शिवलिंग को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता हैं। शिवलिंग के रूप में भगवान शिव की पूजा बहुत समय से होती आ रही हैं। भारत में कई शिवलिंग है जिसमें से कुछ अपने चमत्कारों के लिए प्रसिद्द हैं तो कुछ अपने रहस्यों के लिए। भारत में कुछ ऐसे चमत्कारी शिवलिंग भी हैं जिनकी लम्बाई निरंतर रूप से बढती जा रही हैं। जो कि विज्ञान के लिए भी एक रहस्य की बात हैं। तो आइये आज जानते हैं इन चमत्कारी शिवलिंग के बारे में...
* मतंगेश्वर शिवलिंग, मध्यप्रदेश :मध्यप्रदेश के खजुराहो का मतंगेश्वर शिवलिंग 18 फीट ऊँचा है और यह शिवलिंग लगातार बढ़ रहा है। मान्यता है की त्रेतायुग में श्री राम ने यहा पूजा की थी।
* भूतेश्वर महादेव, छत्तीसगढ़ :छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गरियाबंद जिला में एक प्राकृतिक शिवलिंग है, जिसे भूतेश्वर महादेव कहा जाता है। इसे भकुर्रा महादेव के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि हर साल यह शिवलिंग 6-8 इंच तक बढ़ जाता है। कहते हैं यहां पर भक्तों की मनोकामना जरूर पूरी होती है, मनोकामना पूरी होने पर दौबारा यहां आकर भगवान को धन्यवाद करने की परंपरा है।
* तिल भांडेश्वर, काशी :भगवान शिव की नगरी काशी में कई शिव प्रसिद्ध शिव मंदिर है, इनमें एक है बाबा तिल भांडेश्वर। कहते हैं यह सतयुग में प्रकट हुआ स्वयंभू शिवलिंग है। कलयुग से पहले तक यह शिवलिंग हर दिन तिल आकार में बढ़ता था। लेकिन कलयुग के आगमन पर लोगों को यह चिंता सताने लगी कि यह इसी आकार में हर दिन बढ़ता रहा तो पूरी दुनिया इस शिवलिंग में समा जाएगी। भगवान शिव की आराधाना करने पर भगवान शिव ने प्रकट होकर साल में केवल संक्रांति पर ही इसके बढ़ने का वरदान दिया। कहते हैं उस समय से हर साल मकर संक्रांति पर इस शिवलिंग का आकार बढ़ता है।
* मृदेश्वर महादेव मंदिर, गुजरात :गुजरात के गोधरा में स्थित मृदेश्वर महादेव के बढ़ते शिवलिंग के आकार को प्रलय का संकेत माना जाता है। इस शिव लिंग के विषय में मान्यता है कि जिस दिन लिंग का आकार साढ़े आठ फुट का हो जाएगा उस दिन यह मंदिर की छत को छू लेगा। जिस दिन ऐसा होगा उसी दिन महाप्रलय आ जाएगा। शिवलिंग को मंदिर की छत छूने में लाखों वर्ष लग सकते हैं क्योंकि शिवलिंग का आकार एक वर्ष में एक चावल के दाने के बराबर बढ़ता है।
* पौड़ीवाला शिव मंदिर, हिमाचल प्रदेश :हिमाचल प्रदेश में नाहन से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर पौड़ीवाला शिव मंदिर है। इसका संबंध रावण से माना जाता है। कहते हैं कि रावण ने इसकी स्थापना की थी। इसे स्वर्ग की दूसरी पौड़ी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि हर वर्ष महाशिवरात्रि पर यह शिवलिंग एक जौ के दाने के बराबर बढ़ता है। ऐसी धारणा है कि इस शिवलिंग में साक्षात शिव विराजते हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं।