नवरात्रि का दूसरा दिन ब्रह्मचारिणी माता को समर्पित है। इस दिन भक्तगण प्रातःकाल से ही मन्दिर में उनके दर्शन के लिए उमड़ पड़ते है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएँ हाथ में कमण्डल रहता है। आज हम आपको काशी में स्थित ह्मचारिणी माता के मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
* सुबह से ही लग जाती है भीड़
काशी के गंगा किनारे बालाजी घाट पर स्थित मां ब्रह्मचारिणी के मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लग जाती है। श्रद्धालु लाइन में लगकर मां का दर्शन प्राप्त करते हैं। श्रद्धालु मां के इस रूप का दर्शन करने के लिए नारियल, चुनरी, माला-फूल आदि लेकर श्रद्धा-भक्ति के साथ अपनी बारी आने का इंतजार करते हैं। * मां के दर्शन करने से मिलती है परब्रह्म की प्राप्ति
ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यन्त भव्य है। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बायें हाथ में कमंडल रहता है। जो देवी के इस रूप की आराधना करता है उसे साक्षात परब्रह्म की प्राप्ति होती है। मां के दर्शन मात्र से श्रद्धालु को यश और कीर्ति प्राप्त होती है।