दिल्ली की शान बने हुए हैं ये पुराने रेस्टोरेंट, एक बार तो जरूर चखना चाहिए यहां का खाना

देश की राजधानी दिल्ली को पर्यटन के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता हैं जहां हर दिन लाखों लोग पर्यटन करने पहुंचते हैं और यहां घूमने का मजा लेते हैं। अपने इतिहास, प्राचीन इमारतों, संस्कृति के साथ ही इसे यहां के खानपान के लिए भी जाना जाता हैं। दिल्ली को अपने स्ट्रीट फूड के लिए जाना जाता हैं जहां का जायका लेने के लिए लोग यहां की गली-गली पहुंचते हैं। दिल्ली में स्वादिष्ट स्ट्रीट फूड से लेकर लैविश रेस्टोरेंट तक आप हर जगह खाने के शौकीनों की जबरदस्त भीड़ देख सकते हैं। इस शहर का फूड कल्चर जगजाहिर है। जिन रेस्टोरेंट या ढाबे का खाना आप खा रहे हैं उनमें से कुछ तो आजादी से भी पहले के हैं। आज इस कड़ी में हम आपको दिल्ली के पुराने रेस्टोरेंट के बारे में बताने जा रहे हैं जो दिल्ली की शान बने हुए हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में...

मोती महल

दिल्ली के पुराने और आइकॉनिक रेस्तरां की बात हो और हमें बटर चिकन देने वाला मोती महल इस लिस्ट में शामिल न हो, ऐसा नहीं हो सकता है। 1947 में भारत के विभाजन के बाद, दिल्ली में मोती महल की स्थापना कुंदन लाल गुजराल, कुंदन लाल जग्गी और ठाकुर दास ने दुनिया के बाकी हिस्सों में पंजाबी व्यंजनों को पेश करने वाले पहले रेस्तरां में के रूप में की थी। यह रेस्टोरेंट 1947 से ही लोगों को लजीज बटर चिकन परोसता आ रहा है। नॉनवेज लवर्स की यह पहली चॉइस रहती है। अगर आप अब तक यहां नहीं गए, तो एक बार यहां का नॉनवेज आइटम चखने के लिए जरूर जाएं।

करीम

19वीं शताब्दी के मध्य में, मोहम्मद अजीज मुगल सम्राट के शाही दरबार में रसोइया थे। बहादुर शाह जफर के हट जाने के बाद, वह मेरठ और फिर बाद में गाजियाबाद आ गए। जब 1911 में, जब किंग जॉर्ज पंचम के राज्याभिषेक के लिए दिल्ली दरबार आयोजित किया गया था, तब अजीज के एक बेटे हाजी करीमुद्दीन ने एक ढाबा खोलने के विचार से दिल्ली का रुख किया। वह चाहते थे कि मुगल पाक कला का अनुभव दुनियाभर से आने वाले लोग लें। उन्होंने रुमाली रोटी, आलू गोश्त और दाल के साथ एक ढाबा खोला था। इसके बाद 1913 में, हाजी करीमुद्दीन ने जामा मस्जिद के पास करीम होटल के नाम से रेस्तरां खोला। तब से लेकर आज तक ये मीट लवर्स के लिए लोकप्रिय अड्डा है। यहां की निहारी, बिरयानी, मटन कोरमा और चिकन कबाब लोग चटकारे लगाकर खाते हैं।

क्वालिटी रेस्टोरेंट

रेस्टोरेंट 1940 में स्थापित किया गया था और ऑथेंटिक नार्थ इंडियन खाने और मुगलई खाने को सर्व करता है। अगर आप इस रेस्टोरेंट में जाएंगे, तो यहां की सजावट आपको काफी पुराने जमाने की दिखेगी। यहां का टेस्टी खाना लोगों का दिल जीत लेता है। ये रेस्टोरेंट पिछले 60 सालों से दिल्लीवासियों को प्यार के साथ खाना परोस रहा है।

भारतीय कॉफी हाउस

इंडियन कॉफी हाउस जिसे आईसीएच के नाम से जाना जाता है, दिल्ली में कनॉट पैलेस में वर्ष 1957 में स्थापित किया गया था। यह दिल्ली में खाने के लिए प्रसिद्ध स्थानों में से एक है। जगह काफी सस्ती है और सजावट भी एकदम नॉर्मल तरीके से की गई है। यह दिल्लीवासियों की पसंदीदा जगह है जहां लोग एक कप गर्मा-गर्म कॉफी का मजा लेने के लिए यहां आते हैं। किफायती दाम में आपको यहां सब कुछ मिल जाएगा। खास बात यह है कि यहां के वेटर आज भी नेहरू कैप पहने लोगों को कॉफी सर्व करते दिखाई देते हैं। इतना ही नहीं, कनॉट प्लेस में यह सबसे ज्यादा पॉकेट फ्रेंडली रेस्तरां हैं जहां आप सैंडविच, पकौड़े, डोसा आदि ट्राई कर सकते हैं। दोस्तों के साथ हैंगआउट करने के लिए यह परफेक्ट प्लेस है और आपके बजट में भी है।

गुलाटी

पंडारा रोड पर स्थित गुलाटी रेस्तरां उन रेस्टोरेंट्स में से एक है, जहां लोग घंटों इंतजार से भी नहीं कतराते। वजह है यहां पर मिलने वाली क्लासिक नॉन वेज डिशेज। यहां के गलौटी कबाब, तंदूरी मशरूम, बटर चिकन, और हांडी चिकन, बहुत फेमस हैं। बात करें इसकी स्थापना की तो इसे साल 1959 में स्थापित किया गया था। अगर आप दिल्ली में कुछ खाने के कुछ बेहद स्पेशल जगहों को एक्सप्लोर करना चाहें तो गुलाटी उनमें से एक हो सकता है।

एम्बेसी रेस्टोरेंट एंड बार

दिल्ली में कोई रेस्टोरेंट एम्बेसी रेस्टोरेंट की ऑथेंसिटी को कम नहीं कर सकता। इस रेस्टोरेंट को 1948 में खोला गया था। रेस्टोरेंट को बड़े ही सुरुचिपूर्ण ढंग से सजाया गया है और चिकन यहां के सबसे स्वादिष्ट खानों में आता है। इस रेस्टोरेंट अक्सर कई सेलिब्रिटी भी आते हैं।