उत्तराखंड का मिनी स्विट्ज़रलैंड है चोपता हिल स्टेशन, अध्यात्मिक और रोमांचक दोनों सफर का उठाए आनंद

अगर आप अपनी अगली ट्रिप प्लान कर रहे हैं तो आप उत्तराखंड के चोपता और तुंगनाथ का प्लान बना सकते हैं जहां आपको अध्यात्मिक और रोमांचक दोनों सफर का आनंद मिलेगा। इस जगह की खासियत यह है कि यहां पर आपको हरे-भरे घास के मैदान मिलेंगे साथ ही पांच केदारों में से एक शिव मंदिर तुंगनाथ यहीं पर स्थित है। इसके अलावा आप चंद्रशिला पर भी जाकर ट्रैकिंग का मजा ले सकते हैं और यहां के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद उठा सकते हैं।

ये समय रहेगा बेस्ट

यूं तो मई से नवंबर तक कभी भी तुंगनाथ के दर्शनों के लिए जा सकते हैं, लेकिन जनवरी और फरवरी का समय यहां लोग आना काफी पसंद करते हैं। ‘तुंगनाथ’ के दर्शन करने के लिए ऋषिकेश से गोपेश्‍वर होकर चोपता जाना होगा। इसके बाद ‘तुंगनाथ’ के लिए स्‍थानीय साधन मिल जाते हैं। इसके अलावा दूसरा रास्‍ता ऋषिकेश से ऊखीमठ होकर जाता है। ऊखीमठ से भी चोपता जाना होगा उसके बाद ‘तुंगनाथ’ मंदिर के लिए साधन मिल जाते हैं।

तुंगनाथ मंदिर

चोपता भ्रमण की शुरुआत आप चंद्रनाथ पर्वत पर स्थित प्रसिद्ध तुंगनाथ मंदिर से कर सकते हैं। अद्भुत वास्तुकला के साथ बनाया गया यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जो 1000 साल से भी पुराना बताया जाता है। भगवान शिव के साथ आप यहां माता पार्वती और अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं देख सकते हैं। तुंगनाथ की गिनती भारत के प्रसिद्ध पंच केदार में होती है, जहां दर्शन के लिए विश्व भर से पर्यटकों का आगमन होता है। चोपता की यात्रा को थोड़ा धार्मिक मोड़ देने के लिए आप यहां दर्शन के लिए आ सकते हैं।

चंद्रशिला ट्रेक

अगर आपने चोपता घूमने का प्लान बनाया है तो यहां पर आपको मन की शांति तो मिलेगी ही साथ ही रोमांच का अनुभव भी होगा। यहां पास में स्थित चंद्रनाथ पर्वत, अपने रोमांचक ट्रेकिंग रूट के लिए जाना जाता है। देशभर से ट्रैवलर यहां इस एडवेंचर का अनुभव लेने के लिए आते हैं। चंद्रशिला समुद्र तल से 13,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां से आप ग्रेट हिमालय के शानदार दृश्यों का आनंद जी भरकर उठा सकते हैं।चंद्रशिला का ट्रेक लगभग 1.5 कि.मी का है, जो तुंगनाथ मंदिर से शुरु होता है। चंद्रशिला का बेस कैंप चोपता में है।

देवरिया झील

अगर आप चोपता गए हैं तो इसके पास आप शानदार झीलों की सैर का प्लान भी बना सकते हैं। आप यहां से देवरिया ताल की ओर रूख कर सकते हैं। समुद्र तल से 2438 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह झील अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता के बल पर सैलानियों को आकर्षित करती है। इसका साफ पानी और यहां से दिखते चौखंभा चोटी के शानदार दृश्य सैलानियों को काफी ज्यादा रोमांचित करते। यह झील खूबसूरत प्राकृतिक नजारों से घिरी हुई है, जहां आप थोड़ी देर बैठकर आत्मिक और मानसिक शांति का अनोखा अनुभव कर सकते हैं। झील के खूबसूरत नजारों का आनंद उठाने के साथ-साथ आप यहां ट्रेकिंग का अनुभव भी ले सकते हैं। एक शानदार अनुभव के लिए आप यहां आ सकते हैं।


कालीमठ

चोपता के आसपास धार्मिक स्थलों की श्रृंखला में आप कालीमठ के दर्शन कर सकते हैं। सरस्वती नदी के तट पर स्थित यह मंदिर रुद्रप्रयाग जिले के प्रसिद्ध मंदिरों में गिना जाता है, जहां रोजाना दूर-दराज से श्रद्धालुओं का आगमन लगा रहता है। लगभग 1800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर भारत में 108 शक्तिपीठों में से एक है। पहाड़ों और प्राकृतिक खूबसूरती से घिरा यह मंदिर मां काली को समर्पित है।

दुग्गल बिट्टा

दुग्गल बिट्टा का अर्थ होता है, दो पहाड़ी के मध्य का स्थान। यह जगह चोपता के पास ही है। दुग्गल बिट्टा एक छोटा हैमलेट है,जो चोपता या चार धाम यात्रा पर निकले यात्रियों के लिए एक हॉल्ट के रूप में काम करता है। लगभग 2600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह स्थल भारी संख्या में ट्रैवलर्स को आकर्षित करता है। दरअसल दुग्गल बिट्टा, केदरानाथ वन्यजीव अभयारण्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह स्थल चारों तरफ से प्राकृतिक खूबसूरती से भरा हुआ है, जहां आप एक सुकून भरा समय बिता सकते हैं। यहां से दिखने वाले पहाड़ियों के दृश्य काफी ज्यादा रोमांचित करते हैं।