Hanuman Janmotsav 2025: भारत के 5 प्रसिद्ध हनुमान मंदिर, जहां दर्शन से ही कट जाते हैं सारे संकट

हनुमान जयंती का पर्व हर साल चैत्र मास की पूर्णिमा को पूरे देश में श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह दिन भगवान हनुमान के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें शक्ति, भक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है। इस वर्ष हनुमान जन्मोत्सव शनिवार, 12 अप्रैल 2025 को पड़ रहा है। इस पावन अवसर पर भक्तजन व्रत रखते हैं, हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं और मंदिरों में जाकर बजरंगबली से अपने जीवन में बल, बुद्धि और सुरक्षा की कामना करते हैं। भारत में कई ऐसे प्रसिद्ध और चमत्कारी हनुमान मंदिर हैं, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ते हैं। ये मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा और श्रद्धा की जीती-जागती मिसाल भी हैं। उत्तर भारत के संकटमोचन मंदिर से लेकर दक्षिण भारत के अंजनेय स्वामी मंदिर तक — हर स्थान की अपनी अलग महिमा और मान्यता है। हनुमान जयंती के इस शुभ अवसर पर आइए जानते हैं देश के कुछ ऐसे प्रमुख हनुमान मंदिरों के बारे में, जो आस्था और चमत्कार दोनों का अद्भुत संगम हैं।

लेटे हुए हनुमान मंदिर, प्रयागराज

प्रयागराज में स्थित लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि स्थापत्य और मान्यता के लिहाज से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह मंदिर संगम के समीप स्थित है और प्रयागराज के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। विशेष बात यह है कि यह भारत का एकमात्र मंदिर है जहां भगवान हनुमान लेटी हुई मुद्रा में विराजमान हैं। आमतौर पर हनुमान जी को खड़े या बैठे रूप में पूजा जाता है, लेकिन यहां 20 फीट लंबी उनकी लेटी हुई प्रतिमा एक अनोखा स्वरूप दर्शाती है। माना जाता है कि इस प्रतिमा को प्राकृतिक रूप से गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम के किनारे रेत में से निकाला गया था, और तभी से यह स्थान आस्था का केंद्र बन गया। ऐसी मान्यता है कि संगम स्नान का पुण्य तब तक अधूरा रहता है, जब तक भक्त लेटे हुए हनुमान जी के दर्शन नहीं कर लेते। हनुमान जी की यह प्रतिमा बल, भक्ति और विनम्रता का प्रतीक मानी जाती है। कहा जाता है कि जब भगवान श्रीराम ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया, तब हनुमान जी ने स्वयं को शेष लोक से छुपाने के लिए इसी मुद्रा में विश्राम लिया था। हर साल हनुमान जयंती पर इस मंदिर में विशाल मेले और भंडारों का आयोजन होता है, जिसमें देशभर से श्रद्धालु भाग लेते हैं। मंदिर परिसर में हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का अखंड पाठ होता है, और रात्रि जागरण का भी विशेष आयोजन किया जाता है।


हनुमानगढ़ी, अयोध्या

अयोध्या, जहां भगवान श्रीराम का जन्म हुआ, वह न केवल रामभक्तों के लिए बल्कि हनुमान जी के उपासकों के लिए भी विशेष महत्व रखती है। यहां स्थित हनुमानगढ़ी मंदिर अयोध्या का सबसे प्रसिद्ध और पवित्र मंदिरों में से एक है। यह मंदिर ऊंचे टीले पर स्थित है और यहां तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 76 सीढ़ियों को पार करना होता है। ऐसा माना जाता है कि श्रीराम के अयोध्या लौटने के बाद, हनुमान जी यहीं निवास करने लगे थे और यहीं से वे अयोध्या की रक्षा करते थे। यही कारण है कि यहां स्थित मंदिर को 'हनुमानगढ़ी' कहा जाता है, यानी हनुमान जी का किला। यह मंदिर न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे भारत में प्रसिद्ध है, और यहां दर्शन करने के लिए सालभर लाखों श्रद्धालु आते हैं। अस्थियों से बना यह मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से भी अद्भुत है। मुख्य गर्भगृह में दक्षिणमुखी हनुमान जी की भव्य प्रतिमा विराजमान है, जो भक्तों को अद्भुत ऊर्जा और आशीर्वाद प्रदान करती है। यहां यह प्राचीन मान्यता है कि रामलला के दर्शन से पहले हनुमानगढ़ी के दर्शन करना आवश्यक होता है, क्योंकि यह भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान का निवास स्थान है। कहा जाता है कि यदि आप पहले हनुमान जी को प्रणाम करते हैं, तभी आपकी राम दरबार की यात्रा पूर्ण मानी जाती है। यहां हनुमान जी को चोला चढ़ाने की परंपरा बहुत लोकप्रिय है। माना जाता है कि लाल चोला अर्पण करने और सिंदूर व चमेली का तेल चढ़ाने से व्यक्ति की बीमारियां, मानसिक परेशानियां और बाधाएं दूर होती हैं। हनुमान जयंती के अवसर पर यहां विशेष पूजा, भंडारे और सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया जाता है। पूरे मंदिर को दीयों और फूलों से सजाया जाता है और भक्तजन घंटों लंबी कतार में लगकर दर्शन करते हैं।

मेहंदीपुर बालाजी, राजस्थान

राजस्थान के दौसा जिले में स्थित मेहंदीपुर बालाजी मंदिर भारत के सबसे रहस्यमयी और चमत्कारी मंदिरों में से एक माना जाता है। यह मंदिर दो पहाड़ियों के बीच स्थित है और लगभग एक हजार साल पुराना बताया जाता है। मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां भगवान हनुमान की प्रतिमा स्वयं प्रकट हुई थी, जिसे 'स्वयंभू प्रतिमा' कहा जाता है। यहां देश के कोने-कोने से श्रद्धालु अपने जीवन की परेशानियों, मानसिक तनाव, और ऊपरी बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए पहुंचते हैं। मेहंदीपुर बालाजी को पीड़ा निवारण केंद्र के रूप में भी जाना जाता है, जहां प्रेत बाधा, तांत्रिक प्रभाव, भय और मानसिक रोगों से छुटकारा पाने की विशेष मान्यता है।

इस मंदिर में मुख्य रूप से तीन देवताओं की पूजा होती है — बालाजी (हनुमान जी), प्रेतराज सरकार और भैरव बाबा। मंदिर परिसर में विशेष अनुष्ठान और पूजा विधियां होती हैं जो सामान्य मंदिरों से बिल्कुल अलग हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु किसी भी चीज़ को पीछे मुड़कर नहीं देखते, और न ही कोई प्रसाद या वस्तु वहीं छोड़ते हैं। यहां की ऊर्जा इतनी प्रबल मानी जाती है कि भक्तों को अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन का अनुभव होता है। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में आने वाले लोग दर्शन के बाद प्रसाद और रक्षा सूत्र अवश्य अपने साथ ले जाते हैं, जिससे उन्हें जीवन में शांति और सुरक्षा का एहसास होता है। हनुमान जयंती जैसे पावन अवसर पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है, और मंदिर विशेष आयोजन और भव्य सजावट के साथ भक्तों का स्वागत करता है।

सालासर हनुमान मंदिर, सालासर

सालासर हनुमान मंदिर, राजस्थान के चूरू जिले में स्थित एक अत्यंत प्रसिद्ध और चमत्कारी मंदिर है, जो श्रद्धालुओं के बीच विशेष मान्यता रखता है। यह मंदिर राम भक्त हनुमान जी को समर्पित है और यहां हर साल लाखों की संख्या में भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं। मंदिर में स्थापित हनुमान जी की मूर्ति को विशेष रूप से चमत्कारी माना जाता है, क्योंकि यह मूर्ति दाढ़ी और मूंछ के साथ है, जो अन्य हनुमान मंदिरों से इसे अलग बनाती है। इस मंदिर की एक खास परंपरा यह है कि यहां श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए नारियल चढ़ाते हैं। लेकिन यह नारियल मंदिर परिसर में कहीं भी नहीं छोड़ा जाता, बल्कि इसे खेत में गड्ढा खोदकर दबाया जाता है। यह माना जाता है कि ऐसा करने से मन की हर इच्छा जरूर पूरी होती है। भक्तों का विश्वास है कि सालासर बालाजी बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं और सच्चे मन से मांगी गई प्रार्थना को जरूर सुनते हैं।

हनुमान जयंती जैसे विशेष अवसरों पर सालासर मंदिर में विशाल मेले और धार्मिक आयोजन होते हैं, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु भाग लेते हैं। मंदिर की भव्यता, श्रद्धा का माहौल और भक्तों की अटूट आस्था सालासर को एक प्रमुख धार्मिक केंद्र बनाते हैं, जहां हर बार जाना आत्मिक शांति और ऊर्जा से भर देता है।

पंचमुखी हनुमान मंदिर, रामेश्‍वरम

पंचमुखी हनुमान मंदिर, रामेश्वरम, तमिलनाडु का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है जो अपनी आध्यात्मिक महत्ता और विशेष प्रतिमा के लिए जाना जाता है। यह मंदिर कुम्बकोनम के पास स्थित है और यहां भगवान हनुमान की पंचमुखी (पांच मुखों वाली) प्रतिमा स्थापित है, जो भक्तों के बीच विशेष श्रद्धा और आस्था का केंद्र है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, पंचमुखी हनुमान रूप का वर्णन रामायण और अन्य ग्रंथों में भी मिलता है। भगवान हनुमान ने यह रूप उस समय धारण किया था जब उन्होंने अहिरावण का वध कर भगवान राम और लक्ष्मण को बचाया था। उनके पांच मुख—हयग्रीव, नरसिंह, गरुड़, वराह और स्वयं हनुमान—पांचों दिशाओं की रक्षा के प्रतीक माने जाते हैं।

मंदिर में आने वाले श्रद्धालु न केवल यहां पूजा-अर्चना करते हैं, बल्कि अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विशेष व्रत और उपासना भी करते हैं। कहा जाता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर प्रार्थना अवश्य पूरी होती है। पंचमुखी हनुमान मंदिर अपनी भव्यता, धार्मिक वातावरण और अद्भुत ऊर्जा के लिए दूर-दराज़ के श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, विशेषकर हनुमान जयंती के अवसर पर यहां भारी भीड़ उमड़ती है।