पीक LOC से 10 किलोमीटर की दुरी पर है। यहाँ से आप घाटियों और पहाड़ो के अद्भुत दृश्य देख सकते हैं। यह जगह प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग के सामान होगा। इस पीक पर देश भर से काफी पर्यटकों घुमने के लिए आते हैं। यह पीक कलातोप वन्यजीवन संरक्षण और गाँधी चौक के पास में ही स्थित है।

सुभाष बावली

सुभाष बावली डलहौजी में गांधी चौक से 1 किमी दूर स्थित एक ऐसी जगह है जिसका नाम प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर रखा गया। सुभाष बावली को अपने खूबसूरत प्रकृतिक दृश्यों, दूर-दूर तक फैले बर्फ के पहाड़ों दृश्यों और सुंदरता के लिए जाना जाता है। सुभाष बावली वो जगह है जहाँ पर सुभाष चंद्र बोस 1937 में स्वास्थ्य की खराबी के चलते आये थे और वो इस जगह पर 7 महीने तक रहे थे। इस जगह पर रह कर वे बिलकुल ठीक हो गए थे। आपको बता दें कि यहाँ पर एक खूबसूरत झरना भी है जो हिमनदी धारा में बहता है।