मरघट वाले हनुमान मंदिर, पुरानी दिल्ली के यमुना बाजार इलाके में स्थित एक अद्वितीय और पौराणिक स्थल है। इस मंदिर के सामने श्मशान घाट स्थित होने के कारण इसे मरघट वाले हनुमान बाबा का मंदिर कहा जाता है। इसके पीछे एक प्राचीन कथा जुड़ी है।
हनुमान जी की विश्राम स्थली और आत्माओं की मुक्तिरामायण काल की मान्यता के अनुसार, जब हनुमान जी संजीवनी बूटी लेकर जा रहे थे, तब उन्होंने यमुना नदी के पास उतरकर कुछ देर विश्राम करने का विचार किया। लेकिन जैसे ही वे नीचे उतरे, वहां की बुरी आत्माओं में हाहाकार मच गया। उनकी उपस्थिति मात्र से सभी आत्माओं को मुक्ति प्राप्त हुई।
कहते हैं, यमुना जी ने भी हनुमान जी से प्रार्थना की कि वे प्रतिवर्ष उनके दर्शन के लिए आएंगी। इसीलिए हर साल यमुना नदी का जलस्तर बढ़कर मंदिर तक पहुंचता है। यहां के साधुओं का कहना है कि यह यमुना जी के हनुमान जी को दर्शन देने का प्रमाण है।
विशेषताएं और मंदिर की संरचनामंदिर में भगवान हनुमान की मूर्ति जमीन के अंदर लगभग 7-8 फीट नीचे स्थापित है। पहले यह मंदिर यमुना नदी के किनारे स्थित था, लेकिन समय के साथ नदी का बहाव बदलने के कारण मंदिर नदी से दूर हो गया। फिर भी, यह मान्यता है कि यमुना जी विशाल रूप लेकर हनुमान जी के दर्शन के लिए मंदिर में आती हैं।
भक्तों की आस्था का केंद्रमरघट वाले हनुमान मंदिर में हर मंगलवार और शनिवार को बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं। भक्तों को बाबा के दर्शन के लिए घंटों लंबी लाइन में खड़ा होना पड़ता है। यहां हनुमान जयंती का त्योहार अत्यंत धूमधाम से मनाया जाता है।
विशेष महत्वमंदिर के सामने स्थित श्मशान घाट से जुड़ी मान्यता है कि यहां अंतिम यात्रा के दौरान आने वाली आत्माओं को बाबा हनुमान जी पार लगाते हैं। यह स्थान भक्तों के लिए न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि एक चमत्कारी स्थल भी माना जाता है।