अपने इन 8 धार्मिक स्थलों के लिए देशभर में प्रसिद्द हैं मध्यप्रदेश, यहां करेगा बार-बार घूमने का मन

मध्यप्रदेश, भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य हैं जो क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य हैं। भारत का दिल कहा जाने वाला यह मध्यप्रदेश पर्यटन की दृष्टि से अपना विशिष्ट स्थान रखता है। यहां स्थिति ऐतिहासिक स्मारक, मस्जिद, मंदिर, किले और महल इसकी पहचान हैं। आज इस कड़ी में हम आपको मध्यप्रदेश के कुछ महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां का माहौल ऐसा हैं कि आप एक बार जाएंगे तो बार-बार यहां आने का मन करेगा। आप यहां छुट्टियां मनाने अपने परिवार या दोस्तों के संग भी पहुंच सकते हैं। आइये जानते हैं मध्यप्रदेश के इन धार्मिक स्थलों के बारे में...

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग

मध्य प्रदेश का सबसे धार्मिक स्थल उज्जैन है, जिसे महाकाल की नगरी कहा जाता है। भगवान महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में स्थापित है। उज्जैन का पुराणों और प्राचीन धर्म ग्रन्थों में 'उज्जयिनी' तथा 'अवन्तिकापुरी' के नाम से उल्लेख मिलता है। मंगल ग्रह का जन्मस्थान मंगलश्वेर भी यहीं स्थित है। इतिहास प्रसिद्ध भर्तृहरि की गुफा एवं महर्षि सान्दीपनि जी का आश्रम जहां भगवान श्रीकृष्णच व बलराम जी शिक्षा प्राप्त की थी। उज्जैन में प्रत्येक बारह साल में एक बार सिहंस्थ महाकुम्भ का विशेष मेला लगता है।

खजुराहो

खजुराहो भारत के मध्य में स्थित मध्य प्रदेश राज्य का एक बहुत ही खास शहर और पर्यटन स्थल है, जो न केवल देश में बल्कि पूरे विश्व में अपने प्राचीन और मध्यकालीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो मंदिर भारतीय स्थापत्य एवं शिल्पकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। वर्ष 1986 में खजुराहों के मंदिरों को विश्व धरोहर घोषित किया गया तथा वर्ष 2009 में भाारत के 7 आश्चर्यों में सम्मिलत किया गया है। खजुराहों को पत्थर पर तराशी गई नगरी भी कहा जाता है। मध्य प्रदेश में कामसूत्र की रहस्यमय भूमि खजुराहो अनादि काल से दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करती रही है। छतरपुर जिले का यह छोटा सा गाँव स्मारकों के अनुकरणीय कामुक सेट के लिए विश्व प्रसिद्ध है।

ओंकारश्वर ज्योतिर्लिंग

नर्मदा और कावेरी नदियों के संगम पर स्थित, ओंकारेश्वर को दो पवित्र घाटियों और नर्मदा के जल के विलय के कारण हिंदू धार्मिक प्रतीक ‘ओम’ का रूप दिया गया है। इसका नाम ‘ओंकार’ से लिया गया है जो भगवान शिव का एक नाम है। मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर में भगवान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के साथ ही अमलेश्वर ज्येतिर्लिंग भी स्थापित है। इन दोनों शिवलिंगों की गणना एक ही ज्योतिर्लिंग में की गई है। ओंकारेश्वर तीर्थ अलौकिक है, जो मनुष्य इस तीर्थ में पहुँचकर अन्नदान, तप, पूजा आदि करता है अथवा अपना प्राणोत्सर्ग यानि मृत्यु को प्राप्त होता है, उसे शिव के चरणों में स्थान प्राप्त होता है। तीर्थ स्थलों के अलावा, इस पवित्र शहर में वास्तुकला के चमत्कार और प्राकृतिक सुंदरता भी है।

अमरकंटक

अमरकंटक मध्य प्रदेश के तीर्थ स्थलों में से एक है, जो विंध्य और सतपुड़ा पर्वतमाला की उत्कृष्ट सुंदरता से घिरा हुआ है। यह गंतव्य भारत की दो महान नदियों नर्मदा और सोन के उद्गम के रूप में जाना जाता है, जो हर साल हजारों पर्यटकों को आकर्षित करती है। यह पवित्र शहर कई आकर्षणों का दावा करता है और कलचुरी काल के कई प्राचीन मंदिरों का घर है। यह एक तीर्थस्थल और सिद्ध क्षेत्र के रूप में भी प्रख्यात है। अमरकंटक ऋक्षपर्वत का एक भाग है, जो पुराणों में वर्णित सप्तकुल पर्वतों में से एक है। अमरकंटक में अनेक मन्दिर और प्राचीन मूर्तियां हैं, जिनका सम्बन्ध महाभारत के पाण्डवों से बताया जाता है।

सांची
मध्य प्रदेश में बौद्ध तीर्थ स्थलों में से एक सांची, भारत में सबसे पुरानी पत्थर की संरचनाओं के लिए प्रसिद्ध है। सांची में बौद्ध स्मारक सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भारत की विशाल विरासत का प्रतीक है। यहां स्थित महान स्तूप को मौर्य वंश के सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में स्थापित किया था। सांची के स्तूपों को भगवान बुद्ध और कई महत्वपूर्ण बौद्ध अवशेषों के घरों के रूप में बनाया गया था। यह स्थान चारों ओर से हरे-भरे बगीचों से घिरा हुआ है, जो यहां आने वाले पर्यटकों को एक अलग तरह का आनंद और शांति प्रदान करता है।

देवास वाली माता

मध्यप्रदेश के देवास शहर में एक पहाड़ी पर चामुण्डा माता एवं तुलजा भवानी माता के ऐतिहासिक प्राचीन मंदिर स्थापित है। यहां पर दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु भक्त आते हैं। देवास वाली माता के नाम से जाने जानी वाली माता यहां दो स्वरूप में छोटी माँ और बड़ी माँ तुलजा भवानी एवं चामुण्डा माता के नाम से जाना जाता है। बड़ी माँ को तुलजा भवानी और छोटी माँ को चामुण्डा माता कहा जाता है।

भोजपुर

भोजपुर मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में बेतवा नदी के किनारे स्थित है। यहाँ पर परमार राजा भोज द्वारा भोजपुर मंदिर का निर्माण कर शिवलिंग की स्थापना की गई थी। इस मंदिर को उत्तर भारत का सोमनाथा मंदिर भी कहा जता है। यहाँ पर स्थापित विशाल शिवलिंग विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग है, जिसकी लंबाई 5.5 मीटर (18फीट) तथा व्यास 2.3 मीटर (7.5 फीट) है। यहाँ पर एक जैन मंदिर भी स्थित है, जिसमें भगवान पार्श्वनार्थ सुपार्श्वनाथ की प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर के परिसर में पार्वती गुफा व आचार्य माटुंगा की समाधि स्थल है।

पीताम्बरा पीठ

मध्य प्रदेश के दतिया शहर में माँ पीताम्बरा सिद्ध शक्तिपीठ स्थापित है। यहां विराजमान देवी दिन में 3 बार रूप बदलती हैं। यहां आने वाले भक्त की माता के दर्शन मात्र से इच्छा पूरी हो जाती है। शत्रुओं का नाश करने वाली देवी पीताम्बरा के दरबार में राजसत्ता की चाह रखने वाले लोगों की भीड़ सदैव ही देखी जा सकती है। कई भक्त यहां पर गुप्त रूप से मनोकामना पूर्ति के लिए विशेष पूजा अर्चना और यज्ञ करवाते हैं। आज तक यहां आने वाले भक्त की प्रार्थना निष्फल नहीं हुई।